हरदा। जिले के किसानों को रबी की फसल लगाने के लिए खाद उपलब्ध करा दिया गया है, फिर भी कई किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. सहकारी समितियों में तय दाम से अधिक राशि वसूलकर किसानों की जरूरत और मजबूरी का फायदा भी उठाया जा रहा है.
किसानों को गेहूं की बोनी के बाद लगने वाले यूरिया खाद के लिए भटकना पड़ रहा है. डीएमओ गोदाम से तो किसानों को वर्ष 2014-15 का खाद बेचा जा रहा है. कृषि विभाग का दावा है कि यूरिया ओर डीएपी में पैकिंग की डेट तो लिखी होती है, लेकिन एक्सपायरी डेट नहीं होती. डीएमओ से वितरित किया जाने वाला खाद मानक स्तर का है. वहीं जिले में खाद की कमी होने की बात को कृषि विभाग सिरे से खारिज कर रहा है. इधर खाद के चक्कर मे किसानों को अपना ब्लॉक छोड़कर जिला मुख्यालय आना पड़ रहा है. कृषि विभाग का मत है कि किसानों के द्वारा तय माप से अधिक खाद का प्रयोग किया जाता है.
हरदा में रबी सीजन में गेहूं के लिए एक लाख 60 हजार हेक्टेयर और 25 हजार हेक्टेयर में चना लगाई जानी है, जिसके लिए कृषि विभाग के द्वारा 37 हजार मैट्रिक टन यूरिया और 19 हजार मैट्रिक टन डीएपी की डिमांड की गई थी. जिले में अब तक कुल 1 लाख 85 हजार हेक्टेयर में गेहूं और चने की बोवनी की जा चुकी है. पूरी फसल के उत्पादन के लिए किसानों के द्वारा तीन बार यूरिया का प्रयोग किया जाता है.
मामले को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में खाद की कहीं कोई कमी नहीं है. किसानों के द्वारा तय माप से अधिक खाद डाला जाता है, जिसके चलते इस तरह की बातें सामने आई है. वहीं यूरिया खाद में एक्सपायरी नहीं होती है. अधिकारियों का कहना है कि वहां रखा यूरिया मानक स्तर का है. उसके उपयोग से कोई नुकसान नहीं है. जिले के कुल लक्ष्य का 80 प्रतिशत खाद वितरित किया जा चुका है.