इंदौर। दुनिया भर में शुद्ध वायु और ऑक्सीजन को लेकर बढ़ती चुनौती के बीच अब घर-घर में ताजे फलों से इम्यूनिटी बढ़ाने की कोशिश हो रही है. यही वजह है कि देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब तत्काल फल देने वाले पौधों की मांग लगातार बढ़ रही है, प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में स्थिति यह है कि इंस्टेंट फ्रूट प्लांट की मांग साल भर में दोगुनी हो चुकी है.
इन फलों से पूरी होगी इम्यूनिटी की दरकार
शहर की विभिन्न प्लांट नर्सरीयों में फलों से लदे यह नन्हे पौधे अब घर-घर में फलों की दैनिक जरूरतों की पूर्ति का जरिया बन रहे हैं. दरअसल, बीते साल भर में इनकी मांग दोगुने हो चुकी है. वजह साफ है कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को न तो ताजा फल मिल सके और न ही सब्जियों की आपूर्ति सुनिश्चित हो पाई. इसके अलावा कोरोना के बचाव के लिए अब जबकि विटामिन सी और इम्यूनिटी की खासी दरकार महसूस हो रही है, तो लोग विटामिन की पूर्ति सहज उपलब्ध फलों से करना चाहते हैं.
पौधों की बढ़ी मांग
दरअसल, यही वजह है कि इन दिनों नर्सरियों में ऐसे पौधों की मांग है, जो तत्काल फल देने वाले हैं. बीते साल भर में ही ऐसे पौधों के दाम 50 और 100 रुपए की कीमत से बढ़कर 1000 से 5 हजार तक हो चुके हैं. इन पौधों की कीमत उनकी ऊंचाई और फलों की उपलब्धता और जिस शैली में पौधे लगे हैं उसके अनुसार ही तय होती है.
देसी विदेशी फलों के पौधे भी बाजार में
भारतीय उद्यानिकी में अब तक देसी फलों को ही प्राथमिकता मिलती रही है, लेकिन अब तरह-तरह के फलों के प्रति लोगों के बढ़ते आकर्षण के कारण निजी क्षेत्र की नर्सरियों में विदेशी फलों के पौधों की भी आवक लगातार बढ़ रही है. इनमें एवोकैडो, लीची, स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, पेपिनो, कमरख, लुकाट, फालसा, खूबानी, किन्नू, आलू बुखारा सहित करीब 50 तरह के फल हैं, जो अब तक नीदरलैंड, इजरायल, श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड और कैलिफोर्निया में मिलते थे. मध्य प्रदेश की नदियों का लावा उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर हाइब्रिड फलों के पौधे और कटिंग बर्डिंग के जरिए पुराने पौधों से नए पौधे तैयार किए जा रहे हैं.