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सोन चिरैया अभयारण्य एक बार फिर होगा गुलजार, कोशिशों में जुटा वन विभाग का अमला - वन विभाग

वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सोन चिरैया के अंडे लाकर उनकी हैचिंग कराएगा. जिसके बाद  मध्यप्रदेश का एकमात्र घाटी गांव में स्थित सोन चिरैया अभ्यारण में सोन चिरैया की बसाहट देखने को मिलेगी.

Son Chiraiya sanctuary in gwalior
सोन चिरैया अभ्यारण में फिर से देखने को मिलेगी सोन चिरैया की बसाहट
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Published : Jan 21, 2020, 1:18 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश का एकमात्र घाटी सोन चिरैया अभयारण्य में सोन चिरैया की बसाहट देखने के लिए वन विभाग ने एक प्लान तैयार किया है. वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सोन चिरैया के अंडे लाकर उनकी हैचिंग कराएगा. ये हैचिंग सेंटर मुरैना के देवरी स्थिति घड़ियाल प्रजनन केंद्र की तरह तैयार होगा. इसमें अनुसंधान केंद्र से घास लगाई जाएगी. साथ ही वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए इंतजाम किए जाएंगे. वन विभाग ने प्लान तैयार कर मंजूरी के लिए मुख्यालय भेज दिया है, उम्मीद की जा रही है कि, ये प्लान इसी साल से लागू कर दिया जाएगा.

सोन चिरैया अभ्यारण में फिर से देखने को मिलेगी सोन चिरैया की बसाहट

ग्वालियर के घाटी गांव में स्थित 512 वर्ग किलोमीटर में फैला मध्यप्रदेश का एकमात्र सोन चिरैया अभयारण्य है. लेकिन 2011 के बाद इस अभयारण्य में सोन चिरैया का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो गया. उसके बाद यहां पर सोन चिरैया देखने को नहीं मिल रही हैं. इसका कारण ये है कि, अभयारण्य में नए उद्योग स्थापित हो गए हैं. साथ ही अधिक शोरगुल के चलते यहां पर सोन चिरैया पूरी तरह लुप्त हो गई हैं, एक बार फिर इस अभयारण्य की चहल- पहल देखने के लिए वन विभाग द्वारा प्लान तैयार किया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि, जल्द ही इस अभ्यारण में सोन चिरैया की चहल-पहल देखने को मिलेगी.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश का एकमात्र घाटी सोन चिरैया अभयारण्य में सोन चिरैया की बसाहट देखने के लिए वन विभाग ने एक प्लान तैयार किया है. वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सोन चिरैया के अंडे लाकर उनकी हैचिंग कराएगा. ये हैचिंग सेंटर मुरैना के देवरी स्थिति घड़ियाल प्रजनन केंद्र की तरह तैयार होगा. इसमें अनुसंधान केंद्र से घास लगाई जाएगी. साथ ही वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए इंतजाम किए जाएंगे. वन विभाग ने प्लान तैयार कर मंजूरी के लिए मुख्यालय भेज दिया है, उम्मीद की जा रही है कि, ये प्लान इसी साल से लागू कर दिया जाएगा.

सोन चिरैया अभ्यारण में फिर से देखने को मिलेगी सोन चिरैया की बसाहट

ग्वालियर के घाटी गांव में स्थित 512 वर्ग किलोमीटर में फैला मध्यप्रदेश का एकमात्र सोन चिरैया अभयारण्य है. लेकिन 2011 के बाद इस अभयारण्य में सोन चिरैया का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो गया. उसके बाद यहां पर सोन चिरैया देखने को नहीं मिल रही हैं. इसका कारण ये है कि, अभयारण्य में नए उद्योग स्थापित हो गए हैं. साथ ही अधिक शोरगुल के चलते यहां पर सोन चिरैया पूरी तरह लुप्त हो गई हैं, एक बार फिर इस अभयारण्य की चहल- पहल देखने के लिए वन विभाग द्वारा प्लान तैयार किया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि, जल्द ही इस अभ्यारण में सोन चिरैया की चहल-पहल देखने को मिलेगी.

Intro:ग्वालियर- मध्य प्रदेश का एकमात्र घाटी गांव में स्थित सोनचिरैया अभ्यारण में सोन चिरैया की बसाहट देखने के लिए वन विभाग ने एक प्लान तैयार किया है। वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सोन चिड़िया के अंडे लाकर उनकी हैचिंग कराएगा। यह हैचिंग सेंटर मुरैना के देवरी स्थिति घड़ियाल प्रजनन केंद्र की तरह तैयार होगा।इसमें अनुसंधान केंद्र से घास लगाई जाएगी। साथ ही वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए इंतजाम किए जाएंगे। वैन विभाग ने प्लान तैयार कर मंजूरी के लिए मुख्यालय भेज दिया है उम्मीद की जा रही है इसी साल से लागू कर देगी


Body:आपको बता दें ग्वालियर की घाटी गांव स्थित 512 वर्ग किलोमीटर में फैला अभ्यारण मध्य प्रदेश का एकमात्र सोनचिरैया अभ्यारण है। लेकिन 2011 के बाद इस अभ्यारण में सोन चिरैया का अस्तित्व पूरी तरह खो गया है। उसके बाद यहां पर सोन चिड़िया देखने को नहीं मिली है।इसका कारण यह है कि कई अभ्यारण की नई उद्योग स्थापित हो गए हैं। साथ ही अधिक शोरगुल के चलते यहां पर चाहिए पूरी तरह लुप्त हो गई है। लेकिन एक बार फिर इस अभयारण्य की चहल-पहल देखने के लिए वैन विभाग द्वारा तैयार किया गया है उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस अभ्यारण में सोन चिरैया की चहल-पहल देखने को मिलेगी


Conclusion:बाईट - अभिनय पल्लव, डीएफओ
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