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मॉडल के जरिए लोगों को जागरुक कर रहे ये शिक्षक, मास्क और दो गज की दूरी का बताया महत्व

होशंगाबाद में विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर मॉडल के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे है. राजेश पाराशर ने लोगों को जागरूक करने के लिए एक अनोखा मॉडल तैयार किया है. जिसके माध्यम से मास्क पहने और 2 गज की दूरी रखने का महत्व बता रहे है.

Teachers are making people aware
शिक्षक कर रहे लोगों को जागरूक
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Published : Oct 2, 2020, 1:31 PM IST

Updated : Oct 2, 2020, 4:53 PM IST

होशंगाबाद। 21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी जाने वाली कोरोना महामारी ने लोगों के जिंदगी जीने का तरीका बदल दिया है. दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हुए है. ऐसे इस जानलेवा वायरस से बचाव के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को कारगर मना जा रहा है. बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों को जागरुक करने के लिए 'मास्क ही वैक्सीन' कार्यक्रम का आयोजित किया जा रहा हैं. कहीं बगैर मास्क के घरों से बाहर निकलने वालों को समझाइश देने के साथ ही उन्हें मास्क और फेस फील्ड सहित अन्य सामग्री बांटी जा रही है. इस अभियान को विज्ञान के शिक्षक राजेश पाराशर द्वारा शुरू किया गया है, जो शहरों सहित गांव-गांव में जाकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं.

शिक्षक कर रहे लोगों को जागरूक

होशंगाबाद के आदिवासी केसला ब्लॉक का एकमात्र शासकीय उत्कृष्ट स्कूल के विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर मॉडल के माध्यम से लोगों को जागरुक करते हैं. राजेश पाराशर ने लोगों को जागरुक करने के लिए एक अनोखा मॉडल तैयार किया है. विज्ञान शिक्षक ने कोरोना से बचने के लिए मास्क और दो गज की दूरी रखने की बात को वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध करके दिखा रहे हैं. इस मॉडल के जरीए उन्होनें लोगों को समझाने की कोशिश की है कि जैसे ही संक्रमित व्यक्ति छीकता है तो उससे एक मीटर पर खड़ा दूसरा व्यक्ति संक्रमित हो जाता है. वहीं जब दोनों मॉडल के चेहरे पर मास्क लगा दिया गया तो समान्य व्यक्ति संक्रमित होने से बच सकता है.

केवल संदेश ही नहीं प्रयोग के तौर पर बता रहे मास्क का महत्व

राजेश कई गांव सहित शहरों में जगह-जगह प्रदर्शनी भी लगा रहे हैं. केवल संदेश ही नहीं प्रयोग के तौर पर बता रहे हैं. शिक्षक राजेश पाराशर का कहना है अपने इस मॉडल के जरीए बताने की कोशिश कर रहा हूं कि 2 गज की दूरी से नाक और मुंह से निकले वाल ड्रॉपलेट्स किस तरह से बचा जा सकता है. उनका कहना है कि कोरोना से संक्रमिक होने का सबसे बड़ा कारण यह ड्रॉपलेट्स होते हैं, जो संक्रमित व्यक्ति के मुंह और नाक से निकलते हैं, जिसे एक निश्चित दूरी बनाकर खत्म किया जा सकता है. मॉडल के माध्यम से समाज के अनपढ़ों और सबसे निचले तबके तक मास्क सोशल डिस्टेंसिंग की जानकारी दी जा रही है.

विज्ञान के सिद्धांतों पर 20 साल से कर रहे हैं जागरुक

बता दें कि राजेश जागरुक समाज के बीच अंधविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने के लिए पिछले 20 साल से वैज्ञानिक प्रयोगों के माध्यम से लोगों और विद्यार्थियों को जागरुक करते आ रहे हैं. आदिवासी ब्लॉक में एकमात्र शासकीय स्कूल में स्वयं के पैसे से आधुनिक प्रयोगशाला बनवाई, जिसमें खगोलीय घटनाओं, सहित स्कूल में पढ़ाए जाने वाले सभी सिद्धांत सहित आधुनिक मॉडल को रखा गया है. सभी मॉडल राजेश ने बनाये हैं, जिनका प्रयोग कर बच्चों को विज्ञान के प्रति रुचि सहित इन्फॉर्मेशन दी जाती है.

होशंगाबाद। 21वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदी जाने वाली कोरोना महामारी ने लोगों के जिंदगी जीने का तरीका बदल दिया है. दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हुए है. ऐसे इस जानलेवा वायरस से बचाव के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग को कारगर मना जा रहा है. बढ़ते संक्रमण के बीच लोगों को जागरुक करने के लिए 'मास्क ही वैक्सीन' कार्यक्रम का आयोजित किया जा रहा हैं. कहीं बगैर मास्क के घरों से बाहर निकलने वालों को समझाइश देने के साथ ही उन्हें मास्क और फेस फील्ड सहित अन्य सामग्री बांटी जा रही है. इस अभियान को विज्ञान के शिक्षक राजेश पाराशर द्वारा शुरू किया गया है, जो शहरों सहित गांव-गांव में जाकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं.

शिक्षक कर रहे लोगों को जागरूक

होशंगाबाद के आदिवासी केसला ब्लॉक का एकमात्र शासकीय उत्कृष्ट स्कूल के विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर मॉडल के माध्यम से लोगों को जागरुक करते हैं. राजेश पाराशर ने लोगों को जागरुक करने के लिए एक अनोखा मॉडल तैयार किया है. विज्ञान शिक्षक ने कोरोना से बचने के लिए मास्क और दो गज की दूरी रखने की बात को वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध करके दिखा रहे हैं. इस मॉडल के जरीए उन्होनें लोगों को समझाने की कोशिश की है कि जैसे ही संक्रमित व्यक्ति छीकता है तो उससे एक मीटर पर खड़ा दूसरा व्यक्ति संक्रमित हो जाता है. वहीं जब दोनों मॉडल के चेहरे पर मास्क लगा दिया गया तो समान्य व्यक्ति संक्रमित होने से बच सकता है.

केवल संदेश ही नहीं प्रयोग के तौर पर बता रहे मास्क का महत्व

राजेश कई गांव सहित शहरों में जगह-जगह प्रदर्शनी भी लगा रहे हैं. केवल संदेश ही नहीं प्रयोग के तौर पर बता रहे हैं. शिक्षक राजेश पाराशर का कहना है अपने इस मॉडल के जरीए बताने की कोशिश कर रहा हूं कि 2 गज की दूरी से नाक और मुंह से निकले वाल ड्रॉपलेट्स किस तरह से बचा जा सकता है. उनका कहना है कि कोरोना से संक्रमिक होने का सबसे बड़ा कारण यह ड्रॉपलेट्स होते हैं, जो संक्रमित व्यक्ति के मुंह और नाक से निकलते हैं, जिसे एक निश्चित दूरी बनाकर खत्म किया जा सकता है. मॉडल के माध्यम से समाज के अनपढ़ों और सबसे निचले तबके तक मास्क सोशल डिस्टेंसिंग की जानकारी दी जा रही है.

विज्ञान के सिद्धांतों पर 20 साल से कर रहे हैं जागरुक

बता दें कि राजेश जागरुक समाज के बीच अंधविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने के लिए पिछले 20 साल से वैज्ञानिक प्रयोगों के माध्यम से लोगों और विद्यार्थियों को जागरुक करते आ रहे हैं. आदिवासी ब्लॉक में एकमात्र शासकीय स्कूल में स्वयं के पैसे से आधुनिक प्रयोगशाला बनवाई, जिसमें खगोलीय घटनाओं, सहित स्कूल में पढ़ाए जाने वाले सभी सिद्धांत सहित आधुनिक मॉडल को रखा गया है. सभी मॉडल राजेश ने बनाये हैं, जिनका प्रयोग कर बच्चों को विज्ञान के प्रति रुचि सहित इन्फॉर्मेशन दी जाती है.

Last Updated : Oct 2, 2020, 4:53 PM IST
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