होशंगाबाद। देश के राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के देश के आजादी के समय महान कार्य किए थे, जिन्हें सभी सरकारें भूलती जा रही है. इनकी यादों को सहेजने के लिये प्रदेश सरकार भी गंभीर नहीं है. आजादी के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारें आई और दोनों ही सरकारों ने माखनलाल जी के नाम पर कई घोषणाएं की. लेकिन सरकार उन घोषणाओं को कभी लागू नहीं कर पाईं.
1989 में कांग्रेस के सीएम अर्जुन सिंह ने बाबई को महान कवि माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर रखते हुए माखननगर नाम दिया था. बाबई को माखननगर के रूप में पहचान तो मिल गई लेकिन यह सिर्फ बोलचाल तक सीमित रह गई. कागजों में अब भी माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली को माखन नगर के बजाय बाबई के नाम से ही जाना जाता है. कागजों में माखन नगर की जगह बाबाई ही प्रचलित है.
राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी के परिजन के नाती डीके तिवारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकार रही लेकिन दोनों ही सरकारों ने केवल घोषणा की लेकिन घोषणाओं को कभी लागू नहीं कर पाईं. दस्तावेजों में तो वादे किये जाते रहे हैं लेकिन कोई बदलाव नहीं किया गया. माखनलाल जी के परिजनों ने माखन नगर के लिए कई बार पत्राचार किया लेकिन सभी बेअसर साबित हुए हैं. वहीं शहर में माखनलाल जी के नाम पर केवल एक स्टैच्यू और भवन बनाया हुआ है.
डीके तिवारी ने बताया कि पहले सरकार के मंत्री, नेता, प्रशासनिक अधिकारी जुलूस लेकर आते थे और घोषणा करके चले जाते थे. माखनलाल जी के जन्मदिन पर विभिन्न कार्यक्रम और कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता था. लेकिन 15 साल से वह भी बंद हो गया है. उनकी जन्मभूमि को स्मारक बनाने के लिए कई बार घोषणा कर जगह का चिन्हांकन करीब 20 बार से अधिक नापतोल भी किया गया. लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं किया गया. कांग्रेस सरकार से फिर इससे उम्मीद जताई जा रही है कि वे अपने सीएम की घोषणाओं को लागू करवाएं.