इंदौर। धर्म पालन के साथ-साथ यदि पर्यावरण की चिंता भी की जाए तो परिणाम बेहतर आने की उम्मीद की जा सकती है. ऐसा ही कुछ गणेश विसर्जन के दौरान इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में देखने को मिला. विश्वविद्यालय के आरएनटी मार्ग क्षेत्र में मिट्टी और गोबर की गणेश प्रतिमा स्थापित की गई थी, जिन्हें आज पारंपरिक विधि विधान के साथ परिसर में ही गड्ढा खोदकर उसी में विसर्जित कर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया गया.
विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्टार प्रज्वल खरे ने गणपति विसर्जन करते हुए एक बेल का पौधा भी उसी गड्ढे में लगाया और सभी लोगों को शपथ भी दिलाई कि आने वाले सालों में भी इसी तरह से भगवान गणेश की स्थापना करते हुए पर्यावरण का एक बेहतर संदेश देंगे.
जहां सभी जगह मूर्तियों का विसर्जन नदी, तालाब में किया जाता है, साथ ही पीओपी और अन्य सामग्री से बनी मूर्तियां स्थापित की जाती हैं, जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाती हैं, ऐसे में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के साथ ही पर्यावरण प्रेमियों का मिट्टी और गोबर से बनी प्रतिमाओं को बढ़ावा देना और इस तरह से विसर्जन करना सराहनीय पहल है.