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किसानों को दिया जा रहा सालों पुराना यूरिया, सोसायटियों में खाद की किल्लत

फसल की बोनी के बाद किसानों को यूरिया की सख्त जरूरत है, लेकिन उन्हें इसके लिए परेशान होना पड़ रहा है. किसानों को उनके आसपास की सोसायटियों में खाद नहीं मिलने की वजह से उन्हें जिला मुख्यालय पर डीएमओ के गोदाम पर आना पड़ रहा है.

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Published : Nov 23, 2019, 8:05 AM IST

Updated : Nov 23, 2019, 9:18 AM IST

पर्याप्त खाद होने के बाद भी किसानों को दिया जा रहा है सालों पुराना यूरिया

हरदा। जिले के किसानों को रबी की फसल लगाने के लिए खाद उपलब्ध करा दिया गया है, फिर भी कई किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. सहकारी समितियों में तय दाम से अधिक राशि वसूलकर किसानों की जरूरत और मजबूरी का फायदा भी उठाया जा रहा है.

किसानों को दिया जा रहा सालों पुराना यूरिया

किसानों को गेहूं की बोनी के बाद लगने वाले यूरिया खाद के लिए भटकना पड़ रहा है. डीएमओ गोदाम से तो किसानों को वर्ष 2014-15 का खाद बेचा जा रहा है. कृषि विभाग का दावा है कि यूरिया ओर डीएपी में पैकिंग की डेट तो लिखी होती है, लेकिन एक्सपायरी डेट नहीं होती. डीएमओ से वितरित किया जाने वाला खाद मानक स्तर का है. वहीं जिले में खाद की कमी होने की बात को कृषि विभाग सिरे से खारिज कर रहा है. इधर खाद के चक्कर मे किसानों को अपना ब्लॉक छोड़कर जिला मुख्यालय आना पड़ रहा है. कृषि विभाग का मत है कि किसानों के द्वारा तय माप से अधिक खाद का प्रयोग किया जाता है.

हरदा में रबी सीजन में गेहूं के लिए एक लाख 60 हजार हेक्टेयर और 25 हजार हेक्टेयर में चना लगाई जानी है, जिसके लिए कृषि विभाग के द्वारा 37 हजार मैट्रिक टन यूरिया और 19 हजार मैट्रिक टन डीएपी की डिमांड की गई थी. जिले में अब तक कुल 1 लाख 85 हजार हेक्टेयर में गेहूं और चने की बोवनी की जा चुकी है. पूरी फसल के उत्पादन के लिए किसानों के द्वारा तीन बार यूरिया का प्रयोग किया जाता है.

मामले को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में खाद की कहीं कोई कमी नहीं है. किसानों के द्वारा तय माप से अधिक खाद डाला जाता है, जिसके चलते इस तरह की बातें सामने आई है. वहीं यूरिया खाद में एक्सपायरी नहीं होती है. अधिकारियों का कहना है कि वहां रखा यूरिया मानक स्तर का है. उसके उपयोग से कोई नुकसान नहीं है. जिले के कुल लक्ष्य का 80 प्रतिशत खाद वितरित किया जा चुका है.

हरदा। जिले के किसानों को रबी की फसल लगाने के लिए खाद उपलब्ध करा दिया गया है, फिर भी कई किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. सहकारी समितियों में तय दाम से अधिक राशि वसूलकर किसानों की जरूरत और मजबूरी का फायदा भी उठाया जा रहा है.

किसानों को दिया जा रहा सालों पुराना यूरिया

किसानों को गेहूं की बोनी के बाद लगने वाले यूरिया खाद के लिए भटकना पड़ रहा है. डीएमओ गोदाम से तो किसानों को वर्ष 2014-15 का खाद बेचा जा रहा है. कृषि विभाग का दावा है कि यूरिया ओर डीएपी में पैकिंग की डेट तो लिखी होती है, लेकिन एक्सपायरी डेट नहीं होती. डीएमओ से वितरित किया जाने वाला खाद मानक स्तर का है. वहीं जिले में खाद की कमी होने की बात को कृषि विभाग सिरे से खारिज कर रहा है. इधर खाद के चक्कर मे किसानों को अपना ब्लॉक छोड़कर जिला मुख्यालय आना पड़ रहा है. कृषि विभाग का मत है कि किसानों के द्वारा तय माप से अधिक खाद का प्रयोग किया जाता है.

हरदा में रबी सीजन में गेहूं के लिए एक लाख 60 हजार हेक्टेयर और 25 हजार हेक्टेयर में चना लगाई जानी है, जिसके लिए कृषि विभाग के द्वारा 37 हजार मैट्रिक टन यूरिया और 19 हजार मैट्रिक टन डीएपी की डिमांड की गई थी. जिले में अब तक कुल 1 लाख 85 हजार हेक्टेयर में गेहूं और चने की बोवनी की जा चुकी है. पूरी फसल के उत्पादन के लिए किसानों के द्वारा तीन बार यूरिया का प्रयोग किया जाता है.

मामले को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में खाद की कहीं कोई कमी नहीं है. किसानों के द्वारा तय माप से अधिक खाद डाला जाता है, जिसके चलते इस तरह की बातें सामने आई है. वहीं यूरिया खाद में एक्सपायरी नहीं होती है. अधिकारियों का कहना है कि वहां रखा यूरिया मानक स्तर का है. उसके उपयोग से कोई नुकसान नहीं है. जिले के कुल लक्ष्य का 80 प्रतिशत खाद वितरित किया जा चुका है.

Intro: कमलनाथ सरकार के द्वारा हर साल होने वाली खाद की मारामारी को ध्यान में रखते हुए।रवि सीजन शुरू होने के पहले ही
जिले के किसानों को रवि सीजन में लगने वाले कुल खाद से अधिक खाद उपलब्ध करा दिया गया।बावजूद इसके किसानों को खाद के लिए किल्लत का सामना करना पड़ रहा।किसानों को गेहूं की बोनी के बाद लगने वाले यूरिया खाद के लिए भटकना पड़ रहा है।सहकारी समितियों में तय दाम से अधिक राशि वसूल कर किसानों की जरूरत ओर मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है।वही डीएमओ गोदाम से तो किसानों को वर्ष 2014-15 का खाद बेचा जा रहा है।कृषि विभाग का दावा है कि यूरिया ओर डीएपी में पैकिंग की डेट तो लिखी होती है लेकिन एक्सपायरीडेट नही होती।डीएमओ से वितरित किया जाने वाला खाद मानक स्तर का है।वही जिले में खाद की कमी होने की बात को कृषि विभाग सिरे से खारिज कर रहा है।जबकि खाद के चक्कर मे किसानों को अपना ब्लाक छोड़कर जिला मुख्यालय आना पड़ रहा है।कृषि विभाग का मत है कि किसानों के द्वारा तय माप से अधिक खाद का प्रयोग किया जाता है।


Body:हरदा जिले में रवि सीजन में गेहूं के लिए एक लाख 60 हजार हेक्टेयर एवं 25 हजार हेक्टेयर में चना लगाई जानी है।जिसके लिए कृषि विभाग के द्वारा 37 हजार मैट्रिक टन यूरिया एवं 19 हजार मेट्रिक टन डीएपी की डिमांड की गई थी। जिले में अब तक कुल 1 लाख 85 हजार हेक्टेयर में गेहूं और चने की बोवनी की जा चुकी है।पूरी फसल के उत्पादन के लिए किसानों के द्वारा तीन बार यूरिया का प्रयोग किया जाता है।बोवनी के बाद किसानों को यूरिया की सख्त जरूरत है।जिसके चलते किसानों को परेशान होना पड़ रहा है।किसानों को उनके आसपास की सोसायटियों में खाद नही मिलने की वजह से उन्हें जिला मुख्यालय पर डीएमओ के गोदाम पर आना पड़ रहा है।जहाँ उन्हें गोदाम में रखा वर्ष 2014-15 की यूरिया जिनमें डल्ले बन गए है हम्मालों से फ़ूडवाकर दिया जा रहा है।
बाईट- गणेश राजपूत किसान ग्राम पड़वा तारापुर
बाईट- रामनिवास खोरे किसान ग्राम धनकार


Conclusion:इस मामले को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में खाद की कही भी कोई कमी नही है।किसानों के द्वारा तय मापक से अधिक खाद डाला जाता है।जिसके चलते इस तरह की बातें सामने आई है।वही यूरिया खाद में एक्सपायरी नही होती है।वहां रखा यूरिया मानक स्तर का है उसके उपयोग से कोई नुकसान नही है।जिले के कुल लक्ष्य का 80 प्रतिशत खाद वितरित किया जा चुका है।

बाईट- डीएस वर्मा,सहायक संचालक कृषि विभाग हरदा
Last Updated : Nov 23, 2019, 9:18 AM IST
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