होशंगाबाद। यदि आपके बच्चे को पतंगबाजी का शौक है, तो उस पर नजर जरुर रखें, कि वह कहीं पतंग लूटने या पतंग उड़ाने के लिए किसी ऐसी जगह तो नहीं जा रहा है, जहां उसकी जान पर बन आए. छत या कहीं पुरानी बिल्डिंग या कोई गड्ढे के आसपास. बच्चों को समझाएं कि यह जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसा ही एक वाक्या बुधवार की शाम को होशंगाबाद जिले के गांधीनगर से सामने आया है.
जहां एक 10 साल का बच्चा पतंग और मांझा लूटने के चक्कर में छत से नीचे गिर गया, और बिल्डिंग में मौजूद खुली लोहे की रॉड में उसका पैक धंस गया, बच्चा दो घंटे उस रॉड में ही फंसा रहा. जब आसपास के लोगों को इस बात की जानकारी लगी, तब उसे निकाला गया. इस दौरान बच्चे ने काफी हिम्मत रखी और बिना रोये खुद को संभालता रहा. आखिरकार लोह की रॉड काटकर उसे रॉड सहित अस्पताल ले जाया गया. जहां उसका एक निजी अस्पताल में उपचार किया जा रहा है.
बता दें कि पतंगबाजी के चक्कर में बालक की जान पर बन आई थी. वह पतंग और मांझा लूटने के चक्कर में छत से नीचे गिर गया और वहां खुली लोहे रॉड उसकी जांघ के आरपार हो गई. मोहल्ले के लोग परिजनों के साथ उसे शहर के निजी अस्पताल लेकर आए. जहां डॉ. अचलेश्वर दयाल और उनकी टीम ने सफल ऑपरेशन कर उसकी जांघ से रॉड निकाली. अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आर दयाल ने बताया कि जांघ में जहां से रॉड बाहर निकली गई है, यदि वहां की नस डेमेज हो जाती, तो पैर काटने की नौबत आ सकती थी, लेकिन सफलता पूर्वक रॉड निकाल दिया गया है और बच्चे की स्थिति अब ठीक है.