ग्वालियर। थाटीपुर इलाके में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र यानी, एनआरसी में पिछले ढाई महीने से कोई भी कुपोषित बच्चा नहीं पहुंचा है. ऐसा नहीं है कि, जिले में कुपोषित बच्चे नहीं हैं, लेकिन लंबे अरसे तक आवागमन के साधन बंद रहने और कोरोना काल में महिला डॉक्टर सहित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की ड्यूटी मैदानी अमले के साथ लगने से एनआरसी में कोई भी बच्चा एडमिट नहीं हुआ है. यह पहला मौका है, जब लगातार ढाई महीने तक एनआरसी खाली रही है.
ग्वालियर के पोषण पुनर्वास केंद्र में इन दिनों बच्चों और उनके अभिभावक नहीं है, सिर्फ यहां की प्रभारी महिला डॉक्टर और स्वास्थ्य कार्यकर्ता बच्चों का इंतजार कर रहे हैं. प्रभारी महिला डॉक्टर ने महिला बाल विकास विभाग और सीएमएचओ को कुपोषित बच्चों की भर्ती कराने के लिए पत्र लिखा है. उम्मीद की जा रही है कि, अगले 1 हफ्ते में यहां कुछ कुपोषित बच्चे एक बार फिर भर्ती होंगे. थाटीपुर की इस एनआरसी में 20 बच्चों के रहने की व्यवस्था है.
खास बात यह है कि, एनआरसी में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता करीब 6 हैं. महिला डॉक्टर इस पुनर्वास केंद्र की प्रभारी हैं. प्रभारी की ड्यूटी कोरोना संक्रमण रोकने के लिए मैदानी अमले के साथ लगी हुई थी. उन्हें अब एनआरसी की जिम्मेदारी भी संभालने को कहा गया है. वही महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को एनआरसी में वापस तैनात कर दिया गया है, लेकिन दूरदराज ग्रामीण इलाकों में रहने वाले कुपोषित बच्चे और उनके अभिभावक अभी भी अपनी गरीबी और मजबूरी से यहां नहीं आ सके हैं. अब उम्मीद की जा रही है कि, स्वास्थ्य कार्यकर्ता ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन्हें एनआरसी भेजेंगे. 28 मार्च को एनआरसी में भर्ती 5 बच्चों को उनकी हालत ठीक होने पर अभिभावकों के साथ वापस घर भेज दिया गया था.