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पहली ही बारिश में टूटी नहर की लाइनिंग, 26 करोड़ की लागत से हो रहा है निर्माण

जिले के करोड़ों रुपए की लागत से बन रही नहरों की लाइनिंग पहली ही बारिश में टूट गई है. लोगों ने अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

पहली ही बारिश में टूटी नहर की लाइनिंग
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Published : Jul 13, 2019, 3:20 PM IST

हरदा। जिले को शत-प्रतिशत सिंचित बनाने के लिए नहरों में करोड़ों रुपए की लागत से लाइनिंग का काम किया जा रहा है. जिले की टिमरनी तहसील के अंतर्गत 3 उपनहरों पर 61 किलोमीटर की लाइनिंग का काम 26 करोड़ 80 लाख की लागत से होना है, जो पहली बारिश में टूट गया है. वहीं ग्रामीणों ने विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

भारतीय किसान संघ के तहसील इकाई अध्यक्ष और बाजनिया जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष दीपचंद नवाद ने अधिकारियों पर निर्माण में अनदेखी करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि ठेकेदार के द्वारा ना तो कुटाई की गई है और ना ही सीमेंट की परत को नियमानुसार बिछाया गया है. वहीं उनका कहना है कि कई स्थानों पर नहरों पर परत की मोटाई में अंतर देखने को मिल रहा है. नहर में खेतों के पानी के साथ-साथ दो फीट मिट्टी भी जमा हो गई है. जिसके चलते रबी सीजन में किसानों को सिंचाई का पानी मिलने में दिक्कत होगी.

पहली ही बारिश में टूटी नहर की लाइनिंग

दीपचंद नवाद ने बताया कि खेतों के पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था है, लेकिन लाइनिंग के दौरान इन नालियों में भी मिट्टी भर गई थी. जिसके चलते खेतों का पानी नालों के रास्ते नहीं निकलकर नहरों को क्षतिग्रस्त कर रहा है.

इस मामले में जलसंसाधन विभाग के कार्यपालकयंत्री एफके भिमटे का कहना है कि लाइनिंग के दौरान गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया है. बारिश के पानी की निकासी के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है. वहीं जिन स्थानों पर नहरों के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिली है, उनकी रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 61 किलोमीटर लंबी तीन नहरों का काम 10 मई 2018 से शुरू होकर 9 नवंबर 2020 तक पूरा होना है.

हरदा। जिले को शत-प्रतिशत सिंचित बनाने के लिए नहरों में करोड़ों रुपए की लागत से लाइनिंग का काम किया जा रहा है. जिले की टिमरनी तहसील के अंतर्गत 3 उपनहरों पर 61 किलोमीटर की लाइनिंग का काम 26 करोड़ 80 लाख की लागत से होना है, जो पहली बारिश में टूट गया है. वहीं ग्रामीणों ने विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है.

भारतीय किसान संघ के तहसील इकाई अध्यक्ष और बाजनिया जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष दीपचंद नवाद ने अधिकारियों पर निर्माण में अनदेखी करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि ठेकेदार के द्वारा ना तो कुटाई की गई है और ना ही सीमेंट की परत को नियमानुसार बिछाया गया है. वहीं उनका कहना है कि कई स्थानों पर नहरों पर परत की मोटाई में अंतर देखने को मिल रहा है. नहर में खेतों के पानी के साथ-साथ दो फीट मिट्टी भी जमा हो गई है. जिसके चलते रबी सीजन में किसानों को सिंचाई का पानी मिलने में दिक्कत होगी.

पहली ही बारिश में टूटी नहर की लाइनिंग

दीपचंद नवाद ने बताया कि खेतों के पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था है, लेकिन लाइनिंग के दौरान इन नालियों में भी मिट्टी भर गई थी. जिसके चलते खेतों का पानी नालों के रास्ते नहीं निकलकर नहरों को क्षतिग्रस्त कर रहा है.

इस मामले में जलसंसाधन विभाग के कार्यपालकयंत्री एफके भिमटे का कहना है कि लाइनिंग के दौरान गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया है. बारिश के पानी की निकासी के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है. वहीं जिन स्थानों पर नहरों के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिली है, उनकी रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 61 किलोमीटर लंबी तीन नहरों का काम 10 मई 2018 से शुरू होकर 9 नवंबर 2020 तक पूरा होना है.

Intro:हरदा जिले की शत प्रतिशत सिंचित बनाने के लिए नहरों में करोड़ो रूपये की लागत से लाइनिंग का काम किया जा रहा है।जिले की टिमरनी तहसील के अंतर्गत तीन उपनहरो पर 61 किलोमीटर की लाइनिंग 26 करोड़ 80 लाख की लागत से होना है।जिसमे हुई तीन किलोमीटर के निर्माण में ही पहली बारिश में नहर जगह जगह से टूट गई है।यहां नहर विभाग एवं क्वॉलिटी कंट्रोल के अधिकारियों के द्वारा निर्माण के दौरान की गई जांच भी कई सवालिया निशान खड़े कर रही है।विभागीय अधिकारियों के द्वारा निर्माण के दौरान इस बात का ख्याल नही रखा गया कि बारिश के दौरान खेतों का पानी कहा से निकलेगा।इस बात का ध्यान नहीं रखा गया जिसके चलते खेतों से निकलने वाले पानीं कि वजह से नहर उखड़ गई है।


Body:भारतीय किसान संघ के तहसील इकाई अध्यक्ष एवं बाजनिया जल उपभोक्ता संथा के अध्यक्ष दीपचंद नवाद का कहना है कि नहर विभाग के अधिकारियों के द्वारा निर्माण के द्वारा अनदेखी की गई है।यहां पर सम्बंधित ठेकेदार के द्वारा कुटाई भी ठीक से नही की गई और ना ही सीमेंट की परत को नियमानुसार बिछाई गई है।यदि नहरों का निरीक्षण किया जाए तो इसमें कइयों स्थानों पर परत की मोटाई में अंतर स्पष्ट देखा जा सकता है।उन्होंने बताया कि नहर में खेतों के पानी के साथ साथ दो फीट मिट्टी भी जमा हो गई है।जिसके चलते रवि सीजन में किसानों को सिचाई का पानी मिलने में दिक्कत होगी।दीपचंद नवाद ने बताया कि खेतों के पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था है लेकिन लाइनिंग के दौरान इन नालियों में भी मिट्टी भर गई थी।जिसे भी नही निकाला गया।जिसके चलते खेतों का पानी नालों के रास्ते नही निकलकर नहरों को क्षतिग्रस्त कर रहा है।
बाईट - दीपचंद नवाद,अध्यक्ष जल उपभोक्ता संथा बाजनिया एवं तहसील अध्यक्ष भारतीय किसान संघ


Conclusion:उधर जलसंसाधन विभाग हंडिया शाखा टिमरनी डिवीजन के कार्यपालकयंत्री एफके भिमटे का कहना है कि लायनिग के दौरान गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा गया है।बारिश के पानी की निकासी के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है।वही जिन स्थानों पर नहरों के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिली है उनकी रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि 61 किलोमीटर लंबी तीन नहरों का काम 10 मई 2018 से शुरू होकर 9 नवंबर 2020 तक पूरा होना है।वही अगले दो साल के लिए सम्बंधित ठेकेदार को उसके मेंटेनेंस को भी देखना है।जिसके चलते हमारे पास ठेकेदार की बड़ी राशि जमा रहती है।
बाईट - एफके भिमटे, कार्यपालन यंत्री, टिमरनी डिवीजन
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