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श्रम कानून में फेरबदल को लेकर लगी याचिका पर इंदौर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

श्रम कानून में हुए विभिन्न तरह के फेरबदल को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी उसी की सुनवाई की सुनवाई में कोर्ट ने मामले में संबंधित विभाग को नोटिस भी जारी हुए हैं और 4 सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए है.

Indore
इंदौर हाईकोर्ट
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Published : Jan 29, 2021, 6:47 AM IST

इंदौर। हाई कोर्ट में श्रम कानून में विभिन्न तरह के फेरबदल हुए हैं, उन्हीं फेरबदल को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में एक याचिका लगी हुई थी. उस याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई होने के बाद इस पूरे मामले में संबंधित विभाग को नोटिस भी जारी हुए हैं और 4 सप्ताह में जवाब देने के आदेश भी दिए गए हैं.

श्रम कानून में पिछले दिनों विभिन्न तरह के फेरबदल हुए हैं और उसी कानून में फेरबदल को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका के माध्यम से विभिन्न तरह के प्रश्न भी खड़े किए गए हैं. बता दें, याचिकाकर्ता की ओर से इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष यह प्रश्न खड़े किए गए हैं कि जो न्यूनतम वेतन अधिनियम है उसमें क्लेम डिसाइड करने के लिए पदाधिकारी नियुक्त होता है, यह अधिकार पहले से 1962 से श्रम न्यायालय को थे, लेकिन श्रम न्यायालय में पदस्थ अधिकारियों ने भी इन अधिकारों को अपने पास रख लिया था और वह खुद न्यूनतम वेतन अधिनियम पर क्लेम डिसाइड कर रहे थे, जो उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं था. क्लेम डिसाइड करने का अधिकार सिर्फ न्यायालय को होता है और किसी को नहीं, अतः इन्हीं सब बातों को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगी और याचिका की सुनवाई करते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगे हैं.

फिलहाल देखना होगा कि आने वाले समय में इस पूरे ही मामले में संबंधित पक्ष किस तरह के जवाब इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करता है. इंदौर हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश संबंधित पक्षों को दिए है.

इंदौर। हाई कोर्ट में श्रम कानून में विभिन्न तरह के फेरबदल हुए हैं, उन्हीं फेरबदल को लेकर इंदौर हाईकोर्ट में एक याचिका लगी हुई थी. उस याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई होने के बाद इस पूरे मामले में संबंधित विभाग को नोटिस भी जारी हुए हैं और 4 सप्ताह में जवाब देने के आदेश भी दिए गए हैं.

श्रम कानून में पिछले दिनों विभिन्न तरह के फेरबदल हुए हैं और उसी कानून में फेरबदल को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में एक याचिका के माध्यम से विभिन्न तरह के प्रश्न भी खड़े किए गए हैं. बता दें, याचिकाकर्ता की ओर से इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष यह प्रश्न खड़े किए गए हैं कि जो न्यूनतम वेतन अधिनियम है उसमें क्लेम डिसाइड करने के लिए पदाधिकारी नियुक्त होता है, यह अधिकार पहले से 1962 से श्रम न्यायालय को थे, लेकिन श्रम न्यायालय में पदस्थ अधिकारियों ने भी इन अधिकारों को अपने पास रख लिया था और वह खुद न्यूनतम वेतन अधिनियम पर क्लेम डिसाइड कर रहे थे, जो उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं था. क्लेम डिसाइड करने का अधिकार सिर्फ न्यायालय को होता है और किसी को नहीं, अतः इन्हीं सब बातों को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में याचिका लगी और याचिका की सुनवाई करते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगे हैं.

फिलहाल देखना होगा कि आने वाले समय में इस पूरे ही मामले में संबंधित पक्ष किस तरह के जवाब इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करता है. इंदौर हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में 4 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश संबंधित पक्षों को दिए है.

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