ग्वालियर। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति एएम खानविलकर (supreme court judge am khanvilkar in gwalior) का कहना है कि विभिन्न न्यायालयों में मामलों की बढ़ती पेंडेंसी को लेकर सभी को समन्वित प्रयास करने होंगे. इन मामलों का निराकरण तभी हो सकेगा. अधीनस्थ न्यायालयों में दीवानी प्रकरण करीब सवा तीन लाख पेंडिंग हैं, जबकि फौजदारी के 14 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं. इसी तरह हाईकोर्ट में करीब ढाई लाख से ज्यादा मामले सिविल के लंबित हैं, जबकि क्रिमिनल के डेढ़ लाख से ज्यादा मामले पेंडिंग चल रहे हैं.
पेंडिंग केसों को निपटाने का बताया समाधान
खानविलकर (verdict of judge am khanvilkar) ने कहा कि पूरे देश के परिपेक्ष में यह आंकड़ा कम है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए हमें लंबित मामलों के लिए मेडिएशन और लोक अदालत जैसे सुविधाजनक रास्ते अख्तियार करना चाहिए. उन्होंने वकीलों को नसीहत देते हुए कहा कि अनावश्यक रूप से वे मामले को स्थगित नहीं कराएं. सुप्रीम कोर्ट जज खानविलकर जीवाजी विश्वविद्यालय (jivaji university gwalior) के मल्टी आर्ट कांपलेक्स में शनिवार शाम को आयोजित सुप्रीम कोर्ट के जज जेके माहेश्वरी के अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे.
न्यायमूर्ति माहेश्वरी की खानविलकर ने की तारीफ
एएम खानविलकर ने न्यायमूर्ति माहेश्वरी (supreme court judge jk maheshari) के कार्य करने की शैली की तारीफ करते हुए कहा कि जरूरतमंद को सस्ता सुलभ और जल्द न्याय मिले. इसका उन्होंने हमेशा प्रयास किया है. साथ ही उन्होंने अपने दायित्वों का बखूबी पालन किया है. कार्यक्रम में जस्टिस माहेश्वरी का हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से सम्मान किया गया. अपने अभिनंदन पर जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि विधि व्यवसाय को अपनाने वाले अधिवक्ताओं को अपने सीनियर से विनम्र होकर सीखने की ललक के साथ काम करना चाहिए.
लोगों के साथ साझा किया अनुभव
खानविलकर ने कहा कि कभी भी असफल होने पर चिंता नहीं करनी चाहिए. उन्होंने अपने वकालत और हाई कोर्ट जज के रूप में कई अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि अपनी गलती को बिना किसी झिझक के स्वीकार कर लेना चाहिए, इससे अधिवक्ताओं के आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है.
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जस्टिस माहेश्वरी ने अपने उद्बोधन में हरिवंश राय बच्चन, अटल बिहारी वाजपेई और निदा फाजली जैसे कवियों की पंक्तियों का उद्धरण लिया. उन्होंने कहा कि किसी झिझक की वजह से नवोदित वकीलों को हार नहीं माननी चाहिए. उन्हें हमेशा हनुमान जी की तरह सूर्य से प्रेरणा लेने की कोशिश करना चाहिए. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है. इस मौके पर जस्टिस माहेश्वरी का बार एसोसिएशन की ओर से अभिनंदन किया गया.