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आजादी के दस दिन बाद ग्वालियर में फहराया गया था तिरंगा, जानें क्या थी वजह

आजादी के 10 दिन बाद यानी 25 अगस्त 1947 को ग्वालियर में तिरंगा फहरा कर आजादी का जश्न मनाया गया था. इसकी वजह थी ग्वालियर स्टेट के महाराज जीवाजीराव सिंधिया विलय होने तक अपने रियासत का झंडा फहराना चाहते थे.

आजादी के दस दिन बाद ग्वालियर में फहराया गया था तिरंगा
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Published : Aug 13, 2019, 12:56 PM IST

Updated : Aug 13, 2019, 2:23 PM IST

ग्वालियर। 15 अगस्त 1947 यानी स्वतंत्रता दिवस, इस दिन हमारा देश अंग्रेजों की पराधीनता से आजाद हुआ था. जहां पूरा देश 15 अगस्त 1947 को अपनी आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में न तो तिरंगा फहराया गया था और न ही लोग खुशियां मना रहे थे. पूरे देश की तरह ग्वालियर भी 15 अगस्त 1947 को ही आजाद हुआ था, लेकिन यहां आजादी 25 अगस्त 1947 को मनाई गई. इसका कारण था ग्वालियर स्टेट के महाराज जीवाजीराव सिंधिया विलय होने तक अपने रियासत का झंडा फहराना चाहते थे.

इतिहासकार और जानकार बताते है कि संवैधानिक विवाद के चलते 15 अगस्त 1947 को ग्वालियर में तिरंगा नहीं फहराया गया, क्योंकि उस वक्त रियासतों के विलय की औपचारिकता पूरी नहीं हुई थी. ग्वालियर स्टेट के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया का कहना था कि जब तक देश का संविधान सामने नहीं आ जाता और रियासतों का स्वरूप स्पष्ट नहीं होता, तब तक रियासत में सिंधिया राजवंश के स्थापित प्रशासन को ही माना जाएगा.

आजादी के दस दिन बाद ग्वालियर में फहराया गया था तिरंगा

सिंधिया स्टेट के महाराजा जीवाजी राव आजादी का जश्न अपने रियासत का झंडा फहरा कर मनाना चाहते थे, लेकिन यह बात कांग्रेसियों को मंजूर नहीं थी. कांग्रेसी भारत का तिरंगा फहरा कर ही आजादी का जश्न मनाना चाहते थे. यह विवाद जब दिल्ली पहुंचा तो तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस मामले को सुलझाया. उस समय ग्वालियर मे दो झंडे फहराकर आजादी का जश्न मनाया था.

25 अगस्त को एक तरफ सिंधिया स्टेट ने अपने कर्मचारियों के साथ रियासत का झंडा फहराया, तो वहीं दूसरी किला गेट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी और जनता ने तिरंगा फहरा कर आजादी का जश्न मनाया था.

ग्वालियर। 15 अगस्त 1947 यानी स्वतंत्रता दिवस, इस दिन हमारा देश अंग्रेजों की पराधीनता से आजाद हुआ था. जहां पूरा देश 15 अगस्त 1947 को अपनी आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में न तो तिरंगा फहराया गया था और न ही लोग खुशियां मना रहे थे. पूरे देश की तरह ग्वालियर भी 15 अगस्त 1947 को ही आजाद हुआ था, लेकिन यहां आजादी 25 अगस्त 1947 को मनाई गई. इसका कारण था ग्वालियर स्टेट के महाराज जीवाजीराव सिंधिया विलय होने तक अपने रियासत का झंडा फहराना चाहते थे.

इतिहासकार और जानकार बताते है कि संवैधानिक विवाद के चलते 15 अगस्त 1947 को ग्वालियर में तिरंगा नहीं फहराया गया, क्योंकि उस वक्त रियासतों के विलय की औपचारिकता पूरी नहीं हुई थी. ग्वालियर स्टेट के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया का कहना था कि जब तक देश का संविधान सामने नहीं आ जाता और रियासतों का स्वरूप स्पष्ट नहीं होता, तब तक रियासत में सिंधिया राजवंश के स्थापित प्रशासन को ही माना जाएगा.

आजादी के दस दिन बाद ग्वालियर में फहराया गया था तिरंगा

सिंधिया स्टेट के महाराजा जीवाजी राव आजादी का जश्न अपने रियासत का झंडा फहरा कर मनाना चाहते थे, लेकिन यह बात कांग्रेसियों को मंजूर नहीं थी. कांग्रेसी भारत का तिरंगा फहरा कर ही आजादी का जश्न मनाना चाहते थे. यह विवाद जब दिल्ली पहुंचा तो तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस मामले को सुलझाया. उस समय ग्वालियर मे दो झंडे फहराकर आजादी का जश्न मनाया था.

25 अगस्त को एक तरफ सिंधिया स्टेट ने अपने कर्मचारियों के साथ रियासत का झंडा फहराया, तो वहीं दूसरी किला गेट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी और जनता ने तिरंगा फहरा कर आजादी का जश्न मनाया था.

Intro:ग्वालियर- 15 अगस्त 1947 का हुआ दिन जब पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ था। लोग एक दूसरे को गले मिलकर खुशियां मनाकर तिरंगा फहरा रहे थे। लेकिन यह खुशी ग्वालियर में नहीं थी और नहीं इस दिन ग्वालियर में तिरंगा फहराया गया था। इसका मुख्य कारण था। ग्वालियर स्टेट की महाराज जीवाजीराव सिंधिया विलय होने तक इसे टालना चाहते थे। बाद में यह मामला सुलझा और आजादी के ठीक 10 दिन बाद यानी 25 अगस्त 1947 को ग्वालियर में तिरंगा लहरा कर आजादी का जश्न मनाया गया।


Body:14 - 15 अगस्त 1947 को जब अंग्रेजों ने भारत की बागडोर भारत की जनता को गिरी तो 15 अगस्त की सुबह से सारे देश में तिरंगा फहराकर आजादी का जश्न मनाया गया। देश के साथ साथ आजादी मिलने की खुशी ग्वालियर में भी हो रही थी जश्न मनाने की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थी लेकिन संवैधानिक विवाद के चलते यहां तिरंगा नहीं फहराया गया। क्योंकि उस वक्त रियासतों के विलय की औपचारिकता पूरी नहीं हुई थी। ग्वालियर स्टेट के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया का कहना था कि जब तक देश का संविधान सामने नहीं आ जाता और रियासतों का स्वरूप स्पष्ट नहीं होता तब तक रियासत में सिंधिया राजवंश के स्थापित प्रशासन को ही माना जाएगा। सिंधिया स्टेट के महाराजा जीवाजी राव आजादी का जश्न अपने रियासत का झंडा फहरा कर मनाना चाहते थे। लेकिन यह बात कांग्रेसियों को मंजूर नहीं थी। वहां भारत का तिरंगा फहरा कर ही आजादी का जश्न मनाना चाहते थे। यह मामला जो बजने लगा तो इसकी जानकारी भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पता लगी तो उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को ग्वालियर भेजा। और इस मामले को सुलझाया तब जाकर मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री लीलाधर जोशी ने ग्वालियर में आकर 10 दिन बाद यानी 25 अगस्त 1947 को आजाद भारत का तिरंगा फहराया गया। उस समय ग्वालियर मे दो झंडे फहराकर आजादी का जश्न मनाया था।जिसमें सिंधिया स्टेट ने अपने कर्मचारियों के साथ तिरंगा झंडा फहराया तो वही दूसरा किला गेट पर कांग्रेसियों और जनता ने तिरंगा झंडा फहरा कर आजादी का जश्न मनाया।


Conclusion:बाईट - राम बिद्रोही , बरिष्ट्र पत्रकार , इतिहास जानकर

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Last Updated : Aug 13, 2019, 2:23 PM IST
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