इंदौर। मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस (black fungus) के इलाज के लिए हिमाचल से खरीदे गए इंजेक्शन का इस्तेमाल अब नहीं किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश की कंपनी एफी फार्मा कंपनी से खरीदे गए इस इंजेक्शन के इस्तेमाल से मरीजों में कई प्रकार के साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं जिसके बाद डॉक्टरों ने इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है और इन इंजेक्शनों को वापस लौटाने का फैसला लिया गया है.
- 25 हजार इंजेक्शन सप्लाई का आर्डर
एमपी में ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर औद्योगिक केंद्र विकास निगम ने हिमाचल प्रदेश की कंपनी एफी फार्मा को प्रदेश के अस्पतालों में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए करीब 25 हजार इंजेक्शन सप्लाई का आर्डर दिया था इसके बाद इंदौर एयरपोर्ट पर 12240 इंजेक्शन की खेप पहुंची थी. इंदौर में भी करीब 3000 इंजेक्शन स्थानीय मरीजों के लिए रखे गए थे जबकि शेष इंजेक्शन सागर, ग्वालियर, उज्जैन और जबलपुर मेडिकल कॉलेजों के लिए भेजा गया था. इन इंजेक्शनों को एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इसके इस्तेमाल के मरीजों में कई प्रकार से साइड इफेक्ट्स देखने को मिले हैं.
- मरीजों में किस प्रकार के दिखे साइड इफेक्ट्स
इस इंजेक्शन के कारण ब्लैक फंगस के मरीजों में उल्टी दस्त और ठंड लगने की समस्या आई थी और इस प्रकार के लक्षण 30-40 फीसदी मरीजों में देखने को मिला था. जिसके बाद इंदौर संभाग आयुक्त ने भी इस इंजेक्शन को मरीजों में इस्तेमाल नहीं करने की औपचारिक घोषणा कर दी है. हालांकि यह इंजेक्शन एंफोटरइसिन बी इंजेक्शन की तुलना में काफी सस्ता था जिसकी कीमत 300 रुपए के करीब है.
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- एड्स के इलाज मेे भी इस्तेमाल इंजेक्शन
इंदौर संभाग आयुक्त डॉ पवन शर्मा के मुताबिक, इंदौर में फिलहाल ब्लैक फंगस के 346 मरीज भर्ती हैं जिनके लिए यह इंजेक्शन खरीदे गए थे, लेकिन अब इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स सामने आ रहे हैं तो इसे अब आगे नहीं मंगाया जाएगा और न ही इंजेक्शन मरीजों को लगाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि यह इंजेक्शन एड्स के रोगी में भी उपयोग किए जाते हैं. कुछ साइड इफेक्ट होने के बाद मरीज नॉर्मल हो जाता है, लेकिन अब अधिकांश मरीजों में साइड इफेक्ट्स देखने के कारण उक्त इंजेक्शन नहीं लगाए जाएंगे.