भोपाल/ग्वालियर। ग्वालियर के भारतीय वायुसेना के एयरबेस से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमान सुखोई 30 व मिराज 2000 के मुरैना के पास दुर्घटनाग्रस्त होने से पूरा देश स्तब्ध है. लड़ाकू विमानों के इस प्रकार दुर्घटना का शिकार होने से सेना के साथ ही देशवासी चिंतित हैं. मध्यप्रदेश में ये कोई पहला विमान हादसा नहीं है. करीब डेढ़ साल पहले भी सेना का एक विमान भिंड के पास हादसे का शिकार हो गया था. ये भी मिराज 2000 विमान था. इसी माह 6 जनवरी को रीवा के चोरहटा के पास ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट अचानक क्रैश हो गया था. विमानों के इस प्रकार क्रेश होने से कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे हैं, जिनके जवाब केंद्र सरकार को सेना अफसरों के साथ तलाशने होंगे.
भिंड का विमान हादसा नहीं भुला सकते : 21 अक्टूबर 2021 को भिंड के बबेड़ी गांव में वायुसेना का मिराज विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. प्लेन के क्रैश होने पर पायलट ने खुद को पैराशूट के जरिए अलग कर लिया था. बाद में पायलट को एयरलिफ्ट कर अस्पताल ले जाया गया था. पायलट को मामूली चोटें आई थीं. ये हादसा भिंड जिला मुख्यालय से करीब 6 किमी दूर बबेड़ी गांव में बाजरे के खेत में हुआ था. इस विमान को ट्रेनी पायलट अभिलाष उड़ा रहे थे. समय रहते वह एयरक्राफ्ट से पैराशूट के जरिए कूद गए थे. उनको पैराशूट से लैंड करते हुए स्थानीय लोगों ने देखा था. जिसका वीडियो भी लोगों ने बनाया था. वीडियो में काफी ऊंचाई से पायलट को लैंड करते देखा गया था. हादसे के बाद खेत में चारों तरफ मलबा बिखरा था. बता दें कि इससे पहले करीब तीन साल पहले भी भिंड के गोहद में वायुसेना का लड़ाकू विमान गिरा था.
रीवा जिले में ट्रेनी प्लेन क्रेश : इसी माह 6 जनवरी को रीवा के चोरहटा थाना क्षेत्र अंतर्गत उमरी गांव में देर रात प्रशिक्षण देने वाला ट्रेनिंग एयरक्राफ्ट अचानक क्रैश हो गया. इसमें सवार मुख्य पायलट कैप्टन विमल की मौत हो गई थी, वहीं घटना में प्रशिक्षण लेने वाले एक ट्रेनी पायलट गंभीर रूप से घायल हो गया था. ये विमान देर रात करीब 11 बजे उड़ान भरने के बाद प्लेन उमरी गांव के घनी बस्ती वाले इलाके में पेड़ से टकराने के बाद एक मंदिर के शिखर से टकरा गया, जिसके बाद यह हादसा हुआ. इस प्लेन ने चोरहटा हवाई पट्टी से उड़ान भरी तथा कुछ ही देर में प्लेन क्रैश होने की खबर मिली. इस पूरे घटनाक्रम में जो बात निकलकर सामने आ रही है, उसमें बताया जा रहा है कि देर रात घने कोहरे की वजह से प्रशिक्षण देने वाला प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हुआ.
तीन साल पहले बड़ा हादसा टला : 15 फरवरी 2020 को भोपाल में एक बड़ी घटना टल गई थी. तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन के विमान का इंजन अचानक बंद हो गया. वह तो शुक्र था कि विमान रनवे पर था. इसलिए कोई अप्रिय घटना नहीं घटी. उस समय बताया गया था कि विमान का इंजन पहले से ही खराब था. टंडन सुबह पौने आठ बजे राजभवन से अपने स्टाफ के साथ जबलपुर जाने के लिए स्टेट हैंगर के लिए रवाना हुए थे. उन्हें सुबह 9 बजे जबलपुर पहुंचना था. उस समय विमान के पायलट और क्रू दल ने कुछ देर तक मरम्मत करने का प्रयास किया, लेकिन विमान दोबारा स्टार्ट ही नहीं हो सका था. कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के विमान में भी खराबी आ गई. उन्हें कार से कई घंटे सफर कर धार पहुंचना पड़ा. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विमान में भी सीहोर के पास खराबी आ गई थी. उन्हें भोपाल तक का सफर कार से करना पड़ा था.
देश के पहले सीडीएस भी शिकार : 10 दिसंबर को 2021 को देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया था. ये दूसरा मौका था, जब उनका हेलिकॉप्टर क्रैश किया. इससे पहले फरवरी 2015 में नगालैंड में चीता हेलिकॉप्टर उड़ान भरते ही नीचे गिर गया था. जनरल रावत इस हादसे में बाल-बाल बच गए थे. लेकिन तमिलनाडु स्थित वेंलिगटन के पास हादसे में उनका निधन हो गया. कुछ लोगों का कहना है कि इसके लिए इंस्ट्रूमेंटल मीट्रियोलॉजिकल कंडीशंस (IMC) ज़िम्मेदार है. जानकारों का कहना है कि अधिकांश हादसे IMC की वजह से ही होते हैं.
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क्या है IMC : किसी भी फ्लाइट में IMC एक ऐसा सिस्टम है, जिससे पायलट को मौसम के बारे में जानकारी मिलती है. नियमों के मुताबिक जिन फ्लाइट्स या हेलिकॉप्टर में IMC लगे होते हैं, वहां पायलट बाहरी मौसम को देखकर आगे नहीं बढ़ता है. बल्कि वो इंस्ट्रूमेंट्स के सहारे आगे बढ़ते हैं. आमतौर पर जब अंधेरे में 2000 फीट तक की ऊंचाई होती है, बादलों का घेराव 200 फीट तक रहता है तो ऐसे हालात में पायलट हमेशा IMC का इस्तेमाल करते हैं.