ETV Bharat / state

महिलाओं की मेहनत ने बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ, नर्सरी बनाकर अब ले रही पौधों के ऑर्डर

होशंगाबाद के छोटे से गांव जुनेहटा में दस महिलाओं ने मिलकर सरकारी प्रोजेक्ट के तहत मिली रैतेली जमीन को उपजाऊ बनाकर उसे नर्सरी में बदल दिया है. देखिए इन दस महिलाओं की मेहनत की कहानी...

hoshangabad
रंग लाई महिलाओं की मेहनत
author img

By

Published : Nov 24, 2020, 9:11 AM IST

होशंगाबाद। मध्य प्रदेश का एक छोटा सा गांव जुनेहटा, यह गांव वैसे तो आम गांव की तरह है, लेकिन यहां पर होने वाली सामाजिक और आर्थिक बदलावों ने इसे खास बना दिया है. महिलाओं की मेहनत और पारंपरिक आजीविका के काम ने इसे एक आदर्श गांव बना दिया है, जो सैकड़ों महिलाओं और समाज के लोगों के लिए आदर्श का उदाहरण है. इस गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत से इस गांव की रंगत बदल दी है, इन्होंने बंजर भूमि को उपजाऊ और लाभ के धंधे की जमीन बना दिया है.

रंग लाई महिलाओं की मेहनत

होशंगाबाद मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बनखेड़ी ब्लॉक के जूनेहटा गांव में करीब हजार लोगों की आबादी है. जंगलों से घिरे हुए दूधी नदी के नजदीक पहाड़ और जंगल के बीच स्थित छोटे इस गांव में सरकारी प्रोजेक्ट के तहत मिली रैतेली जमीन को उपजाऊ बनाकर नर्सरी का बनाने का काम यहां की दस महिलाओं ने मिलकर किया है.

यह पूरी पहल स्व सहायता समूह योजना के तहत की गई है, जिसमें सभी महिलाओं ने मिलकर एक संस्था के तौर पर काम किया है महिलाओं ने पंचायत के माध्यम से स्व सहायता समूह के तौर पर नर्सरी स्थापित करने का प्रोजेक्ट तैयार किया है. इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया जा रहा है. महिलाओं ने गंगा स्व सहायता समूह बनाया है जो पर्यावरण के लिए काम कर रहा है, जिन्हें सरकार की मदद से खाली पड़ी दो एकड़ भूमि मिली है, जिस पर उन्होंने पर्यावरण के लिए काम करते हुए नर्सरी की स्थापना की है. जिसमें करीब 50 हजार पौधे का लगाकर, उन्हें बड़ा किया जा रहा है जिन्हें बेचकर भविष्य में आय की जा सकेगी.

करीब तीन माह की मेहनत में तैयार किया जमीन

स्व सहायता समूह की महिला ने बताया कि समूह की 10 महिलाओं ने सरकार से मिली जमीन को साफ कर करीब तीन माह में जमकर मेहनत कर, उसे खेती करने लायक बना लिया है. जब ये जमीन सरकार से मिली थी जब यहां जंगल था और जमीन खेती करने लायक नही थी, जिसको इन महिलाओं ने दिन रात मेहनत कर खेती करने लायक बना दिया है.

जैविक खेती से उपजाऊ बनाई जमीन

समूह की महिला ने बताया कि इस जमीन को उपजाऊ बनाने में उन्होंने जैविक खाद का उपयोग किया है. इस पर महिलाओं ने जैविक तरीके के साथ, पारम्परिक रूप से काम किया है, उन्होंने इस मैदान में गोबर की खाद के साथ करीब अलग-अलग किस्मों से बीज का निर्माण किया है, जिससे अब पौधे तैयार करने का कार्य किया जा रहा है.

करीब 50 हजार पौधे किये तैयार

ये महिलाएं मिलकर जमीन तैयार करने के बाद करीब 50 हजार पौधे अभी तक तैयार कर चुकी हैं और इनकी मात्र तीन महीने में ही इतनी बढ़ी है, नर्सरी शुरू होते ही सरकारी योजनाओं सहित ग्रीन इंडिया के सरकारी प्रोजेक्ट के लिये इन्हें आर्डर मिलने लगे हैं.महिलाओं को दो लाख पौधे लगाने का आर्डर संस्थाओं ने दिया है, जिसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है.

नर्सरी में आम, अमरूद, नीबू सहित अन्य फलदार पौधे तैयार कराए जा रहे है. वहीं इन महिलाओं को सरकार के द्वारा मनरेगा के तहत रोजाना की मजदूरी दी जा रही है. जिससे वो अपने घर का खर्चा चला रही हैं, इसके साथ ही बड़ी संख्या में लगाए इन पौधों के बिकने पर करीब 10 लाख रूपये मिल सकेंगे. जिला पंचायत सीईओ मनोज सरेयाम ने महिलाओं के इस काम को देखते हुए उनकी तारीफ की.

ये भी पढ़ें-SPECIAL: मशरूम उत्पादन ने बदली किस्मत, कभी घर से बाहर न निकलने वाली महिलाएं अब कमा रहीं लाखों

इन महिलाओं ने जंगल और बंजर जमीन को अपनी मेहनत से उपजाऊ बनाया है, जिससे आने वाले दिनों में अच्छी कमाई हो सकेगी, इसके साथ ही महिलाएं अपने परिवार का सहयोग कर सकती हैं.

होशंगाबाद। मध्य प्रदेश का एक छोटा सा गांव जुनेहटा, यह गांव वैसे तो आम गांव की तरह है, लेकिन यहां पर होने वाली सामाजिक और आर्थिक बदलावों ने इसे खास बना दिया है. महिलाओं की मेहनत और पारंपरिक आजीविका के काम ने इसे एक आदर्श गांव बना दिया है, जो सैकड़ों महिलाओं और समाज के लोगों के लिए आदर्श का उदाहरण है. इस गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत से इस गांव की रंगत बदल दी है, इन्होंने बंजर भूमि को उपजाऊ और लाभ के धंधे की जमीन बना दिया है.

रंग लाई महिलाओं की मेहनत

होशंगाबाद मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बनखेड़ी ब्लॉक के जूनेहटा गांव में करीब हजार लोगों की आबादी है. जंगलों से घिरे हुए दूधी नदी के नजदीक पहाड़ और जंगल के बीच स्थित छोटे इस गांव में सरकारी प्रोजेक्ट के तहत मिली रैतेली जमीन को उपजाऊ बनाकर नर्सरी का बनाने का काम यहां की दस महिलाओं ने मिलकर किया है.

यह पूरी पहल स्व सहायता समूह योजना के तहत की गई है, जिसमें सभी महिलाओं ने मिलकर एक संस्था के तौर पर काम किया है महिलाओं ने पंचायत के माध्यम से स्व सहायता समूह के तौर पर नर्सरी स्थापित करने का प्रोजेक्ट तैयार किया है. इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया जा रहा है. महिलाओं ने गंगा स्व सहायता समूह बनाया है जो पर्यावरण के लिए काम कर रहा है, जिन्हें सरकार की मदद से खाली पड़ी दो एकड़ भूमि मिली है, जिस पर उन्होंने पर्यावरण के लिए काम करते हुए नर्सरी की स्थापना की है. जिसमें करीब 50 हजार पौधे का लगाकर, उन्हें बड़ा किया जा रहा है जिन्हें बेचकर भविष्य में आय की जा सकेगी.

करीब तीन माह की मेहनत में तैयार किया जमीन

स्व सहायता समूह की महिला ने बताया कि समूह की 10 महिलाओं ने सरकार से मिली जमीन को साफ कर करीब तीन माह में जमकर मेहनत कर, उसे खेती करने लायक बना लिया है. जब ये जमीन सरकार से मिली थी जब यहां जंगल था और जमीन खेती करने लायक नही थी, जिसको इन महिलाओं ने दिन रात मेहनत कर खेती करने लायक बना दिया है.

जैविक खेती से उपजाऊ बनाई जमीन

समूह की महिला ने बताया कि इस जमीन को उपजाऊ बनाने में उन्होंने जैविक खाद का उपयोग किया है. इस पर महिलाओं ने जैविक तरीके के साथ, पारम्परिक रूप से काम किया है, उन्होंने इस मैदान में गोबर की खाद के साथ करीब अलग-अलग किस्मों से बीज का निर्माण किया है, जिससे अब पौधे तैयार करने का कार्य किया जा रहा है.

करीब 50 हजार पौधे किये तैयार

ये महिलाएं मिलकर जमीन तैयार करने के बाद करीब 50 हजार पौधे अभी तक तैयार कर चुकी हैं और इनकी मात्र तीन महीने में ही इतनी बढ़ी है, नर्सरी शुरू होते ही सरकारी योजनाओं सहित ग्रीन इंडिया के सरकारी प्रोजेक्ट के लिये इन्हें आर्डर मिलने लगे हैं.महिलाओं को दो लाख पौधे लगाने का आर्डर संस्थाओं ने दिया है, जिसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है.

नर्सरी में आम, अमरूद, नीबू सहित अन्य फलदार पौधे तैयार कराए जा रहे है. वहीं इन महिलाओं को सरकार के द्वारा मनरेगा के तहत रोजाना की मजदूरी दी जा रही है. जिससे वो अपने घर का खर्चा चला रही हैं, इसके साथ ही बड़ी संख्या में लगाए इन पौधों के बिकने पर करीब 10 लाख रूपये मिल सकेंगे. जिला पंचायत सीईओ मनोज सरेयाम ने महिलाओं के इस काम को देखते हुए उनकी तारीफ की.

ये भी पढ़ें-SPECIAL: मशरूम उत्पादन ने बदली किस्मत, कभी घर से बाहर न निकलने वाली महिलाएं अब कमा रहीं लाखों

इन महिलाओं ने जंगल और बंजर जमीन को अपनी मेहनत से उपजाऊ बनाया है, जिससे आने वाले दिनों में अच्छी कमाई हो सकेगी, इसके साथ ही महिलाएं अपने परिवार का सहयोग कर सकती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.