इंदौर। इंदौर के चिड़ियाघर मे फिलहाल 14 टाइगर हैं, जिनकी संख्या तेजी से बढ़ी है. जबकि देश के अन्य चिड़ियाघरों में टाइगरों की संख्या तुलनात्मक रूप से घटी है. हाल ही में यहां भुवनेश्वर से लाए गए ब्लैक टाइगर को वाइट टाइगर के साथ क्रॉस कराया गया था. कोशिश यही थी कि ब्लैक और वाइट टाइगर के क्रॉस की जेनेटिक इंजीनियरिंग के फलस्वरूप दुर्लभ रंग के शावक पैदा होंगे. हाल ही में परिणाम भी ऐसा ही आया.
इस तरह के टाइगर देश में कहीं और नहीं : इंदौर प्राणी संग्रहालय में सफेद टाइगर रोशनी ने जिन शावकों को जन्म दिया, उनमें एक ब्लैक एंड वाइट है, जबकि दूसरा ट्राई कलर होते हुए येलो ब्लैक और वाइट कलर का है. तीसरा मेलेस्टिक येलो कलर का है. चिड़ियाघर के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव बताते हैं कि टाइगर में इस तरह के रंगों का बदलाव रिसेसिव जींस के कारण होता है. अलग-अलग रंगों के टाइगर की क्रॉसिंग से जींस में बदलाव के कारण अलग-अलग रंगों के शावक जन्म लेते हैं. यहां पर हाल ही में जिस शावक ने ब्लैक के फिजिकल अपीरियंस के साथ जन्म लिया है, वह बड़ा होकर काफी आकर्षक दिखेगा.इसके अलावा तीनों बच्चे अपने रंगों के लिहाज से दुर्लभ हैं क्योंकि इस तरह के शावक देश के किसी भी प्राणी संग्रहालय में नहीं हैं.
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14 टाइगर पर सालाना 55 लाख का खर्च : इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में फिलहाल 14 टाइगर हैं. इनमें से 12 टाइगर ने यहीं जन्म दिया है, जिनके वीआईपी ट्रीटमेंट और खाने खिलाने पर हर साल नगर निगम 55 लाख रुपए खर्च करता है. इसमें से 10 लाख सिर्फ डाइट पर खर्च हो रहे हैं. इंदौर के चिड़ियाघर में तीन रंगों के शावक हैं जिसमें वाइट टाइगर रागिनी ने जिन 3 बच्चों को जन्म दिया है. गुरुवार को इसमें से एक शावक की मौत हो गई है. (Country first zoological museum Indore) (Indore Zoo where three colored tigers) (Ragini gave birth to three rare cubs)