इंदौर। दीपावली के पूर्व भगवान धन्वंतरि का पूजन धनतेरस पर विधि विधान से किया जाता है. इंदौर में एक ऐसा मंदिर है, जहां देश विदेश के वेद एवं चिकित्सक जटिल रोगों के इलाज के लिए अपनी अपनी जड़ी बूटियों को सिद्ध कराने पहुंचते हैं. यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है. इसकी स्थापना आचार्य विनोबा भावे की अगुवाई में की गई थी. इसके बाद होलकर राजपरिवार के राज वैद्य स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण त्रिवेदी इस मंदिर के उत्तराधिकारी रहे. (dhanteras 2022)
जड़ी बूटी भगवान धन्वंतरि से करवाते हैं सिद्धि: हर साल प्रतिवर्ष इंदौर के आड़ा बाजार स्थित भव्य मंदिर में भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा का जड़ी बूटियों से अभिषेक किया जाता है. मंदिर को लेकर मान्यता यह है कि यहां धनतेरस पर सिद्ध कराई जाने वाली जड़ी बूटी और औषधियां किसी भी मरीज के लिए जटिल से जटिल बीमारी में कारगर साबित होती है. लिहाजा विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के तमाम विशेषज्ञ डॉक्टर हर साल धनतेरस पर यहां अपनी-अपनी जड़ी बूटी भगवान धन्वंतरी के चरणों में रखकर उनकी सिद्धि की प्रार्थना करते हैं. (dhanvantari worship on dhanteras in indore)
इंदौर के मंदिर में होती है दवाइयां सिद्ध: ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में रखी जाने वाली दवाएं और जड़ी बूटियों से संबंधित मरीजों का कारगर इलाज हो जाता है. इसके अलावा यह दवाइयां सिद्ध होने के बाद संबंधित रोग पर प्रभावी असर करती है. मंदिर के पुजारी मानवेंद्र द्विवेदी बताते हैं कि धनतेरस पर गंभीर बीमारियों की दवाइयां भगवान धन्वंतरि के सामने रखी जाती है, इसमें कई एलोपैथी के डॉक्टर भी रहते हैं जिससे कि असाध्य रोगों में फायदा मिलता है. (indore dhanvantari temple)
होलकर कालीन प्राचीन मंदिर: इस मंदिर का निर्माण आजादी के पूर्व आचार्य विनोबा भावे और इंदौर के होल्कर शासकों ने करीब 200 साल पूर्व कराया था. उस समय भी मान्यता यही थी कि भगवान धन्वंतरी के मंदिर में उपलब्ध रहने वाले राजवेद की मदद से होलकर रियासत के लोगों का उपचार हो सके. इस दौरान तत्कालीन होलकर शासक भी अपने इलाज एवं चिकित्सकीय देखभाल के लिए मंदिर पहुंचते थे. धनतेरस पर यहां ऐसे मरीज भी पहुंचते हैं जो जटिल बीमारियों से परेशान हो चुके हैं. इस दौरान मंदिर में श्रद्धालु विधि विधान से पूजन अर्चन कर के अच्छे स्वास्थ्य की कामना भी करते हैं. (dhanvantari temple where medicines accomplish)