ग्वालियर। पति की हत्या के आरोप में एक महिला तीन साल जेल की सलाखों के पीछे रही, कोर्ट ने जांच के दौरान महिला को बेगुनाह पाया और आखिर उसे बरी कर दिया. जेल से बाहर आने के बाद महिला ससुराल जा नहीं सकती, तो मायके में कोई है नहीं. दो बच्चों की मां को फिलहाल एक एनजीओ ने पनाह दी है, लेकिन ये महिला अपने दो बच्चों के लिए सीएम कमलनाथ से छत और काम देने की गुहार लगाई है.
एक एनजीओ में पनाह लेने वाली इस महिला की दास्तान बेहद दुखद है. अपने दो बच्चों के साथ आज इस महिला को अपनी जिंदगी अंधेरे में नजर आ रही है. क्षमा नाम की ये महिला यूपी के फिरोजाबाद की रहने वाली है, करीब 10 साल पहले क्षमा की शादी बंटी शाक्य के साथ हुई थी. क्षमा बंटी के साथ मुरैना जिले के गुर्जा का पुरा गांव में रहती थी.
5 मार्च 2017 को क्षमा जौरा के पास ही अपनी बहन के घर थी, उसी दिन सुबह के वक्त किसी ने पति बंटी की पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी. पड़ोसियों ने पुलिस को खबर दी, पुलिस ने क्षमा को फोन कर बुलाया और फिर उसे पति की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और उसके दो बच्चे भी जेल की देखरेख में आ गए.
जब मामला कोर्ट में पहुंचा तो अदालत ने पाया कि क्षमा बेगुनाह है, लिहाजा उसे बाइज्ज़त बरी कर दिया. लेकिन तब तक उसकी जिंदगी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी. जब क्षमा जेल से बाहर आई तो उसे सिर छुपाने का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में एक समाजसेविका हनीप्रीत ने उसे सहारा दिया है. वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग अब क्षमा को आश्रय और रोजगार देने की बात कह रहा है.