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सिंबायोसिस इंस्टीटयूट ऑफ साइंस के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए राज्यपाल लालजी टंडन

इंदौर के सिंबायोसिस इंस्टीटयूट ऑफ साइंस के दीक्षांत समारोह में प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन सहित शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी मौजूद रहे.

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दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल लालजी टंडन
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Published : Dec 1, 2019, 6:27 PM IST

इंदौर। सिंबायोसिस इंस्टीटयूट ऑफ साइंस के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल लालजी टंडन मौजूद रहे. लालजी टंडन ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में डिजिटल शिक्षा सदियों से है, लालजी टंडन ने कहा सदियों से भारत की प्राचीन शिक्षा की बदौलत ही देश विश्व गुरु कहलाता रहा है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने में हमें ऐसा सिस्टम मिला, जिसके चलते हमारी पीढ़ियां सिर्फ नौकर और बाबू बन कर रह गई.

दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल लालजी टंडन

आधुनिक दौर में नए-नए शिक्षा के केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनका ये दायित्व बनता है कि वो समाज के लिए ऐसे युवा तैयार करें, जो भारत के शिल्पकार साबित हो सकें. वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि, आज के युवाओं को डिग्री आधारित शिक्षा नहीं बल्कि अपनी रुचि, ज्ञान और अपने भविष्य के अनुरूप शिक्षा का चयन करना चाहिए.

इस मौके पर सिंबायोसिस यूनिवर्सिटी पुणे के प्रबंधन के अलावा इंदौर कैंपस के तमाम शिक्षाविद और शहर के प्रबुद्ध नागरिक और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु जैन आदि उपस्थित रहे.

इंदौर। सिंबायोसिस इंस्टीटयूट ऑफ साइंस के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल लालजी टंडन मौजूद रहे. लालजी टंडन ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में डिजिटल शिक्षा सदियों से है, लालजी टंडन ने कहा सदियों से भारत की प्राचीन शिक्षा की बदौलत ही देश विश्व गुरु कहलाता रहा है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने में हमें ऐसा सिस्टम मिला, जिसके चलते हमारी पीढ़ियां सिर्फ नौकर और बाबू बन कर रह गई.

दीक्षांत समारोह में पहुंचे राज्यपाल लालजी टंडन

आधुनिक दौर में नए-नए शिक्षा के केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं, जिनका ये दायित्व बनता है कि वो समाज के लिए ऐसे युवा तैयार करें, जो भारत के शिल्पकार साबित हो सकें. वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि, आज के युवाओं को डिग्री आधारित शिक्षा नहीं बल्कि अपनी रुचि, ज्ञान और अपने भविष्य के अनुरूप शिक्षा का चयन करना चाहिए.

इस मौके पर सिंबायोसिस यूनिवर्सिटी पुणे के प्रबंधन के अलावा इंदौर कैंपस के तमाम शिक्षाविद और शहर के प्रबुद्ध नागरिक और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु जैन आदि उपस्थित रहे.

Intro:इंदौर, जिस डिजिटल क्रांति के माध्यम से आज दुनिया भर में तकनीकी और शैक्षणिक विकास के दावे किए जा रहे हैं उस दिन तक क्रांति को प्रदेश के राज्यपाल ने भारतीय प्राचीन साहित्य और शिक्षा की देन बताया है Body:आज इंदौर के सिंबायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल डॉ लालजी टंडन ने अपने संबोधन में कहा भारत में डिजिटल शिक्षा सदियों से थी, हमारे पौराणिक ग्रंथ जोकि आक्रांताओं द्वारा बार-बार जला दिए जाने के बाद श्रुति और स्मृतियों की बदौलत फिर से लिख दिए गए दरअसल उस दौरान दिमाग में रखी जाने वाली श्रुति और स्मृति की बदौलत हुआ वास्तविकता में श्रुति और स्मृति ही डिजिटल क्रांति का प्राचीन रूप था, डॉ टंडन ने कहा सदियों से भारत की प्राचीन शिक्षा की बदौलत ही देश विश्व गुरु कहलाता रहा है लेकिन अंग्रेजों के कालखंड में हमें मैकाले का ऐसा सिस्टम मिला जिसके जरिए हमारी पीढ़ियां सिर्फ नौकर और बाबू बन कर रह गई अब आधुनिक दौर में जो नए-नए शिक्षा केंद्र स्थापित हो रहे हैं उनकी जिम्मेदारी है कि वे समाज के लिए ऐसे युवा तैयार करें जो आधुनिक और विश्व गुरु बनने वाले भारत के शिल्पकार साबित हो सकें, इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि आज के युवाओं को डिग्री आधारित शिक्षा की नहीं बल्कि अपनी रुचि ज्ञान और अपने भविष्य के अनुरूप शिक्षा का चयन करना चाहिए उन्होंने अपने वक्तव्य में तीन कहानियों के माध्यम से बताया कि देश के जिन सफल व्यक्तित्व ने अपने-अपने क्षेत्रों में मुकाम हासिल किया वह अपनी रुचि की बदौलत ही ऐसा कर पाए इसलिए युवाओं को उस दिशा में ज्यादा सोचना चाहिए जिस दिशा में आगे बढ़ने के लिए उनका मन कहता है इस अवसर पर सिंबायोसिस यूनिवर्सिटी पुणे के प्रबंधन के अलावा इंदौर कैंपस के तमाम शिक्षाविद और शहर के प्रबुद्ध नागरिक एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति रेणु जैन आदि गणमान्य नागरिक उपस्थित थेConclusion: एक्सटेंशन डॉ लालजी टंडन राज्यपाल मध्यप्रदेश
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