इंदौर। इंदौर के हाई कोर्ट एडवोकेट गिरीश पटवर्धन और धीरज पवार ने हुकुमचंद मिल मजदूरों की यूनियन की ओर से केस लड़ा. उसके बदले में उन्हें हाउसिंग बोर्ड की ओर से फीस की राशि अदा कर दी गई. दोनों वकीलों को 6 करोड़ 54 लाख रुपए का भुगतान किया गया है, जो अब तक किए गए सरकारी भुगतान में सबसे ज्यादा राशि का वकीलों को ये पहला मामला है. दरअसल, इंदौर हाईकोर्ट ने हुकमचंद श्रमिकों के लिए 229 करोड़ रुपए का क्लेम मंजूर किया था, जिसमें से 50 करोड़ रुपए सरकार से श्रमिकों को दिलवाए थे. Hukumchand Mill lawyers fee
श्रमिकों को 223 करोड़ रुपए वितरित होंगे : इसके अलावा शेष 179 करोड़ में से एमपी हाउसिंग बोर्ड ने 174 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. श्रमिकों ने इसके अलावा सरकार से 88 करोड़ रुपए ब्याज की मांग भी की थी. शिवराज सरकार की आखिरी कैबिनेट ने 44 करोड़ रुपए मंजूर किए थे. इस प्रकार श्रमिकों को कुल 223 करोड़ रुपए वितरित होंगे. बोर्ड ने इसके अलावा विभिन्न बैंकों के बकाया राशि भी मिलाकर कुल 464 करोड़ रुपए दे दिए हैं. बदले में हुकमचंद मिल की कुल 42.5 एकड़ जमीन ले ली है. इस मामले में हाउसिंग बोर्ड ने वकीलों को भुगतान भी अपनी ओर से किया है, जो इस जमीन पर या तो आईटी पार्क या फिर आवासीय योजना विकसित करने की तैयारी में है. Hukumchand Mill lawyers fee
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32 साल चला श्रमिकों का संघर्ष : बता दें कि 12 दिसम्बर 1991 को अचानक बंद कर दी गई हुकमचंद मिल के 5885 श्रमिक तब से दर-दर भटक रहे हैं. संघर्ष समिति के अध्यक्ष नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि अब तक 2500 से ज्यादा श्रमिकों की मौत हो चुकी है और 70 श्रमिक ऐसे हैं, जिन्होंने पैसे के अभाव में तंग आकर मौत को गले लगा लिया. आज भी ऐसे कई श्रमिक हैं, जो लाइलाज बीमारी या इलाज के पैसे न होने की स्थिति में बिस्तर पर जीवन काटने को मजबूर थे, उनकी आंखों में वर्षों से बस यही सवाल तैर रहा था कि आखिर कब उनके हक का पैसा मिलेगा? लेकिन आखिरकार वो शुभ घड़ी आ ही गई, जब उनके हक का पैसा उन्हें मिलने जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें पैसा देने की फाइल पर दस्तखत भी कर दिए हैं. Hukumchand Mill lawyers fee