ग्वालियर। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमित मरीज लंबे समय तक आईसीयू या वार्ड भर्ती रहे. उन्हें जीवनरक्षक माने जाने वाली स्टेरॉयड दवाओं के इंजेक्शन देने पड़े थे. इसके सेवन से मरीजों के फेफड़े का संक्रमण दूर हुआ और वे ठीक हुए. लेकिन इसके विपरीत प्रभावों के चलते मरीजों के कूल्हे की जोड़ों की खून की बारीक नसों में ब्लॉकेज आने लगे हैं. जयारोग्य अस्पताल में पिछले 6 महीने में करीब 2 दर्जन से अधिक हिप रिप्लेसमेंट के ऑपरेशन हुए हैं. इनमें से सभी मरीजों को कोरोना हुआ था. ठीक होने के बाद अब उनके कूल्हे खराब हो गये.
कूल्हे के जोड़ों में नैक्रोसिस नामक बीमारी : ऐसे मरीजों को हिप रिप्लेसमेंट कराना पड़ा. जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. आरएस बाजोरिया ने ईटीवी भारत से बातचीत की और उन्होंने बताया कि खून की नसों में ब्लॉकेज होने के कारण कूल्हे की जोड़ों में नैक्रोसिस नामक बीमारी सामने आ रही है. जिसके कारण कूल्हे का जोड़ जाम हो जाने से मरीज को तेज दर्द होता है. वह नियमित काम नहीं कर पाता है और इस बीमारी में दवा का असर भी कारगर नहीं है. इसलिए सर्जरी द्वारा हिप रिप्लेसमेंट कराना पड़ता है.
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हिप रिप्लेसमेंट कराने वाले मरीज बढ़े : अस्पताल में जिन मरीजों की हिप रिप्लेसमेंट हुए हैं उनमें लगभग सभी मरीज कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ठीक हुए हैं. ग्वालियर की रहने वाले 53 वर्षीय सुरेश चंद्र ने बताया कि उन्हें कोरोना की दूसरी लहरें में संक्रमण हुआ था. इसके कारण उन्हें आईसीयू में लगभग 20 से 25 दिन भर्ती रहना पड़ा. उन्हें संक्रमण अधिक होने के कारण स्टेरॉयड की इंजेक्शन देने पड़े थे. ठीक होने के 4 महीने बीत जाने के बाद उनके कूल्हे में दर्द होने लगा. कुछ दिन बाद चलने और बैठेने में भी उन्हें परेशानी होने लगी. उन्होंने जयारोग्य अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तो जांच में पता चला कि उनकी कूल्हे ही खराब हो गए हैं और उसके बाद उन्होंने यह तो रिप्लेसमेंट कराना पड़ा. वहीं, छतरपुर के रहने वाले हाकिम सिंह ने बताया कि वह कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ग्वालियर के सुपर स्पेशलिटी में भर्ती हुए थे. संक्रमण ठीक होने की तीन से चार महीने बाद उनके कूल्हे में दर्द शुरू हो गया और उसके बाद उनका अभी भी इलाज जारी है. ( Side effect of Corona) ( After corona hip disease started) (Hip disease patients in Gwalior)