इंदौर। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, इसी मान्यता की मिसाल है इंदौर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी संस्थान की पहल. जिसके जरिए संस्थान ने अब ऐसी तकनीकी विकसित कर ली है. जिससे कोरोना की तीसरी लहर में बड़े अस्पताल, एयरपोर्ट और विभिन्न सार्वजनिक स्थानों को अल्ट्रावायलेट किरणों से संक्रमण से बचाया जा सकेगा. इस डिवाइज से कोरोना की तीसरी लहर को से लड़ने और कोरोना वायरस को खत्म करने में सहायता मिलेगी.
- मोबाइल डिसइंफेक्शन डिवाइस बनाया
दरअसल राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, इंदौर ने इसके लिए एक यूवी-सी लाइट आधारित मोबाइल डिसइंफेक्शन डिवाइस विकसित किया है, जिसे नीलभस्मी नाम दिया गया है. नील भस्मी का उपयोग अनुसंधान केंद्रों, अस्पतालों, कार्यालयों, या किसी अन्य कार्यस्थल के कमरे के अंदर हवा के साथ-साथ विभिन्न वस्तुओं की सतहों को दूर से कीटाणुरहित करने के लिए किया जा सकता है. इसके अलावा कोरोना के खिलाफ कीटाणुशोधन के लिए नीलभस्मी की प्रभावकारिता का मूल्यांकन ESIC मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद में बायोसेफ्टी लेवल 3 प्रयोगशाला में किया गया, जो कि COVID-19 परीक्षण के लिए ICMR द्वारा अनुमोदित प्रयोगशाला है.
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- कोरोना संक्रमण से बचने के लिए कारगर
कोराना वायरस को खत्म करने में इसके प्रभाव को देखने के लिए वायरस से संक्रमित होने वाली विभिन्न सामग्रियों को प्रयोगशाला में 15 वर्ग मीटर के क्षेत्र में विभिन्न ऊंचाइयों के साथ-साथ नीलभस्मी से अलग-अलग दूरी पर रखा गया था. इसके बाद जब संबंधित परिसर में नील भस्मी के अल्ट्रावायलेट किरणों का प्रवाह किया गया तो पता चला नीलभस्मी से यूवीसी विकिरण इन सभी सामग्रियों की सतहों से SARS-CoV2 वायरस को निष्क्रिय कर सकता है, जैसा कि गोल्ड स्टैंडर्ड RT-PCR द्वारा पुष्टि की गई है.
- ऐसे काम करता है नील भस्मी
नील भस्मी कम दबाव वाले पारा लैंप द्वारा उत्पन्न 253.7 एनएम यूवी-सी लाइट का उपयोग करता है. यह डिवाइस यूवी-सी प्रकाश स्रोतों से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों को अपने चारों तरफ प्रसारित करता है. अल्ट्रावायलेट किरणों का विकिरण सूक्ष्मजीवों की आनुवंशिक संरचना को फोटो-डिमराइजेशन नामक प्रक्रिया के माध्यम से क्षतिग्रस्त कर देता है. जिससे उनकी प्रतिकृति और इस प्रकार संक्रमित करने की क्षमता नष्ट हो जाती है.
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- एयरपोर्ट पर तैनात हुआ नील भस्मी
अपने इस जनउपयोगी अविष्कार को राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी ने देवी अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट प्रबंधन को सौंपा है. यहां पर 'नील भस्मी' की दो इकाइयां बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के हवाई अड्डे के भवन के विभिन्न क्षेत्रों कीटाणुरहित कर सकेंगे. नील भस्मी के इंस्टॉल किए जाने के बाद एयरपोर्ट पर होने वाली साफ सफाई और सैनिटाइजेशन की जरूरत खत्म हो इस नए अविष्कार के कारण आम लोगोंं के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक/इलेक्ट्रिकल गैजेट्स और फर्नीचर को सैनिटाइज करने के लिए उपयोग किए जाने वाले घातक रसायनों से भी मुक्ति मिल सकेगी.