ग्वालियर। मध्यप्रदेश में 28 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस अपने फुल फॉर्म में है. यही वजह है कि अब कांग्रेस ग्वालियर-चंबल अंचल के रण में खुद्दार वर्सेस गद्दार कैंपेन चलाने वाली है. इस कैंपेन में पार्टी ने युवा नेता और राजस्थान का बड़ा चेहरा सचिन पायलट को राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनावी रण में उतारने की तैयारी कर ली है. कांग्रेस लगातार होमवर्क कर रही है और चुनौति बड़ी देने की कोशिश में है. इसके साथ ही अब पार्टी चंबल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी को पूरी करने के लिए सचिन पायलट को आजमाएगी.
दरअसल सचिन पायलट युवा नेता हैं, और युवाओं में सचिन पायलट की लोकप्रियता काफी है. यही वजह है कि अब ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस की प्रचार प्रसार की कमान सचिन पायलट के हाथों रहने वाली है. लिहाजा एक बात तो साफ है कि इस समय ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस लगातार अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए हर जुगत का लगा रही है. दोनों पार्टियां इस अंचल में कोई कमी न रहे इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. यही वजह है कि अब चंबल अंचल में कांग्रेस लगातार ऐसा चेहरा तलाश कर रही है जो इस उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कमी को पूरा कर सके.
दोस्ती और पार्टी की जिम्मेदारी दोनों कैसे ?
इधर कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि सचिन पायलट देश के युवा नेता हैं. ग्वालियर-चंबल संभाग से उनका नाता गहरा है. प्रत्येक चुनाव में यहां प्रचार करने वो आते हैं. युवाओं के बीच उनका अच्छा खासा क्रेज है. जिसके चलते कांग्रेस पार्टी राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को उपचुनाव में प्रचार के लिए उतार रही है. अब देखना होगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबी दोस्त सचिन पायलट कैसे ग्वालियर-चंबल अंचल में आकर उनके ही खिलाफ बयान बाजी करते हैं.
पायलट के प्रचार पर बीजेपी का तंज
बीजेपी ने सचिन पायलट के एमपी उपचुनाव में प्रचार करने की खबर सामने आने के बाद तंज कसना शुरू कर दिया है. पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि अच्छी बात है कि सचिन पायलट ग्वालियर चंबल संभाग में प्रचार प्रसार करेंगे. इस दौरान यहां के लोगों को यह जानने का मौका मिलेगा कि आखिर किस तरीके से एक युवा नेता की उनके ही पार्टी के लोगों के द्वारा अपमान किया गया. प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते हुए उनके लिए किस तरह के अपशब्दों का प्रयोग किया गया.
कौन किस पर होगा भारी ?
खैर, कौन किस पर भारी होगा ये तो उपचुनाव साबित करेगा, लेकिन सचिन पायलट को प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सौंपने की प्रमुख वजह ग्वालियर-चंबल अंचल संभाग के मुरैना जिले की 5 सीटे और भिंड जिले की दो सीटों पर बढ़त बनाना है. ये सीटें गुर्जर बहुल होने के कारण कांग्रेस को ज्यादा फायदा मिलने के कयास लग रहे हैं. यह सभी विधानसभा ऐसी हैं जहां पर गुर्जर वोट हर चुनाव में निर्णायक होता है. यही वजह है कि सचिन पायलट गुर्जरों का वोट कांग्रेस को दिलाने में किंग मेकर साबित हो सकते हैं.