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सरकारी पोषण आहार छोड़ प्राइवेट इलाज ले रहे लोग, कुपोषण को लेकर एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा

महिला एवं बाल विकास विभाग होशंगाबाद की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जिले में सरकार कुपोषण से लड़ने के लिए जो पोषण आहार देती है, लोग उसे लेने से बच रहे हैं. आखिर इसके क्या कारण हैं, जानने के लिए पढ़े पूरी खबर...

Malnutrition
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Published : Dec 4, 2019, 1:36 AM IST

होशंगाबाद। प्रदेश सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग की एक लंबी-चौड़ी फौज प्रदेश से कुपोषण मिटाने के लिए लगाई हुई है. लेकिन सिस्टम और अधिकारियों की यह फौज कितनी सफल है इसका खुलासा महिला एवं बाल विकास की एक रिपोर्ट से हुआ. रिर्पोट से पता लगा है कि कुपोषण मिटाने के लिए जो पोषण आहार वितरित किया जाता है, वह कई लोग लेने से परहेज कर रहे हैं. नर्मदापुरम संभाग के 4818 आंगनबाड़ियों में दर्ज करीब 48644 बच्चे पोषण आहार खाना तो दूर, आहार लेने आंगनवाड़ी तक भी नहीं आ रहे हैं.

सरकारी पोषण आहार से दूरी बना रहे लोग

मैदानी अमले की लापरवाही के चलते संभाग में कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. कुपोषण खत्म करने की सरकारी कवायद रिपोर्ट आने के बाद धरी की धरी रह गई. नर्मदापुरम संभाग के 3 जिले हरदा, बैतूल और होशंगाबाद में अभी तक कुल 6 महीने से लेकर 6 साल तक के 2 लाख 80 हजार छह सौ 64 बच्चों को कुपोषण की श्रेणी में चयनित किया गया है.

रिपोर्ट से सरकार के काम पर उठ रहे सवाल

रिपोर्ट के अनुसार 2 लाख 32 बच्चोम ने आंगनबाड़ी केंद्रों और पोषण आहार का लाभ उठाया. लेकिन 48 हजार 664 बच्चे पोषण आहार लेने ही नहीं आये. इस रिपोर्ट के अनुसार संभाग के 48000 बच्चों के परिवार निजी रूप से पोषण देकर या प्राइवेट रूप से डॉक्टरों की सलाह से आहार देकर इलाज करा रहे हैं. क्योंकि लोग सरकार के द्वारा दिये जाने वाले आहार से संतुष्ट नहीं है. तभी इस तरह अपने बच्चों को पोषण केंद्र तक नहीं पहुंचा रहे.

जिंताजनक हैं ये आंकड़े

अकेले होशंगाबाद में कम और अति कम वजन के लगभग 14000 बच्चे हैं, वहीं बैतूल और हरदा में यह संख्या लगभग 18000 के आसपास है. वही होशंगाबाद जिले में ही 1771 आंगनबाड़ी केंद्र ,हरदा में 700, बैतूल में 2347 आंगनबाड़ी केंद्र है. जहां बच्चों को कुपोषण दूर करने की कोशिश की जाती है लेकिन इसके बाद भी 48000 परिवार यहां अपने बच्चों को भेजने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं.

ऐसे में प्रदेश सरकार आगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों को प्रोटीन उपलब्ध कराने के लिए खाने के साथ अंडे देने पर विचार कर रही है, जब पोषण आहार को लेकर ही लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं, तो अंडा खिलाने में कैसे रुचि दिखाएंगे.

होशंगाबाद। प्रदेश सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग की एक लंबी-चौड़ी फौज प्रदेश से कुपोषण मिटाने के लिए लगाई हुई है. लेकिन सिस्टम और अधिकारियों की यह फौज कितनी सफल है इसका खुलासा महिला एवं बाल विकास की एक रिपोर्ट से हुआ. रिर्पोट से पता लगा है कि कुपोषण मिटाने के लिए जो पोषण आहार वितरित किया जाता है, वह कई लोग लेने से परहेज कर रहे हैं. नर्मदापुरम संभाग के 4818 आंगनबाड़ियों में दर्ज करीब 48644 बच्चे पोषण आहार खाना तो दूर, आहार लेने आंगनवाड़ी तक भी नहीं आ रहे हैं.

सरकारी पोषण आहार से दूरी बना रहे लोग

मैदानी अमले की लापरवाही के चलते संभाग में कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. कुपोषण खत्म करने की सरकारी कवायद रिपोर्ट आने के बाद धरी की धरी रह गई. नर्मदापुरम संभाग के 3 जिले हरदा, बैतूल और होशंगाबाद में अभी तक कुल 6 महीने से लेकर 6 साल तक के 2 लाख 80 हजार छह सौ 64 बच्चों को कुपोषण की श्रेणी में चयनित किया गया है.

रिपोर्ट से सरकार के काम पर उठ रहे सवाल

रिपोर्ट के अनुसार 2 लाख 32 बच्चोम ने आंगनबाड़ी केंद्रों और पोषण आहार का लाभ उठाया. लेकिन 48 हजार 664 बच्चे पोषण आहार लेने ही नहीं आये. इस रिपोर्ट के अनुसार संभाग के 48000 बच्चों के परिवार निजी रूप से पोषण देकर या प्राइवेट रूप से डॉक्टरों की सलाह से आहार देकर इलाज करा रहे हैं. क्योंकि लोग सरकार के द्वारा दिये जाने वाले आहार से संतुष्ट नहीं है. तभी इस तरह अपने बच्चों को पोषण केंद्र तक नहीं पहुंचा रहे.

जिंताजनक हैं ये आंकड़े

अकेले होशंगाबाद में कम और अति कम वजन के लगभग 14000 बच्चे हैं, वहीं बैतूल और हरदा में यह संख्या लगभग 18000 के आसपास है. वही होशंगाबाद जिले में ही 1771 आंगनबाड़ी केंद्र ,हरदा में 700, बैतूल में 2347 आंगनबाड़ी केंद्र है. जहां बच्चों को कुपोषण दूर करने की कोशिश की जाती है लेकिन इसके बाद भी 48000 परिवार यहां अपने बच्चों को भेजने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं.

ऐसे में प्रदेश सरकार आगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों को प्रोटीन उपलब्ध कराने के लिए खाने के साथ अंडे देने पर विचार कर रही है, जब पोषण आहार को लेकर ही लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं, तो अंडा खिलाने में कैसे रुचि दिखाएंगे.

Intro:होशंगाबाद प्रदेश सरकार महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से कुपोषित बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए एक लंबा-चौड़ा सिस्टम और अधिकारियों की फौज तैयार करके रखी है जो कुपोषित बच्चों को स्वास्थ्य करने का काम करती है लेकिन इस बीच महिला बाल विकास की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि पोषण आहार जो वितरित किया जाता है वह कई लोग लेने से परहेज कर रहे हैं जिसमें नर्मदापुरम संभाग के 4818 आंगनबाड़ियों में दर्ज करीब 48644 बच्चे पोषण आहार खाना तो दूर आंगनवाड़ी लेने भी नही आ रहे है ।


Body:मैदानी अमले की लापरवाही के चलते संभाग में कुपोषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है कुपोषण खत्म करने की सरकारी कवायद है रिपोर्ट आने के बाद धरी की धरी रह गई है होशंगाबाद संभाग के 3 जिले हरदा बैतूल ,होशंगाबाद जिले में अभी तक कुल 6 माह से लैकर 6 वर्ष तक के 2लाख 80 हजार 6598 बच्चों को कुपोषण की श्रेणी में चयनित किया गया है वही रिपोर्ट के अनुसार 2 लाख 32 बच्चो ने आंगनबाड़ी केंद्रों और कुपोषण का लाभ उठाया लेकिन 48 हजार 664 बच्चे पोषण आहार खाना तो दूर आंगनवाड़ी में लेने भी नहीं आ रहे हैं जबकि सरकार बच्चों को सेहत में सुधार लाने यह पोषण आहार आंगनबाड़ी केंद्रों और घरों में जाकर मुफ्त बांट रही है।

रिपोर्ट से सरकार के काम पर उठ रहे सवाल

महिला बाल विकास की इस रिपोर्ट के अनुसार ही संभाग करीब 48 हजार जोकि सरकार के द्वारा किए जा रहे हैं आहार से यह परिवार संतुष्ट नहीं है तभी 48000 बच्चों के परिवार इन्हें निजी रूप से पोषण देकर या प्राइवेट रूप से डॉक्टरों की सलाह से आहार देकर इलाज करा रहे हैं कहीं ना कहीं सरकार के द्वारा किए जा रहे कार्यों वे दिये जाने वाले आहार से संतुष्ट नहीं है तभी इस तरह अपने बच्चों को पोषण केंद्र तक नहीं पहुंचा रहे हैं । होशंगाबाद में जिले में है कम और अति कम वजन के लगभग 14000 बच्चे हैं और बैतूल और हरदा में यह संख्या लगभग 18000 के आसपास बताई जा रही है वही होशंगाबाद जिले में ही 1771 आंगनबाड़ी केंद्र ,हरदा में 700, बैतूल में 2347 आंगनबाड़ी केंद्र है जहां बच्चों को कुपोषण दूर करने की कोशिश की जाती है लेकिन इसके बाद भी 48000 परिवार यहां अपने बच्चों को भेजने के लिए रुचि नहीं दिखा रहे हैं।



Conclusion:पोषण केंद्रों पर अंडा देने पर भी मचा हुआ है बवाल

वही प्रदेश सरकार आगनबाडी एवं कुपोषित बच्चों को प्रोटीन उपलब्ध कराने अंडे देने पर विचार कर रही है ऐसे में जब पोषण आहार पर ही लोग रुचि नहीं दिखा रहे हैं तो अंडा खिलाने में कैसे रुचि दिखाएंगे।

बाइट ललित डेहरिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास
बाइट रविन्द्र मिश्रा, कंमिश्नर,होशंगाबाद संभाग
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