इंदौरा। पशु क्रूरता के मामले में दायर याचिका पर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में शुक्रवार को सुनवाई हुई. जहां बछड़ों की अस्पताल में सेवा करने और दस-दस हजार इलाज के लिए देने की शर्त पर चारों आरोपियों को जमानत दे दी है. बता दें कि पिछले दिनों पुलिस ने ट्राले को पकड़ा था, जिसमें तकरीबन 59 बछड़ों को भरकर ले जाया जा रहा था. इस पूरे मामले में कार्रवाई करते हुए मोहम्मद अकरम सहित चार लोगों के खिलाफ पुलिस ने गोवंश अत्याचार, पशु क्रूरता अधिनियम के तहत केस दर्ज करते हुए गिरफ्तार किया था.
कार्रवाई के बाद से चारों आरोपी 3 महीने से जेल में बंद है. चारों आरोपियों ने जमानत के लिए अधिवक्ता मनीष यादव ने हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जमानत याचिका प्रस्तुत की थी. जिसपर सुनवाई करते हुए आरोपियों को शर्त पर जमानत दी. रविवार को कोर्ट का ऑर्डर मिलने पर चारों जेल से रिहा कर दिया गया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक चारों आरोपी पशु चिकित्सालय अस्पताल जाएंगे और वहां देखेंगे कि जानवरों को किस पीड़ा से होकर गुजरना होता है. साथ ही मवेशियों के इलाज के लिए दस-दस हजार भी देना होंगे.
सुनवाई के दौरान वकील से ही मांगे सुझाव
एक ट्राली में 59 बछड़ों को भर ले जाने के मामले में जब हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में बहस चल रही थी, तो कोर्ट ने वकीलों से ही पूछा कि आखिर आरोपियों को किस तरह की सजा दी जाए. इस पर विभिन्न तरह के सुझाव आए. जिसमें कोविड-19 के कोष में पैसा जमा कराने के साथ ही गौशाला में सेवा देने के सुझाव भी कोर्ट के समक्ष वकीलों के द्वारा रखे गए, लेकिन वकीलों के द्वारा दिए गए सुझावों को दरकिनार करते हुए कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी कि आरोपी पशु चिकित्सालय अस्पताल जाएंगे और वहां पर पशुओं को होने वाली पीड़ा को देखेंगे.
जमानत के लिए यह रखे तर्क
आरोपी पक्ष की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव ने जमानत याचिका प्रस्तुत की गई थी. वही जमानत याचिका में इस बात का उल्लेख किया गया था कि जिन बछड़ों को ट्राली में भरकर ले जाया जा रहा था. उन्हें वध के लिए नहीं बल्कि मंडी में बेचने के लिए ले जाया जा रहा था. वहीं पुलिस की ओर से यह पक्ष रखा गया था कि ट्राले में ठूस ठूसकर बछड़े भरे हुए थे. जिसमें से कई बछड़े बुरी तरह से जख्मी हो गए थे. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपियों को सशर्त जमानत दी है.