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RTI एक्टिविस्ट ने अपने जेल भेजे जाने पर HC में दी चुनौती, कोर्ट ने मांगा जवाब

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Published : Feb 11, 2021, 10:24 AM IST

आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में अपने जेल भेजे जाने को चुनौती दी है. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और जेल के महानिदेशक सहित ग्वालियर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Gwalior Bench of High Court
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ

ग्वालियर। पीएमटी फर्जीवाड़ा मामले के व्हिसल ब्लोअर रहे और आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में अपने जेल भेजे जाने को चुनौती दी है. आशीष का कहना है कि उसे 9 जुलाई 2018 को जुर्माना भरने के बाद भी जेल भेज दिया गया था. जहां उसे रात गुजारनी पड़ी और सुबह उसकी रिहाई हो सकी थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राज्य सरकार और जेल के महानिदेशक सहित ग्वालियर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को नोटिस जारी किया है और 4 सप्ताह में जवाब मांगा है. आशीष ने अवैध निरोध के लिए मुआवजे की भी मांग की है.

क्या है पूरा मामला?

राहुल यादव के मामले में कोर्ट ने आशीष चतुर्वेदी को आधा दर्जन से अधिक मौकों पर अपनी गवाही देने के लिए तलब किया था, लेकिन उसने हर बार गवाही को टाल दिया. उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी विशेष कोर्ट से जारी हुआ था. आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी का कोर्ट से कहना था कि पहले इस मामले में गलत तरीके से एडमिशन लेने वाले राहुल यादव के सहयोगियों के खिलाफ भी जांच की जाए और उन्हें मुलजिम बनाया जाए. लेकिन कोर्ट का कहना था जब इस मामले में गवाही के लिए नियत किया गया है, तो उन्हें अपनी गवाही देना चाहिए, लेकिन गवाही देने के बजाए आशीष लगातार अपनी सुरक्षा को बढ़ाने की मांग करते रहे.

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मांगा जवाब

आखिरकार विशेष न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश अभय कांत पांडे ने आशीष चतुर्वेदी को जेल जाने और ढाई सौ रुपए का जुर्माना भरने के निर्देश दिए थे. आशीष ने पैसे नहीं होने की बात कोर्ट को बताई. तब कोर्ट ने उसका जेल वारंट बना दिया. इस बीच आशीष के एक सहयोगी ब्रजमोहन साहू ने अपनी ओर से ढाई सौ रुपए कोर्ट में जमा कर दिए. लेकिन तब तक उसका जेल वारंट बन चुका था. इसलिए उसे जेल भेज दिया गया. जहां से अगले दिन यानी 10 जुलाई 2018 को उसकी रिहाई हो सकी. आशीष का कहना है कि उसे 18 घंटे के लिए अवैध निरोध में रखा गया था, जबकि उसने जुर्माना भरा था. इस पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और जेल के महानिदेशक सहित ग्वालियर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को नोटिस जारी किया है और 4 सप्ताह में जवाब मांगा है.

ग्वालियर। पीएमटी फर्जीवाड़ा मामले के व्हिसल ब्लोअर रहे और आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में अपने जेल भेजे जाने को चुनौती दी है. आशीष का कहना है कि उसे 9 जुलाई 2018 को जुर्माना भरने के बाद भी जेल भेज दिया गया था. जहां उसे रात गुजारनी पड़ी और सुबह उसकी रिहाई हो सकी थी. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राज्य सरकार और जेल के महानिदेशक सहित ग्वालियर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को नोटिस जारी किया है और 4 सप्ताह में जवाब मांगा है. आशीष ने अवैध निरोध के लिए मुआवजे की भी मांग की है.

क्या है पूरा मामला?

राहुल यादव के मामले में कोर्ट ने आशीष चतुर्वेदी को आधा दर्जन से अधिक मौकों पर अपनी गवाही देने के लिए तलब किया था, लेकिन उसने हर बार गवाही को टाल दिया. उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी विशेष कोर्ट से जारी हुआ था. आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी का कोर्ट से कहना था कि पहले इस मामले में गलत तरीके से एडमिशन लेने वाले राहुल यादव के सहयोगियों के खिलाफ भी जांच की जाए और उन्हें मुलजिम बनाया जाए. लेकिन कोर्ट का कहना था जब इस मामले में गवाही के लिए नियत किया गया है, तो उन्हें अपनी गवाही देना चाहिए, लेकिन गवाही देने के बजाए आशीष लगातार अपनी सुरक्षा को बढ़ाने की मांग करते रहे.

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मांगा जवाब

आखिरकार विशेष न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश अभय कांत पांडे ने आशीष चतुर्वेदी को जेल जाने और ढाई सौ रुपए का जुर्माना भरने के निर्देश दिए थे. आशीष ने पैसे नहीं होने की बात कोर्ट को बताई. तब कोर्ट ने उसका जेल वारंट बना दिया. इस बीच आशीष के एक सहयोगी ब्रजमोहन साहू ने अपनी ओर से ढाई सौ रुपए कोर्ट में जमा कर दिए. लेकिन तब तक उसका जेल वारंट बन चुका था. इसलिए उसे जेल भेज दिया गया. जहां से अगले दिन यानी 10 जुलाई 2018 को उसकी रिहाई हो सकी. आशीष का कहना है कि उसे 18 घंटे के लिए अवैध निरोध में रखा गया था, जबकि उसने जुर्माना भरा था. इस पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और जेल के महानिदेशक सहित ग्वालियर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक को नोटिस जारी किया है और 4 सप्ताह में जवाब मांगा है.

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