इंदौर। खासगी ट्रस्ट को देखभाल के लिए दी गई संपत्ति को बेचे जाने के मामले में हाईकोर्ट में दायर की गई शासन की याचिका पर इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि ट्रस्ट व ट्रस्टी को 26 राज्यों में 250 संपत्ति केवल देखभाल के लिए मिली थीं. इन संपत्तियों को कौड़ियों के दाम बेचा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस काम के लिए ट्रस्ट ने सप्लीमेंट्री डीडी बना ली थी जो पूरी तरह गलत है, इसे शून्य किया जाता है.
खासगी ट्रस्ट की 26 राज्यों में 250 से ज्यादा संपत्तियां हैं. इन संपत्तियों से जो कमाई होती है, वो शासन के पास जाती है. शासन देखभाल के लिए दो लाख 93 हजार रुपए जारी करता है. ट्रस्ट संपत्तियों की देखभाल करता है, लेकिन तीन दशक पहले सप्लीमेंट्री डीडी बनाई गई और संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया गया.
संपत्तियों में इंदौर में जूना गणेश मंदिर, बिजासन मंदिर, मार्तंडा मंदिर, महेश्वर में किला, महाराष्ट्र के चांद बाड़ा में रंग महल, हरिद्वार का कुशावर्त घाट, भिंड में आलम गिरी की छतरी शामिल हैं. ट्रस्ट ने इन सभी संपत्तियों को सप्लीमेंट्री डीडी बनाकर बेचना शुरू कर दिया था. जिसको लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका लगी और याचिका पर फैसला देते हुए कोर्ट ने ट्रस्ट के द्वारा जो फैसले लिए गए थे, उन्हें शून्य घोषित कर दिया गया. वहीं हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव वित्त विभाग के प्रमुख सचिव संभागयुक्त व कलेक्टर की कमेटी गठित की है. ये कमेटी संपत्ति खरीद और बेचे जाने की जांच करेगी. इसमें किसी तरह की लापरवाही मिलती है तो आपराधिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ को पूरा मामला सौंपा जाएगा. वहीं कोर्ट ने सम्भागयुक्त को आदेश दिए हैं कि हरिद्वार में कुशावर्त घाट सहित जितनी भी संपत्ति बेची हैं, उन्हें वापस लेने का प्रयास करें.