ग्वालियर। कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, जिससे बीजेपी के नेता खुश हैं. सिंधिया के भोपाल पहुंचते ही उनके स्वागत सत्कार के लिए हजारों कार्यकर्ता एयरपोर्ट पहुंच गए. सिंधिया के स्वागत के लिए बीजेपी ने रेड कॉरपेट बिछा दिए हैं. कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या सिंधिया ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के सामने अपना वर्चस्व कायम रख पाएंगे या नहीं. कहते हैं कि सिंधिया अपने उसूलों से समझौता नहीं करते और पब्लिक फैन्स को हमेशा अपने आसपास बनाए रखते हैं. ऐसे में सवाल यही है कि क्या ग्वालियर-चंबल अंचल में पहले से ही बीजेपी में दिग्गज नेताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत कर पाएंगे या नहीं.
ग्वालियर शुरू से ही जनसंघ का गढ़ रहा है, जहां जनसंघ के बड़े नेता कुशाभाऊ ठाकरे, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेई सहित कई बड़े नेता यहां राजनीतिक दावपेंच लड़ा चुके हैं. यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां के प्रभारी रह चुके हैं. ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी की जड़ें काफी मजबूत हैं. 90 के दशक में राजमाता के समय जो पीढ़ी थी, वह आज पार्टी के शीर्ष पर पहुंच चुकी है.
ग्वालियर-चंबल अंचल में बीजेपी के कई दिग्गज नेता मौजूद हैं. जिसमें प्रधानमंत्री के खास केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, संघ के बेहद करीबी नेता और ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, वरिष्ठ नेता पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया सहित यशोधरा राजे सिंधिया, माया सिंह, नरोत्तम मिश्रा सहित तमाम ऐसे नेता शामिल हैं, जिनका वर्चस्व पार्टी में शीर्ष स्थान पर है. ऐसे में सिंधिया कांग्रेस से निकलकर बीजेपी में शामिल हुए हैं. ऐसे में दिग्गज नेताओं के सामने अपना वर्चस्व बनाए रख पाना काफी कठिन होगा.
सिंधिया से युवा वर्ग काफी प्रभावित है, वह जब भी अंचल में जाते हैं तो हजारों की संख्या में युवा इनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं. ग्वालियर-चंबल में जयभान सिंह पवैया के साथ-साथ कई ऐसे बड़े नेता शामिल हैं, जिनकी राजनीति सिंधिया परिवार को निशाने पर रखकर होती है. ये नेता हर बार अपने भाषणों में सिंधिया परिवार पर वार करते हैं. ऐसे में सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही क्या इन नेताओं के बोल बदल जाएंगे.
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि सिंधिया के मन में कुछ और दिमाग में कुछ और चल रहा है. ग्वालियर-चंबल अंचल में पहले से ही कई नेता मौजूद हैं, जो अपने वर्चस्व के लिए कुछ भी कर सकते हैं. ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना वर्चस्व कैसे कायम रख पाएंगे.