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Indore District Court: हत्या के आरोपियों को कोर्ट ने 10 साल बाद किया दोषमुक्त, पुलिस की जांच पर कोर्ट ने उठाए सवाल

इंदौर में हत्या के आरोपियों को कोर्ट ने 10 साल बाद दोषमुक्त करते हुए पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं, आइए जानते हैं पूरा मामला-

indore district court
इंदौर जिला कोर्ट
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Published : Aug 7, 2023, 4:40 PM IST

इंदौर। शहर के भवरकुआं थाना क्षेत्र में 16 अक्टूबर 2013 में एक महिला की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया था, इस मामले में पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष पेश किया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था. वहीं कोर्ट में इस मामले की लगातार सुनवाई चल रही थी और अब कोर्ट ने इस पर सुनवाई कर आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल भी खड़े किए हैं.

टीआई के बयान पर आरोपी हुए दोषमुक्त: इंदौर के भवरकुआं थाना क्षेत्र में 10 साल पहले हत्याकांड के मामले में 2 आरोपी (यशपाल और राहुल) को दोषमुक्त कर दिया है. बता दें कि मामले में पुलिस की ओर से तकरीबन 17 गवाहों को कोर्ट के समक्ष गवाही के लिए पेश किया गया और एक-एक कर कोर्ट के अंदर गवाही भी हुई, लेकिन इसी दौरान जिस थाना प्रभारी ने इस मामले में जांच की, उन्होंने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए. दरअसल टीआई ने कहा कि "मेरे द्वारा जांच में कई तरह की लापरवाही बरती गई है", इसके बाद टीआई के द्वारा जिस तरह से बयान कोर्ट के समक्ष दिए, उसी के आधार पर कोर्ट ने दोनों आरोपी राहुल और यसपाल को दोषमुक्त कर दिया.

क्या था मामला: आरोप था कि "10 साल पहले राहुल और यशपाल ने क्षेत्र में रहने वाली एक महिला के घर में घुसकर लूटपाट की थी, उसी दौरान वे महिला को मौत के घाट उतारकर फरार हो गए थे." मामले में पुलिस ने जांच पड़ताल करते हुए राहुल और उसके एक मित्र यशपाल को गिरफ्तार किया और कोर्ट के समक्ष विभिन्न तरह की जानकारी भी पेश की. इसमें आरोपियों की कॉल डिटेल सहित अन्य साक्ष्य कोर्ट के समक्ष पेश किए थे, वहीं जब इस पूरे मामले में कोर्ट के अंदर बहस हुई तो आरोपी पक्ष के वकील ने विभिन्न तरह के तर्क कोर्ट के समक्ष पेश किए. वहीं कॉल डिटेल जो पुलिस ने कोर्ट के समक्ष पेश की वह ग्वालियर के किसी व्यक्ति की पेश की थी, जो कि केस से संबंधित नहीं था. साथ ही ब्लड लगा हुआ शर्ट भी घटनास्थल से 2 दिन बाद बरामद किया गया था, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए.

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फिलहाल तमाम तरह के साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने मामले में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया तो वहीं अब आरोपी पक्ष के वकील इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर हाई कोर्ट में जाने की बात कर रहे हैं और पुलिस ने जिन तरह से 2 छात्रों के कैरियर को खराब किया है उसको लेकर मानहानि का केस हाई कोर्ट के समक्ष दायर किया जाएगा और इसमें हर्जाने की मांग की जाएगा.

इंदौर। शहर के भवरकुआं थाना क्षेत्र में 16 अक्टूबर 2013 में एक महिला की हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया था, इस मामले में पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट के समक्ष पेश किया था, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था. वहीं कोर्ट में इस मामले की लगातार सुनवाई चल रही थी और अब कोर्ट ने इस पर सुनवाई कर आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. साथ ही पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवाल भी खड़े किए हैं.

टीआई के बयान पर आरोपी हुए दोषमुक्त: इंदौर के भवरकुआं थाना क्षेत्र में 10 साल पहले हत्याकांड के मामले में 2 आरोपी (यशपाल और राहुल) को दोषमुक्त कर दिया है. बता दें कि मामले में पुलिस की ओर से तकरीबन 17 गवाहों को कोर्ट के समक्ष गवाही के लिए पेश किया गया और एक-एक कर कोर्ट के अंदर गवाही भी हुई, लेकिन इसी दौरान जिस थाना प्रभारी ने इस मामले में जांच की, उन्होंने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए. दरअसल टीआई ने कहा कि "मेरे द्वारा जांच में कई तरह की लापरवाही बरती गई है", इसके बाद टीआई के द्वारा जिस तरह से बयान कोर्ट के समक्ष दिए, उसी के आधार पर कोर्ट ने दोनों आरोपी राहुल और यसपाल को दोषमुक्त कर दिया.

क्या था मामला: आरोप था कि "10 साल पहले राहुल और यशपाल ने क्षेत्र में रहने वाली एक महिला के घर में घुसकर लूटपाट की थी, उसी दौरान वे महिला को मौत के घाट उतारकर फरार हो गए थे." मामले में पुलिस ने जांच पड़ताल करते हुए राहुल और उसके एक मित्र यशपाल को गिरफ्तार किया और कोर्ट के समक्ष विभिन्न तरह की जानकारी भी पेश की. इसमें आरोपियों की कॉल डिटेल सहित अन्य साक्ष्य कोर्ट के समक्ष पेश किए थे, वहीं जब इस पूरे मामले में कोर्ट के अंदर बहस हुई तो आरोपी पक्ष के वकील ने विभिन्न तरह के तर्क कोर्ट के समक्ष पेश किए. वहीं कॉल डिटेल जो पुलिस ने कोर्ट के समक्ष पेश की वह ग्वालियर के किसी व्यक्ति की पेश की थी, जो कि केस से संबंधित नहीं था. साथ ही ब्लड लगा हुआ शर्ट भी घटनास्थल से 2 दिन बाद बरामद किया गया था, जिससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हुए.

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