नर्मदापुरम। अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस पर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक परिवार ने शहर में कई कोटेशन के साथ 10 गाड़ियों का काफिला निकाला, समाज में बेटियों के प्रति इस जागरूकता में लोगों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. सामाजिक सरोकार को जोड़ने वाले इस परिवार ने अंतर्राष्ट्रीय बिटिया दिवस पर अपनी दूसरी बेटी को धूम धाम से अस्पताल से घर लेकर पहुंचे. बेटी के ग्रह प्रवेश पर परिवार ने खूब जश्न मनाया, मिठाई बांटी और जमकर आतिशबाजी की.
बेटी रत्न पाकर धन्य हुआ परिवार: नर्मदापुरम के उद्योग विभाग में सहायक संचालक के पद पर पदस्थ गुंजन जैन ने बताया कि "मैं बहुत ही सौभाग्यशाली हूं कि हमारे घर 19 सितंबर को दूसरी बिटिया वैदेही का जन्म हुआ है. जैसे ही मुझे पता चला कि बेटी दिवस के दिन ही हम बिटिया को घर लाएंगे, तो हम लोगों ने तुरंत ही इस दिन को उत्सव के रूप में बदल लिया और पूरे समाज को और प्रदेश को यह संदेश दे पाए कि बिटिया बोझ नहीं है, अभिशाप नहीं है. बेटियां तो भगवान का वरदान हैं और जो योग्य लोग रहते हैं उन्हीं के घर में ही बिटिया होती है. हमारे द्वारा पूरे शहर में इस संदेश को पहुंचाने के लिए 10 गाड़ियों का काफिला निकाला गया, इतना ही नहीं बेटियों के प्रति जागरूकता अभियान के लिए निजी अस्पताल से निकली सभी 10 गाड़ियां पूरे शहर का चक्कर लगाते हुए और समाज को संदेश देते हुए घर पहुंची कि बिटिया अनमोल है, जिसके यहां बेटी है उसके यहां कल है. पूरे काफिले के दौरान जगह-जगह गाड़ियों पर फूल वर्षा कराई गई थी और धूम धाम से पटाखे फोड़ कर, मिठाई बांटकर हमने जशन मनाया."
Read More: |
समाज को दिया बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संदेश: गुंजन की सास और नवजात की दादी ममता जैन बताती हैं कि "हमारे घर में पोती ने जन्म लिया है. सरकार द्वारा भी जागरूकता के चलते साथ ही पूरे देश में ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसमें बेटियों के जन्म को लेकर बताया जा रहा है. मेरा मानना है कि लोगों को जागरूक करते हुए हम उन तक संदेश पहुंचाएं कि जो बेटियों को लेकर सरकार बोल रही है, उसे हमें करके दिखाना है. यही कारण है कि हमने ढोल, धमाके के साथ बिटिया का ग्रह प्रवेश कराया और साथ ही हमारे द्वारा सारी गाड़ियों पर फ्लेक्स 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बेटी है तो कल है' जैसे के संदेशों के साथ कोटेशन लगाएं गए. सजी गाड़ियों के साथ पूरे क्षेत्र के मुख्य मार्गों से होकर हम पुष्प वर्षा करते हुए नन्ही परी को घर लाए, इस जागरूकता अभियान में हमारा साथ समाज के अन्य लोगों ने भी दिया."