इंदौर। जिला कोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए थाना प्रभारी एवं एक सब-इंस्पेक्टर पर 10 धाराओं में प्रकरण दर्ज करने के निर्देश पुलिस विभाग को दिए हैं. पूरा मामला आत्महत्या से संबंधित है. तकरीबन साल भर पहले इंदौर के एरोड्रम थाना क्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने थाना प्रभारी और सब इंस्पेक्टर की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी. परिजनों ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई थी और उस याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई कर पुलिस को संबंधित लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
पुलिस ने थाने में बुलाकर युवक को प्रताड़ित किया थाः इंदौर की जिला कोर्ट ने चंदन नगर के पूर्व टीआई दिलीप पुरी एवं थानेदार विकास शर्मा के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं. साल भर पहले फरवरी में विजय श्री नगर एरोड्रम थाना क्षेत्र में रहने वाले आकाश बढ़िया ने अपने ही घर में आत्महत्या कर ली थी. उसने मोबाइल पर मैसेज किया था और थानेदार विकास शर्मा पर आरोप लगाया था कि उसने मारपीट की है और धमकी दी है. वहीं दिलीप पुरी ने भी थाने में बुलाकर युवक को जमकर प्रताड़ित किया था. यह प्रताड़ना उसे एक युवती से दोस्ती के संबंध में दी गई थी.
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जांच में टीआई व थाना प्रभारी को पुलिस ने दी थी क्लीन चिटः बताया जा रहा है कि थाना प्रभारी और सब इंस्पेक्टर ने युवक को युवती से दूर रहने के निर्देश देने के साथ ही थाने में बुलाकर उसके साथ जमकर मारपीट की थी. इन्हीं सब बातों से तंग आकर उसने अपने घर में आत्महत्या कर ली थी. परिजनों ने इस मामले में संबंधित थाना प्रभारी एवं सब इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. पुलिस विभाग ने इस मामले में जांच पड़ताल कर आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी. इसके बाद परिजनों ने इस केस में एक याचिका इंदौर की जिला कोर्ट में लगाई थी. कोर्ट में लड़के परिजनों ने विभिन्न तरह के तर्क प्रस्तुत किए. उन्हीं तर्को से सहमत होते हुए कोर्ट ने पूर्व थाना प्रभारी दिलीप पुरी एवं सब इंस्पेक्टर विकास शर्मा के खिलाफ 10 धाराओं में प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
निराश होकर परिजनों ने किया था कोर्ट का रुखः इस पूरे मामले में पुलिस के आला अधिकारियों ने उस समय थाना प्रभारी और सब इंस्पेक्टर की जांच के लिए एक टीम भी गठित की थी. संबंधित पुलिस अधिकारियों की टीम ने थाना प्रभारी और सब इंस्पेक्टर को क्लीन चिट दे दी थी. इस फैसले से निराश परिजनों ने इस केस को लेकर कोर्ट का रुख किया. कोर्ट में पूरे मामले को लेकर एक परिवाद लगा दिया. उसके बाद कोर्ट ने इस पूरे मामले में गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ निर्णय सुनाते हुए प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दे दिए हैं.