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Maha Shivaratri 2022: सिवनी मालवा का रहस्यमयी शिव मंदिर, धरती से निकला था चतुर्मुख शिवलिंग

नर्मदापुरम के सिवनी मालवा तहसील में एकमात्र प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान हैं. महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग मंदिर में भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे. (Chaturmukh shivling in Seoni Malwa)

Chaturmukh Shivling in Seoni Malwa
चतुर्मुख शिवलिंग सिवनी मालवा
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Published : Feb 28, 2022, 11:38 AM IST

नर्मदापुरम। वैसे तो भारत में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि, इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा तहसील में पूरे भारत का एकमात्र प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग मौजूद है. हर साल महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगता है. दूर दराज से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. (Chaturmukh Shivling came out of earth)

साफ दिखाई देता है भोलेनाथ का चेहरा
भोलेशंकर की महिमा को समझ पाना क‍िसी के वश की बात नहीं. धर्मशास्‍त्रों में तो इस बात का उल्‍लेख म‍िलता ही है. वर्तमान में भी कई ऐसे उदाहरण भी देखने को म‍िलते हैं. सिवनी-मालवा तहसील के मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर मां नर्मदा- इन्द्रावती के संगम पर स्थित ग्राम भेला में प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान है. ये शिवलिंग अपने आप में ही अलग पहचान रखता है, क्यूंकि इस चतुर्मुख शिवलिंग की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि ये स्वयं धरती से निकले हैं. इस शिवलिंग की बनावट भी इतनी अच्छी है, की इसमें भगवान शिव का साफ-साफ चेहरा बना हुआ दिखाई पड़ता है.

महाशिवरात्रि पर वनखंडेश्वर महादेव में कैसे होगी पूजा, क्या है इस मंदिर का इतिहास?

नागा समुदाय करता है मंदिर में पूजा
मंदिर में पूजा करने वाले नागा समुदाय के पुजारी का कहना है कि, चतुर्मुख शिवलिंग को जब लोगों ने यहां से निकालकर अन्य जगह स्थापित करने की कोशिश की, तो ये शिवलिंग अपने आप ही जमीन के अन्दर लगभग एक फिट तक समा गया था. शिवलिंग का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी किया गया है. पुजारी का कहना है कि, भोपाल रियासत के नवाब ने मंदिर क्षेत्र की पूरी जमीन नागा साधू को दी थी.तबसे आज तक उस मंदिर की पूजा नागा समुदाय ही करता आ रहा है. हर साल शिवरात्रि पर क्षेत्रवासियों की तरफ से एक मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव के चतुर्मुख शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

(Maha shivaratri 2022) (Chaturmukh shivling in Seoni Malwa)

नर्मदापुरम। वैसे तो भारत में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. इन्हें द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि, इन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा तहसील में पूरे भारत का एकमात्र प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग मौजूद है. हर साल महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का तांता लगता है. दूर दराज से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. (Chaturmukh Shivling came out of earth)

साफ दिखाई देता है भोलेनाथ का चेहरा
भोलेशंकर की महिमा को समझ पाना क‍िसी के वश की बात नहीं. धर्मशास्‍त्रों में तो इस बात का उल्‍लेख म‍िलता ही है. वर्तमान में भी कई ऐसे उदाहरण भी देखने को म‍िलते हैं. सिवनी-मालवा तहसील के मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर मां नर्मदा- इन्द्रावती के संगम पर स्थित ग्राम भेला में प्राकृतिक चतुर्मुख शिवलिंग विराजमान है. ये शिवलिंग अपने आप में ही अलग पहचान रखता है, क्यूंकि इस चतुर्मुख शिवलिंग की स्थापना नहीं की गई है, बल्कि ये स्वयं धरती से निकले हैं. इस शिवलिंग की बनावट भी इतनी अच्छी है, की इसमें भगवान शिव का साफ-साफ चेहरा बना हुआ दिखाई पड़ता है.

महाशिवरात्रि पर वनखंडेश्वर महादेव में कैसे होगी पूजा, क्या है इस मंदिर का इतिहास?

नागा समुदाय करता है मंदिर में पूजा
मंदिर में पूजा करने वाले नागा समुदाय के पुजारी का कहना है कि, चतुर्मुख शिवलिंग को जब लोगों ने यहां से निकालकर अन्य जगह स्थापित करने की कोशिश की, तो ये शिवलिंग अपने आप ही जमीन के अन्दर लगभग एक फिट तक समा गया था. शिवलिंग का उल्लेख शास्त्रों और पुराणों में भी किया गया है. पुजारी का कहना है कि, भोपाल रियासत के नवाब ने मंदिर क्षेत्र की पूरी जमीन नागा साधू को दी थी.तबसे आज तक उस मंदिर की पूजा नागा समुदाय ही करता आ रहा है. हर साल शिवरात्रि पर क्षेत्रवासियों की तरफ से एक मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव के चतुर्मुख शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

(Maha shivaratri 2022) (Chaturmukh shivling in Seoni Malwa)

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