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हरदा: नरवाई की आग से चढ़ रही है हरे पेड़ों की बलि, लाखों रुपए खर्च कर किया गया था पौधरोपण - हरदा

हर साल सरकार और सामाजिक संगठन लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण करते हैं. वहीं हर साल किसान गेंहू की फसल काटने के बाद बची नरवाई को जलाते हैं, जिसके चलते आग की चपेट में आने से खेतों की मेड़ पर लगे वर्षों पुराने हरे-भरे पेड़ों की बलि चढ़ती है.

नरवाई की आग से चढ़ रही है हरे पेड़ों की बलि
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Published : May 26, 2019, 9:51 PM IST

हरदा। हर साल सरकार और सामाजिक संगठन लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण करते हैं. वहीं हर साल किसान गेंहू की फसल काटने के बाद बची नरवाई को जलाते हैं, जिसके चलते आग की चपेट में आने से खेतों की मेड़ पर लगे वर्षों पुराने हरे-भरे पेड़ों की बलि चढ़ती है. प्रशासन के द्वारा भी किसानों पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने से हर साल बड़ा नुकसान होता है.

इस साल भी नरवाई में लगी आग की वजह से कई किसानों की खड़ी फसल भी जल गई है. इसके वाबजूद किसानों द्वारा नरवाई जलाने पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. हर साल सरकार और सामाजिक संगठनों के द्वारा लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण किया जा रहा है. जिले में वन विभाग ने करोड़ो रूपये खर्च कर पौधरोपण तो किया है लेकिन पानी की कमी की वजह से कुछ दिनों में जंगल के अधिकांश पौधे सुख गये हैं.

नरवाई की आग से चढ़ रही है हरे पेड़ों की बलि

जिले के रेवा पर्यावरण क्लब भी बारिश के दिनों में जगह-जगह पौधरोपण करती है. कलेक्टर बंगले के पास बने नए सर्किट हाउस में क्लब के सदस्यों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में इस साल करीब 70 से अधिक पौधे लगाए हैं, जिन्हें गर्मी से बचाने क्लब के सदस्य हर रविवार को पानी देते हैं. क्लब के सदस्यों का कहना है कि एक और उनके द्वारा पौधों को बड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है, वहीं हर साल नरवाई की आग से हरे पेड़ों की बलि चढ़ना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है.

इस साल नरवाई की आग से हजारों हरे पेड़ जल कर रख हो गए हैं. लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है. जबकि हर साल कलेक्टर द्वारा मार्च महीने से ही नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए जाते हैं. जितने पौधे रोपित नहीं होते उससे कई ज्यादा जलकर खाक हो जाते हैं, जिसके चलते पिछले पांच सालों में औसत से कम बारिश हुई है. साथ ही जलस्तर गिरने से पूरे जिले में पानी की समस्या भी आ जाती है.

हरदा। हर साल सरकार और सामाजिक संगठन लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण करते हैं. वहीं हर साल किसान गेंहू की फसल काटने के बाद बची नरवाई को जलाते हैं, जिसके चलते आग की चपेट में आने से खेतों की मेड़ पर लगे वर्षों पुराने हरे-भरे पेड़ों की बलि चढ़ती है. प्रशासन के द्वारा भी किसानों पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने से हर साल बड़ा नुकसान होता है.

इस साल भी नरवाई में लगी आग की वजह से कई किसानों की खड़ी फसल भी जल गई है. इसके वाबजूद किसानों द्वारा नरवाई जलाने पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. हर साल सरकार और सामाजिक संगठनों के द्वारा लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण किया जा रहा है. जिले में वन विभाग ने करोड़ो रूपये खर्च कर पौधरोपण तो किया है लेकिन पानी की कमी की वजह से कुछ दिनों में जंगल के अधिकांश पौधे सुख गये हैं.

नरवाई की आग से चढ़ रही है हरे पेड़ों की बलि

जिले के रेवा पर्यावरण क्लब भी बारिश के दिनों में जगह-जगह पौधरोपण करती है. कलेक्टर बंगले के पास बने नए सर्किट हाउस में क्लब के सदस्यों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में इस साल करीब 70 से अधिक पौधे लगाए हैं, जिन्हें गर्मी से बचाने क्लब के सदस्य हर रविवार को पानी देते हैं. क्लब के सदस्यों का कहना है कि एक और उनके द्वारा पौधों को बड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है, वहीं हर साल नरवाई की आग से हरे पेड़ों की बलि चढ़ना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है.

इस साल नरवाई की आग से हजारों हरे पेड़ जल कर रख हो गए हैं. लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है. जबकि हर साल कलेक्टर द्वारा मार्च महीने से ही नरवाई में आग लगाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए जाते हैं. जितने पौधे रोपित नहीं होते उससे कई ज्यादा जलकर खाक हो जाते हैं, जिसके चलते पिछले पांच सालों में औसत से कम बारिश हुई है. साथ ही जलस्तर गिरने से पूरे जिले में पानी की समस्या भी आ जाती है.

Intro:हरदा जिले में हर साल रवि सीजन की फसल की कटाई के बाद किसानों के द्वारा अपने खेतों की सफाई के लिए गेंहू की फसल कटने के बाद बची नरवाई को आग के हवाले कर दिया जाता है।चंद रुपयों को बचाने के चक्कर में भीषण गर्मी के मौसम में नरवाई की आग से हर साल नुकसान उठाना पड़ता है वही आग की चपेट में आने से खेतों की मेड पर लगे वर्षो पुराने हरे भरे पेड़ो की बलि चढ़ती है।वही प्रशासन के द्वारा भी किसानों पर कोई सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने से हर साल जिले में बड़ा नुकसान होता है।इस साल भी नरवाई में लगी आग की वजह से कई किसानों की खड़ी फसल भी जल गई है।वाबजूद इसके किसानों के द्वारा नरवाई जलाने पर इक्का दुक्का कार्यवाही कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गई है।


Body:वही दूसरी ओर हर साल सरकार और सामाजिक संगठनों के द्वारा लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण किया जा रहा है।जिले में वन विभाग के द्वारा भी करोड़ो रूपये खर्च कर पौधरोपण तो किया गया है।लेकिन पनीं की कमी की वजह से पौधरोपण होने के कुछ दिनों बाद ही जंगल के अधिकांश पौधे सुख गये है।जिससे सरकार को करोड़ो रूपये का चूना लगा है।
वही दूसरी ओर हरदा के रेवा पर्यावरण क्लब के द्वारा भी बारिश के दिनों में जगह जगह पौधरोपण किया जाता है।साथ ही उस पौधे के पेड़ बनने तक उसकी साल संभाल की जाती है।कलेक्टर बंगले के पास बने नए सर्किट हाउस में क्लब के सदस्यों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में इस साल करीब 70 से अधिक पौधे रोपित किये गए हैं।जिन्हें भीषण गर्मी से बचने क्लब के सदस्यों के द्वारा हर रविवार को जाकर पानी दिया जाता है।क्लब के सदस्यों का कहना है कि एक और उनके द्वारा पौधों को बड़ा करने के लिए कड़ी मेहनत की जाती है।वही हर साल नरबाई की आग से हरे पेड़ो की बलि चढ़ना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।
बाईट - कमलेश पारे
शिक्षक एवं सदस्य रेवा पर्यावरण क्लब,हरदा

बाईट - राकेश गुहा
अधिवक्ता एवं सदस्य रेवा पर्यावरण क्लब,हरदा


Conclusion:हरदा जिले में इस साल भी नरवाई की आग से हजारो हरे पेड़ो की बलि चढ़ गई है।लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है।जबकि हर साल कलेक्टर के द्वारा मार्च महीने से ही नरबाई में आग लगाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए जाते हैं।जिले में जितने पौधे रोपित नहीं होते उससे कहि ज्यादा जलकर खाक हो जाते हैं।जिसके चलते पिछले पांच सालों में औसत से कम बारिश हुई है।साथ ही जलस्तर गिरने से पूरे जिले में पानी की समस्या भी आ जाती है।
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