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High Court Justice: एक अपराध के लिए कैसे दर्ज हो सकती है दो FIR?, HC की युगलपीठ का फैसला, CBI पर लगाया 25 हजार का जुर्माना

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में सीबीआई पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. मामला एक मामले में दो एफआईआर दर्ज करने को लेकर है, जिसपर आज युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए, ये फैसला सुनाया है. क्या है पूरा केस आइए समझते हैं...

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 10:00 PM IST

High Court Justice
हाईकोर्ट का ताजा फैसला

जबलपुर। राज्य सरकार की तरफ से एफआईआर (FIR) दर्ज करवाए जाने के बावजूद भी सीबीआई द्वारा एक अन्य व्यक्ति की शिकायत पर उसी मामले में एफआईआर दर्ज किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू ने सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी किये है. युगलपीठ ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए 25 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है.

क्या है पूरा मामला: याचिकाकर्ता प्रमोद शर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था- "वह सिवनी जिले से प्रकाशित दैनिक दल सागर नामक अखबार के संपादक और प्रकाशक है. उनके तरफ से घोषित प्रतियों से कम का प्रकासन किये जाने के शिकायत पर आयुक्त जनसंपर्क ने जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी.

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जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था- उनके द्वारा मात्र 22 सौ प्रतियों का प्रकाशन किया जाता है. जांच के रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ पै्रस एंड बुक प्रब्लिकेषन एक्ट की धारा 3,12,14 तथा 15 सहित 420 के तहत प्रकरण दर्ज किया था.

अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद भी उसी मामले में व्यापारिक प्रतिद्वंदी दैनिक संवाद कुंज के सम्पादक ने सीबीआई में शिकायत की थी. सीबीआई ने उनकी शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया था. याचिका में कहा गया था- एक ही अपराध के उसके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गयी है.


सुनवाई के दौरान पीठ ने क्या पाया?: युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों एफआईआर में एक ही अपराध से संबंधित है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है- जुर्माने की राशि जमा की जाये. इसमें से 15 हजार रूपये याचिकाकर्ता को तथा दस हजार रूपये मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करवाई जाये. मप्र राविसे प्रा उक्त राषि कृत्रिम अंग के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल को प्रदान करें. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे ने पैरवी की.

जबलपुर। राज्य सरकार की तरफ से एफआईआर (FIR) दर्ज करवाए जाने के बावजूद भी सीबीआई द्वारा एक अन्य व्यक्ति की शिकायत पर उसी मामले में एफआईआर दर्ज किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू ने सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी किये है. युगलपीठ ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए 25 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है.

क्या है पूरा मामला: याचिकाकर्ता प्रमोद शर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था- "वह सिवनी जिले से प्रकाशित दैनिक दल सागर नामक अखबार के संपादक और प्रकाशक है. उनके तरफ से घोषित प्रतियों से कम का प्रकासन किये जाने के शिकायत पर आयुक्त जनसंपर्क ने जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी.

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जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था- उनके द्वारा मात्र 22 सौ प्रतियों का प्रकाशन किया जाता है. जांच के रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ पै्रस एंड बुक प्रब्लिकेषन एक्ट की धारा 3,12,14 तथा 15 सहित 420 के तहत प्रकरण दर्ज किया था.

अपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद भी उसी मामले में व्यापारिक प्रतिद्वंदी दैनिक संवाद कुंज के सम्पादक ने सीबीआई में शिकायत की थी. सीबीआई ने उनकी शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया था. याचिका में कहा गया था- एक ही अपराध के उसके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गयी है.


सुनवाई के दौरान पीठ ने क्या पाया?: युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों एफआईआर में एक ही अपराध से संबंधित है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है- जुर्माने की राशि जमा की जाये. इसमें से 15 हजार रूपये याचिकाकर्ता को तथा दस हजार रूपये मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करवाई जाये. मप्र राविसे प्रा उक्त राषि कृत्रिम अंग के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल को प्रदान करें. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे ने पैरवी की.

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