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राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी को भूल रही प्रदेश सरकार, यादों को सहेजने की जरूरत - माखननगर

राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के महान कामों को सरकार भूलती जा रही है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकारों ने माखनलाल जी के नाम पर कई घोषणाएं की. लेकिन सरकार उन घोषणाओं को कभी लागू नहीं कर पाईं.

राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की यादों को सहेजने की जरूरत
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Published : Sep 27, 2019, 11:02 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 11:55 AM IST

होशंगाबाद। देश के राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के देश के आजादी के समय महान कार्य किए थे, जिन्हें सभी सरकारें भूलती जा रही है. इनकी यादों को सहेजने के लिये प्रदेश सरकार भी गंभीर नहीं है. आजादी के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारें आई और दोनों ही सरकारों ने माखनलाल जी के नाम पर कई घोषणाएं की. लेकिन सरकार उन घोषणाओं को कभी लागू नहीं कर पाईं.

राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की यादों को सहेजने की जरूरत

1989 में कांग्रेस के सीएम अर्जुन सिंह ने बाबई को महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर रखते हुए माखननगर नाम दिया था. बाबई को माखननगर के रूप में पहचान तो मिल गई लेकिन यह सिर्फ बोलचाल तक सीमित रह गई. कागजों में अब भी माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली को माखन नगर के बजाय बाबई के नाम से ही जाना जाता है. कागजों में माखन नगर की जगह बाबाई ही प्रचलित है.

राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के परिजन के नाती डीके तिवारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकार रही लेकिन दोनों ही सरकारों ने केवल घोषणा की लेकिन घोषणाओं को कभी लागू नहीं कर पाईं. दस्तावेजों में तो वादे किये जाते रहे हैं लेकिन कोई बदलाव नहीं किया गया. माखनलाल जी के परिजनों ने माखन नगर के लिए कई बार पत्राचार किया लेकिन सभी बेअसर साबित हुए हैं. वहीं शहर में माखनलाल जी के नाम पर केवल एक स्टैच्यू और भवन बनाया हुआ है.

डीके तिवारी ने बताया कि पहले सरकार के मंत्री, नेता, प्रशासनिक अधिकारी जुलूस लेकर आते थे और घोषणा करके चले जाते थे. माखनलाल जी के जन्मदिन पर विभिन्न कार्यक्रम और कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता था. लेकिन 15 साल से वह भी बंद हो गया है. उनकी जन्मभूमि को स्मारक बनाने के लिए कई बार घोषणा कर जगह का चिन्हांकन करीब 20 बार से अधिक नापतोल भी किया गया. लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया गया. कांग्रेस सरकार से फिर इससे उम्मीद जताई जा रही है कि वे अपने सीएम की घोषणाओं को लागू करवाएं.

होशंगाबाद। देश के राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के देश के आजादी के समय महान कार्य किए थे, जिन्हें सभी सरकारें भूलती जा रही है. इनकी यादों को सहेजने के लिये प्रदेश सरकार भी गंभीर नहीं है. आजादी के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारें आई और दोनों ही सरकारों ने माखनलाल जी के नाम पर कई घोषणाएं की. लेकिन सरकार उन घोषणाओं को कभी लागू नहीं कर पाईं.

राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी की यादों को सहेजने की जरूरत

1989 में कांग्रेस के सीएम अर्जुन सिंह ने बाबई को महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर रखते हुए माखननगर नाम दिया था. बाबई को माखननगर के रूप में पहचान तो मिल गई लेकिन यह सिर्फ बोलचाल तक सीमित रह गई. कागजों में अब भी माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली को माखन नगर के बजाय बाबई के नाम से ही जाना जाता है. कागजों में माखन नगर की जगह बाबाई ही प्रचलित है.

राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के परिजन के नाती डीके तिवारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकार रही लेकिन दोनों ही सरकारों ने केवल घोषणा की लेकिन घोषणाओं को कभी लागू नहीं कर पाईं. दस्तावेजों में तो वादे किये जाते रहे हैं लेकिन कोई बदलाव नहीं किया गया. माखनलाल जी के परिजनों ने माखन नगर के लिए कई बार पत्राचार किया लेकिन सभी बेअसर साबित हुए हैं. वहीं शहर में माखनलाल जी के नाम पर केवल एक स्टैच्यू और भवन बनाया हुआ है.

डीके तिवारी ने बताया कि पहले सरकार के मंत्री, नेता, प्रशासनिक अधिकारी जुलूस लेकर आते थे और घोषणा करके चले जाते थे. माखनलाल जी के जन्मदिन पर विभिन्न कार्यक्रम और कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता था. लेकिन 15 साल से वह भी बंद हो गया है. उनकी जन्मभूमि को स्मारक बनाने के लिए कई बार घोषणा कर जगह का चिन्हांकन करीब 20 बार से अधिक नापतोल भी किया गया. लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया गया. कांग्रेस सरकार से फिर इससे उम्मीद जताई जा रही है कि वे अपने सीएम की घोषणाओं को लागू करवाएं.

Intro:होशंगाबाद । देश के राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के देश के आजादी के समय की महान कार्यों को सभी सरकारें भूलती जा रही है और इनकी यादों को संरक्षण के लिये प्रदेश की सरकारे गंभीर नही दिख रही है आजादी के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकारी आई इस दौरान दोनों ही सरकारों ने माखनलाल जीके नाम पर कई घोषणाएं की लेकिन सभी घोषणाएं को अमलीजामा किसी भी सरकार ने नहीं पहनाया है ।


Body:माखनलाल जी के परिजन के नाती डीके तिवारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकार रही लेकिन दोनों ही सरकारों ने केवल घोषणा की आमतौर पर जगह के नाम दस्तावेजों में तो वादे किये जाते रहे हैं लेकिन कोई बदलाव नही किया आमतौर पर देखा जाता है कि बोलचाल में शहरो के नाम पुराने ही नाम चलते हैं होशंगाबाद की माखन नगर की स्थिति इसके कुछ अलग है यहां वर्ष 1989 में तत्कालीन कांग्रेस के मुख्यमंत्रीअर्जुन सिंह ने बाबई को महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर रखते हुए माखननगर नाम दिया था तब से ईसे माखननगर के रूप में पहचान तो मिल गई लेकिन यह से बोलचाल तक सीमित रह गई कागजों में अब भी माखन नगर माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली को माखन नगर के बजाय बाबई के नाम से जाना जाता है कागजों में माखन नगर की जगह बाबाई ही प्रचलित है इसके लिए परिजनों द्वारा भी कई बार पत्राचार किया जा चुका है लेकिन सभी बेअसर साबित हुए हैं वहीं शहर में माखनलाल जी के नाम पर केवल एक स्टैच्यू और भवन बनाया हुआ है जन्मभूमि को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा करीब कई बार घोषणा तो की गई लेकिन काम नहीं किया गया है
पहले जुलूस आता था

साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी के नाती डीके तिवारी ने बताया कि पहले सरकार के मंत्री नेता प्रशासनिक अधिकारी जुलूस लेकर आते थे और घोषणा कर चले जाते थे लेकिन 15 साल से वह भी बंद हो गया है। उनकी जन्मभूमि को स्मारक बनाने के लिए कई बार घोषणा कर जगह का चिन्हांकन करीब 20 बार से अधिक नापतोल भी किया गया लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया गया अब फिर कांग्रेस सरकार वापस आई है इससे उम्मीद जताई जा रही है कि वे अपने तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणाओं को अमलीजामा पहनायेगे ।

किसी भी तरीके से को पूरा नहीं किया गया माखनलाल जी की जन्मस्थली भाई को


Conclusion:साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित करने वाले साहित्यकार राष्ट्रकवि पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को वर्तमान होशंगाबाद जिले के बाबई नगर में हुआ था पंडित चतुर्वेदी के पिता नंदलाल चतुर्वेदी प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे और यहीं पर प्राथमिक शिक्षा पंडित माखनलाल जी ने पाई थी ।

Last Updated : Sep 27, 2019, 11:55 AM IST
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