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Hingot Yudh 2022: आज होगा कलंगी और तुर्रा के बीच 'अग्नियुद्ध', आसमान में उड़ेंगे हिंगोट

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Published : Oct 26, 2022, 6:30 AM IST

दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के मौके पर हिंगोट युद्ध का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस बार दीवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण होने से यह आयोजन तीसरे दिन हो रहा है. इसमें आसमान में उड़ते हुए आग के गोले दो दल के लोग एक-दूसरे पर बरसाते हैं. इंदौर के गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध का आयोजन किया जाता है. (hingot yudh 2022) (hingot yuddha in indore after diwal) (know how hingot is prepared) (hingote war on 26 October in indore)

Hingot Yudh 2022
हिंगोट युद्ध 2022

इंदौर। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के दिन मध्यप्रदेश के कई इलाकों में हिंगोट युद्ध की परंपरा है. दीवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण के चलते इस बार गोवर्धन पूजा और हिंगोट युद्ध दोनों ही चीजें तीसरे दिन यानि की 26 अक्टूबर को होगी. इंदौर के गौतमपुरा में होने वाले हिंगोट युद्ध की तैयारी पूरी हो चुकी है. इस परंपारगत युद्ध बनाम खेल में ना किसी की हार होती है और ना किसी की जीत (Hingot Yuddha in indore after diwal). बस ये युद्ध भाई चारे का युद्ध होता है. जहां तुर्रा (गौतमपुरा) और कंलगी (रूणजी) नाम दो दल अपने पूर्वजों द्वारा दी गई इस पारंपरिक धरोहर को जीवित रखने के लिए 1 माह पूर्व नवरात्रि से ही हिंगोट (Hingot Yudh 2022) बनाने की प्रक्रिया में जुट जाते हैं. (hingot yudh 2022) (hingot yuddha in indore after diwali) (know how hingot is prepared) (hingote war on 26 October in indore)

जानिए कैसे तैयार होता है हिंगोट: हिंगोट युद्ध की ये परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. हिंगोट एक फल होता है. लोग लगभग एक माह पहले से कटीली झाड़ियों में लगने वाले हिंगोट को जमा करते हैं, उसके अंदर के गूदे को अलग कर दिया जाता है और उसके कठोर बाहरी आवरण को धूप में सुखाने के बाद उसके भीतर बारूद और कंकड़-पत्थर भरे जाते हैं. बारूद भरे जाने के बाद ये हिंगोट बम का रूप ले लेता है. इसके एक सिरे पर लकड़ी बांधी जाती है. इससे वह रॉकेट की तरह आगे जा सके. एक हिस्से में आग लगाने पर हिंगोट रॉकेट की तरह घूमता हुआ दूसरे दल की ओर बढ़ता है.

परंपरा के नाम पर 'अग्नियुद्ध', आसमान में खूब उड़े हिंगोट, जानिए कैसे होता है तैयार

एक-दूसरे पर बरसाते हैं आगे के गोले: हिंगोट युद्ध के दिन तुर्रा व कंलगी दल के योद्धा सिर पर साफा, कंधे पर हिंगोट से भरे झोले हाथ में ढाल एवं जलती लकड़ी लेकर दोपहर दो बजे बाद हिंगोट युद्ध मैदान की और नाचते गाते निकल पड़ते हैं (hingote war on 26 October in indore). भगवान देवनारायण मंदिर में दर्शन के बाद योद्धा मैदान में आमने-सामने खडे़ हो जाते हैं. शाम पांच बजे के बाद संकेत पाकर युद्ध आंरभ कर देते हैं. करीब दो घंटे तक चलने वाले इस युद्ध में सामने वाले योद्धा द्वारा फेके गए हिंगोट की चपेट में आये योद्धा का झोला जलता है. कई योद्धा घायल भी होते हैं. (know how hingot is prepared) दोनों दलों के योद्धा एक-दूसरे पर जमकर हिंगोट चलाते हैं.

200 साल पुराने हिंगोट युद्ध पर कोरोना का ब्रेक, इस बार नहीं होगा आयोजित

हिंगोट युद्ध की शुरुआत: आखिर हिंगोट युद्ध की शुरुआत कैसे, क्यों और कब हुई, इसका कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन किवदंती है कि सालों पहले गौतमपुरा क्षेत्र की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात जवान दूसरे आक्रमणकारियों पर हिंगोट से हमला करते थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक, हिंगोट युद्ध एक किस्म के अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था और उसके बाद इसके साथ धार्मिक मान्यताएं जुड़ती चली गईं. (hingote war on 26 October in indore) (know how hingot is prepared) (hingot yudh 2022) (hingot yudh in indore after diwali) (know how hingot is prepared) (hingote war on 26 October in indore)

इंदौर। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के दिन मध्यप्रदेश के कई इलाकों में हिंगोट युद्ध की परंपरा है. दीवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण के चलते इस बार गोवर्धन पूजा और हिंगोट युद्ध दोनों ही चीजें तीसरे दिन यानि की 26 अक्टूबर को होगी. इंदौर के गौतमपुरा में होने वाले हिंगोट युद्ध की तैयारी पूरी हो चुकी है. इस परंपारगत युद्ध बनाम खेल में ना किसी की हार होती है और ना किसी की जीत (Hingot Yuddha in indore after diwal). बस ये युद्ध भाई चारे का युद्ध होता है. जहां तुर्रा (गौतमपुरा) और कंलगी (रूणजी) नाम दो दल अपने पूर्वजों द्वारा दी गई इस पारंपरिक धरोहर को जीवित रखने के लिए 1 माह पूर्व नवरात्रि से ही हिंगोट (Hingot Yudh 2022) बनाने की प्रक्रिया में जुट जाते हैं. (hingot yudh 2022) (hingot yuddha in indore after diwali) (know how hingot is prepared) (hingote war on 26 October in indore)

जानिए कैसे तैयार होता है हिंगोट: हिंगोट युद्ध की ये परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. हिंगोट एक फल होता है. लोग लगभग एक माह पहले से कटीली झाड़ियों में लगने वाले हिंगोट को जमा करते हैं, उसके अंदर के गूदे को अलग कर दिया जाता है और उसके कठोर बाहरी आवरण को धूप में सुखाने के बाद उसके भीतर बारूद और कंकड़-पत्थर भरे जाते हैं. बारूद भरे जाने के बाद ये हिंगोट बम का रूप ले लेता है. इसके एक सिरे पर लकड़ी बांधी जाती है. इससे वह रॉकेट की तरह आगे जा सके. एक हिस्से में आग लगाने पर हिंगोट रॉकेट की तरह घूमता हुआ दूसरे दल की ओर बढ़ता है.

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एक-दूसरे पर बरसाते हैं आगे के गोले: हिंगोट युद्ध के दिन तुर्रा व कंलगी दल के योद्धा सिर पर साफा, कंधे पर हिंगोट से भरे झोले हाथ में ढाल एवं जलती लकड़ी लेकर दोपहर दो बजे बाद हिंगोट युद्ध मैदान की और नाचते गाते निकल पड़ते हैं (hingote war on 26 October in indore). भगवान देवनारायण मंदिर में दर्शन के बाद योद्धा मैदान में आमने-सामने खडे़ हो जाते हैं. शाम पांच बजे के बाद संकेत पाकर युद्ध आंरभ कर देते हैं. करीब दो घंटे तक चलने वाले इस युद्ध में सामने वाले योद्धा द्वारा फेके गए हिंगोट की चपेट में आये योद्धा का झोला जलता है. कई योद्धा घायल भी होते हैं. (know how hingot is prepared) दोनों दलों के योद्धा एक-दूसरे पर जमकर हिंगोट चलाते हैं.

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हिंगोट युद्ध की शुरुआत: आखिर हिंगोट युद्ध की शुरुआत कैसे, क्यों और कब हुई, इसका कहीं भी उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन किवदंती है कि सालों पहले गौतमपुरा क्षेत्र की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात जवान दूसरे आक्रमणकारियों पर हिंगोट से हमला करते थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक, हिंगोट युद्ध एक किस्म के अभ्यास के रूप में शुरू हुआ था और उसके बाद इसके साथ धार्मिक मान्यताएं जुड़ती चली गईं. (hingote war on 26 October in indore) (know how hingot is prepared) (hingot yudh 2022) (hingot yudh in indore after diwali) (know how hingot is prepared) (hingote war on 26 October in indore)

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