इंदौर: मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद जबलपुर के आह्वान पर गुरुवार को इंदौर के जिला कोर्ट के अभिभाषकों ने भी 3 दिन कार्य से विरत रहने की घोषणा की है. जिसके कारण इंदौर की जिला कोर्ट में कई मामलों में सुनवाई होनी थी. वह सुनवाई प्रभावित होगी और आने वाले दिनों तक टल जाएगी. केसों से जुड़े हुए पक्षकरो को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
हड़ताल पर आज से क्यों है वकील: जिला कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल कचोलिया ने बताया कि "राज्य अधिवक्ता परिषद ने फैसला लिया है कि मध्यप्रदेश के समस्त वकील 23 से लेकर 25 मार्च तक काम से विरत रहेंगे. क्योंकि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट प्रत्येक वकील को 3 महीने में 25 कोर्ट में लंबित केसों को सबसे पहले निराकरण करें. कोर्ट के इस निर्णय से वकीलों के रोज के नए आने वाले केस प्रभावित होते हैं. इसलिए न्यायालय का आदेश मानना फिलहाल हम वकीलों के लिए संभव नहीं है. इसलिए माननीय उच्च न्यायालय से निवेदन करते हैं कि वह अपने आदेश में संशोधन कर वकीलों को राहत पहुंचाएं."
ग्वालियर में वकील हड़ताल पर: हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद ग्वालियर में आज सभी वकील हड़ताल पर है. ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर के बाहर सभी वकील एकजुट हुए और उसके बाद हाईकोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए आपत्ति दर्ज कराई. मध्यप्रदेश में सभी वकीलों का विरोध 25 चिह्नित मामले को 3 महीने की समय सीमा में निराकरण करने के आदेश को लेकर है. परिषद के अध्यक्ष प्रेम सिंह भदौरिया का कहना है कि "वर्तमान में पूरे मध्यप्रदेश में 25 प्रकरण को लेकर हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया है. उसका पूरे मध्यप्रदेश में वकील विरोध कर रहे हैं. इस वजह से प्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद 23 मार्च से 25 मार्च मध्यप्रदेश के सभी वकील हड़ताल पर है. साथ ही 26 मार्च को फिर से बैठक बुलाई जाएगी जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.
मध्यप्रदेश में इतने केस: बता दें कि मध्यप्रदेश में लगभग एक लाख संख्या से अधिक वकील आज हड़ताल पर है. प्रदेश में वकील हड़ताल पर चले जाने से आज लगभग 5,000 से अधिक केसों की सुनवाई प्रभावित होगी. जिला न्यायालय में 76901 मामले लंबित है तो वहीं मध्य प्रदेश की ग्वालियर हाई कोर्ट बेंच में 79827 मामले लंबित है. वकीलों का कहना है कि जिस तरीके से हाई कोर्ट ने 25 केस 3 महीने में निपटाने का जो आदेश दिया है उसके खिलाफ प्रदेश के सभी वकील लामबंद हो गए हैं. यह आदेश दो बार एक तरीके से ठीक नहीं है. किसी भी केस की सुनवाई के लिए कागजी खानापूर्ति में वक्त लगता है. अचानक से समय सीमा में बांधकर मुकदमे का निराकरण करना पक्षकारों के लिए नुकसानदायक हो सकता है."
हाईकोर्ट को आदेश वापस लेने पर अड़े वकील: स्टेट बार काउंसलिंग के अध्यक्ष प्रेम सिंह भदौरिया ने बताया है कि "मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस को बार बार निवेदन किया गया था कि 25 केसों का जो आदेश जारी किया है उसमें ना तो पक्षकारों को न्याय मिल पा रहा है और ना ही वकील स्वस्थ मानसिकता में अपने पक्षकार का बचाव कर पा रहा है. यह वकीलों पर अनैतिक रूप से दवाव बनाया जा रहा है. अभी 3 दिनों तक हम हड़ताल पर हैं और अगर इसी बीच बातचीत से हल निकालने का प्रयास किया जाएगा. इसके लिए हम पूरी तरह तैयार है लेकिन उसके बाद हम रणनीति तैयार करेंगे और आगामी दिनों में एक बड़ा निर्णय लेकर हड़ताल पर जाएंगे."