इंदौर। वोटर आईडी से लेकर आय मूल निवास प्रमाण पत्र व आधार कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेज बनवाने में जहां लोगों के पसीने छूट जाते हैं, पर एक गिरोह ऑनलाइन ऑर्डर पर ही एक दिन में ये सभी दस्तावेज उपलब्ध करा रहा था. जिला प्रशासन को मिली सूचना के आधार पर जब छापेमारी की गई तो पता चला कि एक फोटो कॉपी की दुकान से नकली वोटर आईडी से लेकर तमाम जरूरी दस्तावेज ₹300 से लेकर ₹2000 में हाथो-हाथ बनाकर दिए जा रहे थे, पुलिस ने दो (Fake Document Making Gang) आरोपियों को गिरफ्तार किया है, आशंका जताई जा रही है कि इस गोरखधंधे में करीब 600 से ज्यादा लोग शामिल हैं, जिनके कारनामों की पड़ताल शुरू कर दी गई है.
जिला निर्वाचन कार्यालय (District Election Office) को सूचना मिली थी कि शहर के हवा बंगला क्षेत्र में एक फोटो कॉपी (Photo Copy) की दुकान पर एक दिन में वोटर आईडी बनाकर दिए जा रहे हैं, इसके बाद एसडीएम प्रतुल सिन्हा ने दो तहसीलदारों को भेजकर मौके पर जांच कराई तो पता चला कि एक फोटो कॉपी की दुकान से नकली वोटर आईडी जारी किये जा रहे हैं. लिहाजा छापेमारी कर दुकान का लैपटॉप, मोबाइल डोंगल कंप्यूटर और सीपीयू जब्त कर लिया है, मौके पर दो वोटर आईडी भी मिले हैं, जिसमें एक खरगोन का था और दूसरा इंदौर के राऊ विधानसभा क्षेत्र का था. दोनों कार्डों की जांच में पता चला कि दोनों पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी के रूप में एक जैसे हस्ताक्षर थे, इतना ही नहीं दोनों जिले के अधिकारियों के हस्ताक्षर भी हूबहू मिले हैं, इंदौर जिले के कार्ड पर निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण लिखा होना पाया गया.
फर्जी कार्ड (Fake Adhar Card) बनाने वाले नरेंद्र शिरसाट ने पूछताछ में बताया कि ब्रह्मानंद और नरेंद्र शर्मा ये कार्ड बनाते हैं, जो प्रिंटिंग के लिए उनके पास भेजते हैं, तत्काल प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया, उससे पूछताछ में पता चला कि नकली वोटर आईडी से लेकर आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मूल निवासी, आधार कार्ड आदि बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल चल रहा है, इस पोर्टल में काम करने के लिए ₹600 में यूजर आईडी पासवर्ड मिल जाता है, इसके बाद पोर्टल पर ये दस्तावेज बनवाने के लिए लिंक खुलती हैं, जिन पर आवेदक की डिटेल डालने पर एडिट फॉर्म में दस्तावेज प्राप्त हो जाता है, जिसे संबंधित फोटो कॉपी की दुकान पर प्रिंटिंग और लेमिनेशन के लिए भेजा जाता था.
इसी दुकान से आवेदकों को एक ही दिन में संबंधित दस्तावेज हाथों-हाथ मुहैया करा दिए जाते थे, लिहाजा इस ग्रुप के जरिए कितने नकली प्रमाण पत्र (Fake Certificate) जारी कर दिए गए हैं, इसकी भी पड़ताल की जा रही है, इंदौर जिला प्रशासन और निर्वाचन कार्यालय की शिकायत पर पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ धारा 420 467 468 के अलावा आईटी एक्ट में प्रकरण दर्ज किया है, पता चला है कि सिर्फ इंदौर ही नहीं ऑनलाइन गिरोह (Online Gang) के तार विभिन्न शहरों में पहले से ही एक्टिव हैं, जहां से बड़ी संख्या में जरूरतमंदों को नकली दस्तावेज बनाकर दिए गए हैं.
नकली प्रमाण पत्रों के ग्रुप में 240 सदस्य
दोनों आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए यह लिंक मिली थी, इस ग्रुप में करीब 240 सदस्य हैं, इनमें से अधिकांश लोग इस लिंक से जुड़े हुए हैं, जिस पर जरूरत के मुताबिक प्रमाण पत्र (Fake Certificat Gang) प्राप्त करने की सुविधा दी गई थी, अब आशंका जताई जा रही है कि इस ग्रुप के कई लोग अवैध दस्तावेज तैयार करके लोगों को दे चुके हैं. अब उनका पता लगाना भी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.
डॉ. प्रशांत चौबे एडिशनल एसपी ने बताया कि थाना द्वारकापुरी में ब्रह्मानंद और नरेंद्र को धारा 420, 467, 468, 470 व आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है, निर्वाचन कार्यालय को पता चला था कि दो आरोपी फर्जी सरकारी दस्तावेज बनाने का काम करते हैं, तहसीलदार को भेजकर जिसकी जांच कराई गई, जांच में कई फर्जी आईडी की पहचान की गई, जिसके बाद पुलिस में मामला दर्ज कराया गया, उसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई, आरोपियों ने बताया कि एक पोर्टल के माध्यम से आरोपी 300 से 1500 रूपए लेकर फर्जी दस्तावेज जारी करते थे. उनके पास से डोंगल आदि जब्त किया गया है.