इंदौर। ट्रेजडी किंग नाम से मशहूर कलाकार दिलीप कुमार आज भले ही हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी यादें करोड़ों लोगों के दिल में ताजा हैं. तमाम शोहरत और पहचान बनाने के बाद भी वह जमीन से जुड़े हुए अभिनेता थे. आम लोगों के प्रति उनके व्यवहार और जिंदादिली की काफी चर्चा होती है. दिलीप कुमार का इंदौर से एक खास लगाव भी था. 1950 में वह इंदौर में पहली बार शूटिंग के लिए आए थे. जिसके बाद उन्हें यहां के जायके का ऐसा चस्का लगा कि मुंबई में रहने के बाद भी वह इंदौर से अपने लिए पकवान मंगाते थे. तमाम जिंदगी मुंबई के गुजारने के बाद भी वह अपना इंदौर कनेक्शन कभी भुला न सकें. आप भी जानिए ट्रेजडी किंग का इंदौर कनेक्शन...
1950 में पहली बार शूटिंग के लिए इंदौर आए
साल 1950 में दिलीप कुमार पहली बार इंदौर पहुंचे, वह 'आन' फिल्म की शूटिंग के लिए आए थे. फिल्म निर्माता नादिरा की इस पहली फिल्म की पूरी शूटिंग इंदौर में हुई. शहर के नौलखा पुल के पास कई सीन शूट किए गए. इसके अलावा होलकर काल में राजसी वैभव का केंद्र रहे लालबाग पैलेस में भी दिलीप कुमार की फिल्म की शूटिंग हुई थी. लालबाग परिसर के पीछे दिलीप कुमार का एक चर्चित सीन भी फिल्माया गया था. 'आन' फिल्म में घोड़े पर चलते हुए दिलीप कुमार कुछ गाने गाते नजर आते हैं, वह लालबाग परिसर और नौलखा पुलिस के पास के ही इलाके हैं.
लालबाग पैलेस का दरवाजा था पसंद
'आन' फिल्म की शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार को लालबाग पैलेस का दरवाजा बेहद पसंद आया. जिसके बाद उन्होंने भी इसी तरह का गेट बनवाने की इच्छा जताई. इंदौर के लालबाग पैलेस जैसा दरवाजा बनाने के लिए इंदौर के एक फैब्रिकेटर नूर मोहम्मद को बुलाया गया था. दिलीप कुमार के कहने पर नूर मोहम्मद ने ही उनके बंगले के लिए तीन टन वजन का भारी-भरकम गेट बनाया था. यह गेट आज भी मुंबई स्थित उनके बंगले के बाहर लगा है, जो बिलकुल लालबाग पैलेस के दरवाजे की तरह दिखता है.
जमीन से जुड़े अभिनेता थे दिलीप कुमार
नूर मोहम्मद बताते हैं कि जब वह गेट बनाने का ऑर्डर लेने 1994 में मुंबई गए थे, तब दिलीप कुमार साहब ने खुद उनका स्वागत किया. नूर बताते हैं कि दिलीप कुमार ने दो बार अपने हाथों से उन्हें चाय बनाकर भी पिलाई थी. इसके बाद नूर मोहम्मद ने दिन-रात मेहनत करके राजसी पैटर्न का गेट बनाया. दिलीप कुमार के दुनिया से जाने के बाद फैब्रिकेटर नूर महम्मद ने ईटीवी भारत से यह वाक्या साझा किया.
इंदौर का 'जायका' भुलाए नहीं भूला
दिलीप कुमार खानपान के बड़े शौकीन थे. 1950 में पहली बार उन्होंने इंदौरी जायका चखा, और इसके बाद वह यहां के दीवाने हो गए. बताया जाता है कि दिलीप कुमार को इंदौर की खास मिठाई बालूशाही बेहद पसंद थी. इंदौर का नॉन-वेज फूड भी दिलीप कुमार को काफी अच्छा लगता था, तभी तो मुंबई में रहने के बाद भी वह इंदौर से अपने लिए बालूशाही और नॉन-वेज मंगाते थे. फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे मुंबई स्थित दिलीप कुमार के बंगले पर इसे पहुंचाते थे. दिलीप कुमार के लिए इंदौर से एक टिफिन फ्लाइट के जरिए मुंबई पहुंचाया जाता था.
चुनाव प्रचार के लिए आए थे इंदौर
1971 में पहली बार दिलीप कुमार चुनाव प्रचार के लिए इंदौर आए थे. उन्होंने कांग्रेस के पूर्व मंत्री प्रकाश चंद्र सेठी के लिए प्रचार किया था. जहां उन्होंने शिवाजी प्रतिमा के पास अपने अंदाज में प्रचार-प्रसार और विशाल जनता को संबोधित किया. फिल्मों में सरल किरदार निभाने वाले दिलीप कुमार से आम आदमी आसानी से जुड़ जाता था. इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान वह जो कहना चाहते थे, जनता उसे भली-भांति समझ गई थी.
धार का जहाज महल भी था पसंद
धार स्थित जहाज महल दिलीप कुमार के पसंदीदा स्थानों में से एक है. दिलीप कुमार एक बार यहां फिल्म की शूटिंग करने भी पहुंचे थे. इसके अलावा दिलीप कुमार की चर्चित फिल्म 'नया दौर' की शूटिंग भी बुधनी के पास गडरिया नाले पर हुई थी. जहां उन दिनों दिलीप कुमार के तांगे को निकालने के लिए लकड़ी का पुल बनाया गया था. उस दौरान बलदेव राज चोपड़ा की फिल्म की शूटिंग देखने के लिए क्षेत्र के सैकड़ों लोग सेट पर जमा हुए थे. इसके बाद यहां दिलीप कुमार की शूटिंग हुई थी. बुधनी में फिल्माया गया यह सीन आज भी फिल्म जगत का सबसे रोचक सीन बताया जाता है.