होशंगाबाद। इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं, जिसमें लोग अपने परिवार के मृत हो चुके लोगों का तर्पण करते हैं. जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके. लेकिन कोरोना वायरस के चलते देश में रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में कई मृत आत्माओं को शास्त्रों के अनुरूप अंतिम संस्कार भी नहीं हो पा रहा है. साथ ही कई लोग अपने परिवार के व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में उन सभी आतृप्त आत्माओं की मोक्ष के लिए पितृ पक्ष एकादशी पर नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर सामूहिक तर्पण किया गया.
शहर के कुछ समाजसेवियों द्वारा पिछले 21 साल से अतृप्त आत्माओं के लिए तर्पण कर पिंडदान किया जाता है. लेकिन इस बार विशेष रूप से कोरोनावायरस से मृत लोगों को मोक्ष की कामना से अनुष्ठान किया गया. देश में कोरोना से करीब 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जिनमें कई लोगों को का अंतिम संस्कार भी विधि विधान से नहीं हो सका है. ऐसी अतृप्त आत्माओं के लिए विशेष रूप से सेठानी घाट पर पितृपक्ष के एकादशी पर पिंडदान का किया गया. जहां पर शहर के कुछ समाजसेवियों ने मिलकर विधि विधान से पूजा की और सभी आत्माओं की मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर मां नर्मदा में पिंडदान किया.
पिंड दान और तर्पण करने वाले विजय चौकसे ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते देश में सैकड़ो लोगों की घर से दूर मौत हो गई है. इनमें से कई लोगों का पता भी नहीं चल सका है. ऐसी अतृप्त आत्माओं के लिये पिंडदान का काम किया गया है. उन्होंने बताया कि देश के बॉर्डर पर शहीद होने वाले जवानों की आत्माओं को मोक्ष प्राप्ति के लिये ये विधि 21 साल से की जा रही है. लेकिन इस बार विशेष कोरोना से मृत व्यक्तियों की आत्मा के लिये अनुष्ठान हुआ है.
तर्पण से होती है मोक्ष की प्राप्ति
शास्त्रों के मुताबिक और हिंदू रीति-रिवाजों में पिंडदान और तर्पण का बहुत महत्व है. तर्पण करने से मृत मनुष्य की आत्मा को मोक्ष प्राप्ति होती है. इसकेे लिए पिंडदान करने की क्रियाविधि बताइ गई है. पंडित गोपाल प्रसाद खड्डा बताते हैं कि जिनकी अकाल मौत हो जाती है, उसे अतृप्त आत्मा कहा जाता है. ऐसी आत्माओं की शांति के लिए पिछले 21 साल से शहर के कुछ समाजसेवी पवित्र नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर पिंड दान करते आ रहे हैं, जिनसे इन अतृप्त आत्माओं को मोक्ष प्राप्त हो सके.
पिछले 3 साल से कर रहे तर्पण
21 साल से घाट पर पिंडदान करते आ रहे मनोहर बढ़ानी ने बताया कि नर्मदा नदी में कई साल पहले नाव पलटने से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी, तभी से शहर के कुछ समाजसेवी पितृ पक्ष की एकादशी पर देश पर शहीद हुए जवानों सड़क दुर्घटनाओं सहित अन्य दुर्घटनाओं में असमय में अकाल मौत हो चुके अतृप्त आत्माओं की तृप्ति और मोक्ष के लिए सामूहिक पिंडदान का वैदिक अनुष्ठान से करते हैं. पिछले 21 साल से लगातार कुछ समाजसेवी यह कार्यक्रम करते आ रहे हैं. जिसे इस बार विशेष रूप से कोरोनावायरस से जान गवा चुके लोगों के लिए अनुष्ठान किया गया है.
नर्मदा घाट पर कोरोना वायरस से मरने वालों का हुआ तर्पण, समाजसेवी 21 साल से निभा रहे परंपरा
होशंगाबाद जिले के नर्मदा घाट पर कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों का तर्पण और पिंडदान किया गया.
होशंगाबाद। इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं, जिसमें लोग अपने परिवार के मृत हो चुके लोगों का तर्पण करते हैं. जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सके. लेकिन कोरोना वायरस के चलते देश में रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में कई मृत आत्माओं को शास्त्रों के अनुरूप अंतिम संस्कार भी नहीं हो पा रहा है. साथ ही कई लोग अपने परिवार के व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में उन सभी आतृप्त आत्माओं की मोक्ष के लिए पितृ पक्ष एकादशी पर नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर सामूहिक तर्पण किया गया.
शहर के कुछ समाजसेवियों द्वारा पिछले 21 साल से अतृप्त आत्माओं के लिए तर्पण कर पिंडदान किया जाता है. लेकिन इस बार विशेष रूप से कोरोनावायरस से मृत लोगों को मोक्ष की कामना से अनुष्ठान किया गया. देश में कोरोना से करीब 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जिनमें कई लोगों को का अंतिम संस्कार भी विधि विधान से नहीं हो सका है. ऐसी अतृप्त आत्माओं के लिए विशेष रूप से सेठानी घाट पर पितृपक्ष के एकादशी पर पिंडदान का किया गया. जहां पर शहर के कुछ समाजसेवियों ने मिलकर विधि विधान से पूजा की और सभी आत्माओं की मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर मां नर्मदा में पिंडदान किया.
पिंड दान और तर्पण करने वाले विजय चौकसे ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते देश में सैकड़ो लोगों की घर से दूर मौत हो गई है. इनमें से कई लोगों का पता भी नहीं चल सका है. ऐसी अतृप्त आत्माओं के लिये पिंडदान का काम किया गया है. उन्होंने बताया कि देश के बॉर्डर पर शहीद होने वाले जवानों की आत्माओं को मोक्ष प्राप्ति के लिये ये विधि 21 साल से की जा रही है. लेकिन इस बार विशेष कोरोना से मृत व्यक्तियों की आत्मा के लिये अनुष्ठान हुआ है.
तर्पण से होती है मोक्ष की प्राप्ति
शास्त्रों के मुताबिक और हिंदू रीति-रिवाजों में पिंडदान और तर्पण का बहुत महत्व है. तर्पण करने से मृत मनुष्य की आत्मा को मोक्ष प्राप्ति होती है. इसकेे लिए पिंडदान करने की क्रियाविधि बताइ गई है. पंडित गोपाल प्रसाद खड्डा बताते हैं कि जिनकी अकाल मौत हो जाती है, उसे अतृप्त आत्मा कहा जाता है. ऐसी आत्माओं की शांति के लिए पिछले 21 साल से शहर के कुछ समाजसेवी पवित्र नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर पिंड दान करते आ रहे हैं, जिनसे इन अतृप्त आत्माओं को मोक्ष प्राप्त हो सके.
पिछले 3 साल से कर रहे तर्पण
21 साल से घाट पर पिंडदान करते आ रहे मनोहर बढ़ानी ने बताया कि नर्मदा नदी में कई साल पहले नाव पलटने से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी, तभी से शहर के कुछ समाजसेवी पितृ पक्ष की एकादशी पर देश पर शहीद हुए जवानों सड़क दुर्घटनाओं सहित अन्य दुर्घटनाओं में असमय में अकाल मौत हो चुके अतृप्त आत्माओं की तृप्ति और मोक्ष के लिए सामूहिक पिंडदान का वैदिक अनुष्ठान से करते हैं. पिछले 21 साल से लगातार कुछ समाजसेवी यह कार्यक्रम करते आ रहे हैं. जिसे इस बार विशेष रूप से कोरोनावायरस से जान गवा चुके लोगों के लिए अनुष्ठान किया गया है.