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जरूरी खबर: बच्चों पर गहरा रहा मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम का खतरा

इंदौर में कोरोना की तीसरी लहर से पहले अब बच्चे मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम की चपेट में आ रहे हैं. शहर में अब तक इस सिंड्रोम की वजह से चार बच्चों की मौत भी हो चुकी है.

children at risk of multi system inflammatory syndrome in indore
बच्चों पर गहराया मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम का खतरा
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Published : May 25, 2021, 5:27 AM IST

इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे की आशंका के पहले ही कई बच्चे मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम की चपेट में आ रहे हैं. इंदौर के अस्पतालों में भर्ती हुए करीब 60 बच्चों में से इस सिंड्रोम के कारण अब तक चार बच्चों की मौत हो चुकी है. लिहाजा बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए आइसोलेशन और जल्द ही उपचार शुरू करने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जा रही है. शहर में अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसके बाद प्रशासन भी सतर्क हो गया है.

60 बच्चे पाए गए संक्रमित, 4 मौत

दरअसल हाल ही में इंदौर में करीब 60 बच्चे ऐसे पाए गए, जिनमें कोरोना के लक्षण तो नहीं थे, लेकिन इन्हें जांच में कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इनमें से ज्यादातर बच्चे अपने आप ठीक भी हो गए, लेकिन संक्रमण के कारण यह मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के शिकार भी हो रहे हैं. दरअसल इस सिंड्रोम के कारण बच्चों के फेफड़ों, ह्रदय, पाचन तंत्र, किडनी, दिमाग और आंखों में इंफेक्शन और सूजन पाया गया था. ऐसी स्थिति में जब परिजन बच्चों को दिखाने के लिए विभिन्न अस्पतालों में पहुंचे तो एंटीबॉडीज के जांच के बाद उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया. इसके साथ ही बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण भी पाए गए. वहीं अब तक कुल 60 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए, जिनमें से चार बच्चों की मौत भी हो गई.

डॉक्टर्स ने बताए लक्षण

सेकेंड वेव में 20% बच्चे संक्रमित

दरअसल कोरोना की पहली वेब में इस तरह का कोई संक्रमण बच्चों में नहीं देखा गया था. लेकिन दूसरी लहर में 10 से लेकर 20 परसेंट तक संक्रमण बच्चों में पाया जा रहा है. इस बीमारी से बच्चों के ह्रदय, किडनी, फेफड़े और आंख में सूजन आ रही है. जिसका तत्काल इलाज करना जरूरी है.

बच्चों में भी ब्लैक फंगस का खतरा, ऐसे करें बचाव

इस घातक सिंड्रोम को ऐसे पहचानें

बच्चों को सिंड्रोम के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाना ज्यादा जरूरी है. सिंड्रोम के लक्षण आंखें लाल होना, शरीर पर दाने, खुजली होना, जीभ का लाल हो जाना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना, शरीर में सुस्ती रहना, सांसो का तेज चलना और सांस लेने में तकलीफ होना है. इसके अलावा ह्रदय, किडनी, फेफड़े और आंख में सूजन भी इसका लक्षण माना गया है.

इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर खतरे की आशंका के पहले ही कई बच्चे मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम की चपेट में आ रहे हैं. इंदौर के अस्पतालों में भर्ती हुए करीब 60 बच्चों में से इस सिंड्रोम के कारण अब तक चार बच्चों की मौत हो चुकी है. लिहाजा बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए आइसोलेशन और जल्द ही उपचार शुरू करने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जा रही है. शहर में अब तक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसके बाद प्रशासन भी सतर्क हो गया है.

60 बच्चे पाए गए संक्रमित, 4 मौत

दरअसल हाल ही में इंदौर में करीब 60 बच्चे ऐसे पाए गए, जिनमें कोरोना के लक्षण तो नहीं थे, लेकिन इन्हें जांच में कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इनमें से ज्यादातर बच्चे अपने आप ठीक भी हो गए, लेकिन संक्रमण के कारण यह मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के शिकार भी हो रहे हैं. दरअसल इस सिंड्रोम के कारण बच्चों के फेफड़ों, ह्रदय, पाचन तंत्र, किडनी, दिमाग और आंखों में इंफेक्शन और सूजन पाया गया था. ऐसी स्थिति में जब परिजन बच्चों को दिखाने के लिए विभिन्न अस्पतालों में पहुंचे तो एंटीबॉडीज के जांच के बाद उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया. इसके साथ ही बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम के लक्षण भी पाए गए. वहीं अब तक कुल 60 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए, जिनमें से चार बच्चों की मौत भी हो गई.

डॉक्टर्स ने बताए लक्षण

सेकेंड वेव में 20% बच्चे संक्रमित

दरअसल कोरोना की पहली वेब में इस तरह का कोई संक्रमण बच्चों में नहीं देखा गया था. लेकिन दूसरी लहर में 10 से लेकर 20 परसेंट तक संक्रमण बच्चों में पाया जा रहा है. इस बीमारी से बच्चों के ह्रदय, किडनी, फेफड़े और आंख में सूजन आ रही है. जिसका तत्काल इलाज करना जरूरी है.

बच्चों में भी ब्लैक फंगस का खतरा, ऐसे करें बचाव

इस घातक सिंड्रोम को ऐसे पहचानें

बच्चों को सिंड्रोम के लक्षण पाए जाने पर तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाना ज्यादा जरूरी है. सिंड्रोम के लक्षण आंखें लाल होना, शरीर पर दाने, खुजली होना, जीभ का लाल हो जाना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना, शरीर में सुस्ती रहना, सांसो का तेज चलना और सांस लेने में तकलीफ होना है. इसके अलावा ह्रदय, किडनी, फेफड़े और आंख में सूजन भी इसका लक्षण माना गया है.

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