ग्वालियर। मध्य प्रदेश के पटवारी इन दिनों शिवराज सरकार से नाराज है. वे अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. मंगलवार से पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. पटवारियों की हड़ताल उस समय है, जब ग्वालियर चंबल संभाग में बाढ़ पीड़ितों की सर्वे की जिम्मेदारी इन पर है. ऐसे में पटवारी संघ का कहना है कि वह बाढ़ ग्रस्त इलाकों में केवल 5 दिन काम करेंगे. इसके बावजूद भी सरकार ने उनकी मांगें नहीं सुनी, तो उन इलाकों के पटवारी हड़ताल पर रहेंगे.
बाढ़ पीड़ित इलाकों के सर्वे में आएगी परेशनी
दरअसल पटवारी संवर्ग की कई वर्षों से लंबित मांगों को लेकर पटवारियों ने सामूहिक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है. पटवारी संघ के जिला अध्यक्ष का कहना है कि शासन जब तक हमारी न्याय उचित मांगों को पूरा करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाएगा, तब तक हक की लड़ाई जारी रहेगी. सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इस समय ग्वालियर चंबल अंचल के हजारों गांव बाढ़ से पीड़ित हैं. ऐसे में शिवराज सरकार ने सर्वे का काम पटवारियों को सौंपा है, लेकिन पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे तो सर्वे कैसे होगा?
बाढ़ पीड़ित इलाकों में 5 दिन तक करेंगे काम
पटवारी संघ का कहना है कि मध्य प्रदेश के सभी पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे है. लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल में बाढ़ प्रभावित इलाकों में सभी पटवारी काम पर रहेंगे. यह सभी पटवारी 5 दिन तक काम करेंगे. 5 दिन के बाद अगर सरकार ने मांगे पूरी नहीं की, तो पटवारी बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी काम बंद करेंगे. ग्वालियर चंबल अंचल में 229 पटवारी है, ऐसे में इन पटवारियों की सबसे अहम जिम्मेदारी इस समय बाढ़ प्रभावित इलाकों में सर्वे की है. अगर यह सभी हड़ताल पर पहुंच गए तो सरकार को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है.
हड़ताल पर एमपी के 19000 पटवारी! तीन सूत्रीय मांगों को लेकर रख दी कलम
इन मांगों को लेकर पटवारी कर रहे हड़ताल
- वेतनमान की विसंगति को दूर करके समय अनुसार वेतन दिया जाए.
- सभी पटवारियों को अपने गृह जिले में पदस्थ किया जाए. जिससे वे अपने पारिवारिक दायित्वों का भी पालन कर सकें.
- नवनियुक्त पटवारियों के लिए सीपीसीटी के नियम की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए.