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भीषण गर्मी में मोरों को वीआईपी ट्रीटमेंट, डिहाइड्रेशन से बचने मिलेगा भरपूर पानी और ग्लूकोस - मोरों को भरपूर पानी और ग्लूकोस

इंदौर में मोरों को गर्मी से बचाने के लिए वन विभाग अनूठी पहल कर रहा है. मोरों को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए भरपूर पानी और ग्लूकोज की व्यवस्था की जा रही है. सभी फारेस्ट रेंज में बीट गार्ड को निर्देश दिए गए हैं कि उनके क्षेत्र में पानी के सकोरे को समय-समय पर भरा जाए.

Peacocks get plenty of water and glucose
गर्मी में मोरों को वीआईपी ट्रीटमेंट
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Published : Apr 17, 2023, 9:42 PM IST

Updated : Apr 17, 2023, 9:51 PM IST

मोरों को दिया जा रहा वीआईपी ट्रीटमेंट

इंदौर। प्रदेश के कई जिलों में जहां भीषण गर्मी में तापमान 40 डिग्री तक पहुंचने को है. वहीं, जंगलों में भी वन्य पशु पक्षियों को भी पानी की तलाश में जहां-तहां भटकना पड़ रहा है. इन हालातों में राष्ट्रीय पक्षी मोर को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए इंदौर में अब वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. दरअसल वन विभाग ने हर साल हीटवेव का शिकार होने वाले मोरों को इस बार भरपूर पानी के साथ ग्लूकोस उपलब्ध कराने के लिए वन्य क्षेत्र के 140 स्थानों पर पानी के कुंडे भर कर रखना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं कुछ कुंडे में ग्लूकोस मिलाया जा रहा है जिससे कि मोरों को डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके.

गर्मी से हो चुकी है कई मोरों की मौत: दरअसल इंदौर के रालामंडल वन क्षेत्र के अलावा रेसीडेंसी कोठी, नवरतन बाग, रतलाम कोठी, आईजी बंगला, फूटी कोठी, स्वदेशी मिल परिसर, बिजासन मंदिर परिसर, पुलिस ट्रेनिंग स्कूल, दिल्ली कॉलेज, सिमरोल, जानापाव, टिल्लोर, महू, मानपुर एवं चोरल रेंज में बड़ी संख्या में मोर पाए जाते हैं. इसके अलावा शहर से सटे रालामंडल अभ्यारण में ही करीब 400 से ज्यादा मोर मौजूद हैं. जिन्हें भीषण गर्मी में कई बार डिहाइड्रेशन का सामना करना पड़ता है. विगत वर्षों में इंदौर के कई इलाकों में मोरों की गर्मियों में मौत हो चुकी है. जिससे बचाव के लिए अब जिला वन मंडल अधिकारी कार्यालय के निर्देश पर जिले की सभी फॉरेस्ट रेंज में अब मोरों के लिए दाना पानी मुहैया कराया जा रहा है.

दाने-पानी की व्यवस्था: इसके लिए मिट्टी के सकोरे और बाकायदा मक्के के दाने के अलावा मोरों के पसंदीदा दाना, पानी की व्यवस्था की गई है. मिट्टी के सकोरे में सतत पानी भरने के लिए विभाग के कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा ज्यादा गर्मी की स्थिति में जो मोर असामान्य अथवा छठपटाता हुआ प्रतीत हो ऐसे मोरों के लिए संबंधित क्षेत्र में पानी के साथ ग्लूकोस की भी व्यवस्था की गई है.

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अन्य पक्षियों को भी मिल रहा फायदा: जाहिर है इन सकोरे और कुंड का फायदा मोरों के अलावा वन क्षेत्र में मौजूद अन्य पक्षियों एवं गिलहरी चीतल सांभर जैसे प्राणियों को मिल रहा है. जिसके कारण गर्मियों में उन्हें डिहाइड्रेशन से बचने की उम्मीद जागी है. इंदौर डीएफओ नरेंद्र पंडवा के मुताबिक ''जिले की सभी फारेस्ट रेंज में बीट गार्ड को निर्देश दिए गए हैं कि उनके क्षेत्र में पानी के सकोरे को समय-समय पर भरा जाए. इसके अलावा मक्के की आपूर्ति भी संबंधित क्षेत्र में सतत रखी जाए. इसके लिए पानी सप्लाई की व्यवस्था भी की गई है. वहीं पानी के सकोरे की सफाई और सतत पानी उपलब्धता की व्यवस्था भी विभागीय स्तर पर की गई है.''

मोरों को दिया जा रहा वीआईपी ट्रीटमेंट

इंदौर। प्रदेश के कई जिलों में जहां भीषण गर्मी में तापमान 40 डिग्री तक पहुंचने को है. वहीं, जंगलों में भी वन्य पशु पक्षियों को भी पानी की तलाश में जहां-तहां भटकना पड़ रहा है. इन हालातों में राष्ट्रीय पक्षी मोर को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए इंदौर में अब वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. दरअसल वन विभाग ने हर साल हीटवेव का शिकार होने वाले मोरों को इस बार भरपूर पानी के साथ ग्लूकोस उपलब्ध कराने के लिए वन्य क्षेत्र के 140 स्थानों पर पानी के कुंडे भर कर रखना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं कुछ कुंडे में ग्लूकोस मिलाया जा रहा है जिससे कि मोरों को डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके.

गर्मी से हो चुकी है कई मोरों की मौत: दरअसल इंदौर के रालामंडल वन क्षेत्र के अलावा रेसीडेंसी कोठी, नवरतन बाग, रतलाम कोठी, आईजी बंगला, फूटी कोठी, स्वदेशी मिल परिसर, बिजासन मंदिर परिसर, पुलिस ट्रेनिंग स्कूल, दिल्ली कॉलेज, सिमरोल, जानापाव, टिल्लोर, महू, मानपुर एवं चोरल रेंज में बड़ी संख्या में मोर पाए जाते हैं. इसके अलावा शहर से सटे रालामंडल अभ्यारण में ही करीब 400 से ज्यादा मोर मौजूद हैं. जिन्हें भीषण गर्मी में कई बार डिहाइड्रेशन का सामना करना पड़ता है. विगत वर्षों में इंदौर के कई इलाकों में मोरों की गर्मियों में मौत हो चुकी है. जिससे बचाव के लिए अब जिला वन मंडल अधिकारी कार्यालय के निर्देश पर जिले की सभी फॉरेस्ट रेंज में अब मोरों के लिए दाना पानी मुहैया कराया जा रहा है.

दाने-पानी की व्यवस्था: इसके लिए मिट्टी के सकोरे और बाकायदा मक्के के दाने के अलावा मोरों के पसंदीदा दाना, पानी की व्यवस्था की गई है. मिट्टी के सकोरे में सतत पानी भरने के लिए विभाग के कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा ज्यादा गर्मी की स्थिति में जो मोर असामान्य अथवा छठपटाता हुआ प्रतीत हो ऐसे मोरों के लिए संबंधित क्षेत्र में पानी के साथ ग्लूकोस की भी व्यवस्था की गई है.

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अन्य पक्षियों को भी मिल रहा फायदा: जाहिर है इन सकोरे और कुंड का फायदा मोरों के अलावा वन क्षेत्र में मौजूद अन्य पक्षियों एवं गिलहरी चीतल सांभर जैसे प्राणियों को मिल रहा है. जिसके कारण गर्मियों में उन्हें डिहाइड्रेशन से बचने की उम्मीद जागी है. इंदौर डीएफओ नरेंद्र पंडवा के मुताबिक ''जिले की सभी फारेस्ट रेंज में बीट गार्ड को निर्देश दिए गए हैं कि उनके क्षेत्र में पानी के सकोरे को समय-समय पर भरा जाए. इसके अलावा मक्के की आपूर्ति भी संबंधित क्षेत्र में सतत रखी जाए. इसके लिए पानी सप्लाई की व्यवस्था भी की गई है. वहीं पानी के सकोरे की सफाई और सतत पानी उपलब्धता की व्यवस्था भी विभागीय स्तर पर की गई है.''

Last Updated : Apr 17, 2023, 9:51 PM IST
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