ग्वालियर। इस जमीन पर दावा करने वाले एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. ये जमीन न्यू कलेक्ट्रेट के सामने विद्या विहार स्थित है. यहां की 342 बीघा जमीन पर महल गांव मरीमाता के पुजारी परिवार ने अपना दावा जताया है. उनका कहना है कि आजादी से पहले उनके परदादा के नाम यह जमीन शासन द्वारा उन्हें पट्टे मे दी गई थी. इसलिए जमीन पर उनका हक है जबकि सरकार का कहना है कि यह जमीन शासन की है.
सारी जमीन खाली पड़ी है : खास बात यह भी है कि करीब 3400 करोड़ रुपए से भी ज्यादा कीमत की इस जमीन पर विवाद होने से यह खाली पड़ी है. जिला न्यायालय ने जमीन पर दावा करने वाले गंगा प्रसाद शर्मा और अन्य के पक्ष में अपना फैसला दिया था. जिसके खिलाफ शासन ने हाई कोर्ट में अपील दायर की. दावा जताने वाले गंगा प्रसाद शर्मा और उनके साथ अन्य पक्षकारों में कोर्ट में सिविल दावे में बताया था कि न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2003 में उनके पक्ष में डिक्री कर दी थी.
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पहले जमीन की कोई खास कीमत नहीं थी : शासन ने 2004 में अपर सत्र न्यायालय में अपील दायर की, जिसे न्यायालय ने देरी होने के कारण खारिज कर दिया था. इस बेशकीमती जमीन को लेकर सभी की निगाहें इस के मालिकाना हक को लेकर लगी हुई है. यह मामला कई सालों से चल रहा है. पहले इस जमीन की कोई कीमत नहीं थी, लेकिन जैसे ही सरकारी कार्यालय वहां पहुंचे और हाईवे का काम शुरू हुआ, वैसे ही यहां रातोंरात जमीन के दाम आसमान छूने लगे.