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Narmadapuram: युवाओं के कारण नष्ट हो रहे आदमगढ़ की पहाड़ियों पर बने शैल चित्र, जानें इसका रहस्य

दुनिया भर में 18 मई को अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया गया. इस मौके पर आदमगढ़ की पहाड़ियों के बारे में नर्मदा महाविद्यालय की इतिहास की प्रोफेसर हंसा व्यास ने बताया कि इस पहाड़ को पाषाण काल की औजार फैक्ट्री कहा जाता है.

narmadapuram adamgarh hills rock paintings
नर्मदापुरम आदमगढ़ पहाड़ शैल चित्र
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Published : May 19, 2023, 5:52 PM IST

नर्मदापुरम आदमगढ़ पहाड़ शैल चित्र

नर्मदापुरम। पाषाण काल के औजारों की फैक्ट्री के नाम से आज भी आदमगढ़ की पहाड़ियां जानी जाती हैं. इतिहासकारों की मानें तो प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र आज भी आदमगढ़ की पहाड़ियां में उतने ही प्रसिद्ध हैं जैसे यूरोप की अल्तमिरा पहाड़ियों में शैल चित्र मिले थे. इन शैल चित्रों से यहां के प्रागैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल तक की सभ्यता के प्रमाण मिलते हैं. इतिहासकारों के मुताबिक यहां पाषाण काल के समय औजारों की फैक्ट्रियां हुआ करती थीं. इन शैल चित्रों को देखकर इस बात की जानकारी लगती है की या तो यहां के लोग भ्रमण करते हुए अफ्रीका गए होंगे या अफ्रीका से यहां आए होंगे. वहीं, वर्तमान में आदमगढ़ की पहाड़ियों की इन गुफाओं में बने शैल चित्रों को देखने बाहर से पर्यटक भी पहुंच रहे हैं.

प्रागैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल की यात्रा: नर्मदा महाविद्यालय की इतिहास की प्रोफेसर हंसा व्यास बताती हैं कि "आदमगढ़ की पहाड़ियां वैसे ही प्रसिद्ध हैं जैसे यूरोप की अल्तमिरा की पहाड़ियों के शैल चित्र. यह प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र उतने ही पुराने हैं जितने हमारे नर्मदापुरम की पहाड़ियों के क्षेत्र देखने को मिलते हैं. यह प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक की यात्रा करते हैं. अगर इसमें मेजोलिथिक, चारकोलेथिक, पेल्योलिथिक, नियोलिथिक इस कल्चर के शैल चित्र मिल रहे हैं तो मौर्यकालीन शैल चित्र भी हमें यहां देखने को मिलते हैं."

यहां के गुफाओं में शैल चित्र: प्रोफेसर हंसा व्यास ने बताया कि "अगर 9 नंबर की गुफा में देखा जाए तो दरबारी जुलूस शोभायात्रा दिखाई देते हैं. इस गुफा में एक बेहद खूबसूरत बारहसिंघा का चित्र भी दिखाई देता है. यहां 1 नंबर से लेकर 11 नंबर तक की गुफाओं में शैल चित्र हैं. कहा जाता है कि शायद 22 नंबर की गुफा में भी कभी चलचित्र हुआ करते थे मगर वर्तमान समय में नहीं है. 1 से लेकर 9 नंबर की गुफा में पूरे ऐतिहासिक काल तक की यात्रा के प्रमाण दिखाई देते हैं. विशेष रूप से यहां शिकार के दृश्य हैं और सामूहिक नृत्य यहां दिखाई देते हैं जो यहां की आदिवासी संस्कृति के समरूप या अनुरूप हैं."

  1. MP: 135 करोड़ की सड़क के लिए खोद डाले पठार, शिकायत पर माइनिंग विभाग ने लगाया जुर्माना, MPRDC ने दी क्लीनचिट
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गुफा में जिराफ का शैलचित्र: यहां पर पाषाण कालीन औजार काफी अधिक संख्या में मिले हैं. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यहां पर माइकोलिथ की फैक्ट्री हुआ करती थी. 9 नंबर की गुफा में एक जिराफ का चित्र मिला है जो शोध के अनेक विषयों को हमारे सामने रखता है. सवाल उठता है कि जिराफ यहां आया कैसे होगा ? बता दें कि पहाड़िया के शैल चित्र समय के साथ धुंधले होते जा रहे हैं. युवा वर्ग उन पर अपने नाम लिखकर मिटाता जा रहा है. प्रोफेसर हंसा ने कहा कि "हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है की हम यहां के लोगों को इससे अवगत कराएं. विशेष रूप से युवा पीढ़ी को बताएं की अपनी धरोहर का नुकसान न पहुंचाएं बल्कि उसे संरक्षित करने में मदद करे".

गर्मी में पर्यटकों की संख्या में गिरावट: आदमगढ़ की पहाड़ी पर पदस्थ कर्मचारी ने बताया कि "यहां रंग-बिरंगे कई प्रकार के शैल चित्र बने हुए हैं. कई शैल चित्र गेरुआ रंग तो कई सफेद रंग के शैल चित्र इन पहाड़ियों में बने हुए हैं. यहां वर्तमान में 50 से 70 पर्यटक इस समय हर दिन पहुंच रहे हैं. गर्मी के कारण पर्यटकों में कमी आई है. जब गर्मी नहीं होती है तो 100 से 150 पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो जाता है. वहीं पर्यटन के लिए आसपास के जिले से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

नर्मदापुरम आदमगढ़ पहाड़ शैल चित्र

नर्मदापुरम। पाषाण काल के औजारों की फैक्ट्री के नाम से आज भी आदमगढ़ की पहाड़ियां जानी जाती हैं. इतिहासकारों की मानें तो प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र आज भी आदमगढ़ की पहाड़ियां में उतने ही प्रसिद्ध हैं जैसे यूरोप की अल्तमिरा पहाड़ियों में शैल चित्र मिले थे. इन शैल चित्रों से यहां के प्रागैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल तक की सभ्यता के प्रमाण मिलते हैं. इतिहासकारों के मुताबिक यहां पाषाण काल के समय औजारों की फैक्ट्रियां हुआ करती थीं. इन शैल चित्रों को देखकर इस बात की जानकारी लगती है की या तो यहां के लोग भ्रमण करते हुए अफ्रीका गए होंगे या अफ्रीका से यहां आए होंगे. वहीं, वर्तमान में आदमगढ़ की पहाड़ियों की इन गुफाओं में बने शैल चित्रों को देखने बाहर से पर्यटक भी पहुंच रहे हैं.

प्रागैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल की यात्रा: नर्मदा महाविद्यालय की इतिहास की प्रोफेसर हंसा व्यास बताती हैं कि "आदमगढ़ की पहाड़ियां वैसे ही प्रसिद्ध हैं जैसे यूरोप की अल्तमिरा की पहाड़ियों के शैल चित्र. यह प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र उतने ही पुराने हैं जितने हमारे नर्मदापुरम की पहाड़ियों के क्षेत्र देखने को मिलते हैं. यह प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक की यात्रा करते हैं. अगर इसमें मेजोलिथिक, चारकोलेथिक, पेल्योलिथिक, नियोलिथिक इस कल्चर के शैल चित्र मिल रहे हैं तो मौर्यकालीन शैल चित्र भी हमें यहां देखने को मिलते हैं."

यहां के गुफाओं में शैल चित्र: प्रोफेसर हंसा व्यास ने बताया कि "अगर 9 नंबर की गुफा में देखा जाए तो दरबारी जुलूस शोभायात्रा दिखाई देते हैं. इस गुफा में एक बेहद खूबसूरत बारहसिंघा का चित्र भी दिखाई देता है. यहां 1 नंबर से लेकर 11 नंबर तक की गुफाओं में शैल चित्र हैं. कहा जाता है कि शायद 22 नंबर की गुफा में भी कभी चलचित्र हुआ करते थे मगर वर्तमान समय में नहीं है. 1 से लेकर 9 नंबर की गुफा में पूरे ऐतिहासिक काल तक की यात्रा के प्रमाण दिखाई देते हैं. विशेष रूप से यहां शिकार के दृश्य हैं और सामूहिक नृत्य यहां दिखाई देते हैं जो यहां की आदिवासी संस्कृति के समरूप या अनुरूप हैं."

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गुफा में जिराफ का शैलचित्र: यहां पर पाषाण कालीन औजार काफी अधिक संख्या में मिले हैं. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यहां पर माइकोलिथ की फैक्ट्री हुआ करती थी. 9 नंबर की गुफा में एक जिराफ का चित्र मिला है जो शोध के अनेक विषयों को हमारे सामने रखता है. सवाल उठता है कि जिराफ यहां आया कैसे होगा ? बता दें कि पहाड़िया के शैल चित्र समय के साथ धुंधले होते जा रहे हैं. युवा वर्ग उन पर अपने नाम लिखकर मिटाता जा रहा है. प्रोफेसर हंसा ने कहा कि "हमारी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है की हम यहां के लोगों को इससे अवगत कराएं. विशेष रूप से युवा पीढ़ी को बताएं की अपनी धरोहर का नुकसान न पहुंचाएं बल्कि उसे संरक्षित करने में मदद करे".

गर्मी में पर्यटकों की संख्या में गिरावट: आदमगढ़ की पहाड़ी पर पदस्थ कर्मचारी ने बताया कि "यहां रंग-बिरंगे कई प्रकार के शैल चित्र बने हुए हैं. कई शैल चित्र गेरुआ रंग तो कई सफेद रंग के शैल चित्र इन पहाड़ियों में बने हुए हैं. यहां वर्तमान में 50 से 70 पर्यटक इस समय हर दिन पहुंच रहे हैं. गर्मी के कारण पर्यटकों में कमी आई है. जब गर्मी नहीं होती है तो 100 से 150 पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो जाता है. वहीं पर्यटन के लिए आसपास के जिले से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

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