सागर। लगातार बढ़ रही जनसंख्या और शहरीकरण के कारण हरियाली तेजी से कम हो रही है. खासकर शहरों में हरियाली की जगह कंक्रीट की इमारतें नजर आती हैं. जो लोग हरियाली के शौकीन हैं और सक्षम हैंं, वह अपने घर में किसी न किसी तरीके से छोटा सा बगीचा बनाते हैं. खासकर शहरों में रहने वाले लोगों को बागवानी के लिए जगह की कमी से जूझना पड़ता है. ऐसी स्थिति में टेरेस गार्डन का चलन काफी बढ़ रहा है और लोग अपने घरों की छतों पर टेरेस गार्डन तैयार कर रहे हैं. जो लोग अपनी छत को बगीचा बनाने में सक्षम हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हैं उन्हें तो किसी तरह की परेशानी नहीं है, लेकिन ऐसे कई लोग हैं जिनके पास जगह तो है, लेकिन बागवानी के लिए पैसों की कमी है. ऐसी स्थिति को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार के उद्यानिकी विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है और अगर सरकार प्रस्ताव को मंजूर करती है. तो बिहार और महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर मध्यप्रदेश में टेरेस गार्डन तैयार करने के लिए सरकार की तरफ से अनुदान मिलेगा.
जगह की कमी के कारण बढ़ रहा है टेरेस गार्डन का कल्चर: शिक्षा और रोजगार जैसी जरूरतों को लेकर शहरों की तरफ तेजी से पलायन हो रहा है. शहरों पर लगातार जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है और बड़े पैमाने पर खेती और बागवानी की जमीन शहरीकरण की बलि चढ़ रही है. हालात ये हैं कि जो लोग शहरों में रहते हैं और बागवानी का शौक रखते हैं उन लोगों को भी अपना बागवानी का शौक पूरा करने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में टेरेस गार्डन कल्चर तेजी से पनप रहा है. शहरों में रहने वाले लोग अपनी छत और बालकनी को गार्डन का स्वरूप देकर अपने बागवानी के शौक को पूरा कर रहे हैं और हरियाली के जरिए अपने आसपास का वातावरण शुद्ध करने के साथ मनोहारी बना रहे हैं.
डॉक्टर दंपत्ति का अवार्ड विनर गार्डन: सागर शहर के जाने-माने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रामानुज गुप्ता और उनकी साहित्यकार और समाजसेवी पत्नी डॉ. वंदना गुप्ता सागर शहर के लिए टेरेस गार्डन कल्चर की एक मिसाल बने हैं. सागर शहर के बीच भीड़भाड़ वाले इलाके में इनका घर है लेकिन बागवानी के शौक के चलते डॉक्टर दंपत्ति ने एक तरह से अपने पूरे घर को गार्डन में बदल दिया है. उनकी बालकनी में एक सुंदर सा बगीचा है तो छत पर इतने तरह-तरह के पेड़ पौधे हैं कि उनकी छठ किसी गार्डन की तरह नजर आती है. हाल ही में सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा टेरेस गार्डन कल्चर को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसमें उनके टेरेस गार्डन में अवार्ड भी हासिल किया है.
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हरियाली के साथ स्वच्छ वातावरण और शुद्ध हवा: बागवानी का शौक रखने वाली डॉ. वंदना गुप्ता ने अपनी बालकनी और छत को बगीचे में बदल दिया है. बागवानी के शौक को लेकर डॉ. वंदना गुप्ता बताती हैं कि ये शौक मुझे विरासत में मिला है. मुझे करीब 45 साल हो गए हैं. मैं प्रयागराज की बेटी हूं वहां मेरे घर पर बहुत बड़ा टेरेस गार्डन था. जब सागर मेरी ससुराल बनी, तो सागर में भी घर पर बहुत बड़ी छत थी जिसे मैंने टेरेस गार्डन में बदला और जब हमने नया मकान बनवाया, तो वहां भी हमने टेरेस गार्डन बनाया है. बिना पेड़ पौधों के जीवन नहीं हैं, यह हमें जीवन शक्ति देते हैं. आज आप देखेंगे कि लोगों के पास जमीन नहीं रह गई है. शहरों में लोग फ्लैट में रह रहे हैं. फ्लैट में थोड़ी सी जगह धूप वाली मिल सकती है, जहां हम छोटे-छोटे पेड़ पौधे लगा सकते हैं.
इसके अलावा जिन लोगों के यहां घर है, वह घर की छत पर कबाड़खाना न बनाकर एक खूबसूरत बगीचा बना सकते हैं. जब आप सुबह से सुबह अपनी छत पर पहुंचकर सूर्य देव को जल चढ़ाएंगे और आप के बगीचे में तितलियां और चिड़िया नजर आएंगी, तो एक अलग एहसास होता है. जो लोग जीवन में तनाव से परेशान हैं आप उन्हें कुछ देर के लिए गार्डन में बिठाई है, तो उन्हें राहत मिलेगी. आपके पास छोटी सी छत भी है, तो बहुत सुंदर बगीचा बना सकते हैं. आप अपने घर के डब्बे, बाल्टी और बोतल में छोटे-छोटे पौधे लगा सकते हैं. आप प्रकृति को जितना देंगे, प्रकृति उससे कई गुना ज्यादा आपको वापस करेगी. हमारी ऊर्जा और प्रसन्नता का राज यही है.
क्या कहते हैं डॉक्टर रामानुज गुप्ता: अपने घर को टेरेस गार्डन के रूप में तब्दील करने वाले डॉ. रामानुज गुप्ता कहते हैं कि आपको अपने वातावरण को स्वच्छ रखना है, तो हरियाली बहुत जरूरी है. हमारा घर शहर में है और बीच शहर में हमारे पास इतनी बड़ी जगह नहीं है, इसलिए हमने अपनी छत और बालकनी को गार्डन बना दिया है. इन पौधों से हमें हरियाली और ऑक्सीजन मिलती है. इस कल्चर को बढ़ावा देने सरकार सुविधा और सहयोग देती है, तो इससे अच्छी कोई बात नहीं है. सरकार लोगों को प्रोत्साहित करें, तो वातावरण का शुद्धिकरण होगा. क्योंकि शहरीकरण के कारण हम चारों तरफ कंक्रीट, ऑटोमोबाइल्स बाइक और फोर व्हीलर के जरिए प्रदूषण तो फैला रहे हैं, लेकिन बचाव के लिए हम कुछ नहीं कर रहे है.
उद्यानिकी विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव: उद्यान अधिकारी पीडी चौबे कहते हैं कि शहरी नागरिकों के लिए टेरेस गार्डन की कोई भी योजना मध्य प्रदेश में लागू नहीं है. देखने में आ रहा है कि शहरवासियों टेरेस गार्डन एक लोकप्रिय घटक हो गया है. शहरवासी भी चाहते हैं कि उन्हें सरकार की तरफ से मदद मिले. जो सक्षम हैं, ठीक है लेकिन जो समर्थ नहीं है, उनके द्वारा ये मांग की गई थी कि सरकार की मदद और सहयोग मिले. जैसे बिहार और महाराष्ट्र में प्रावधान है कि कुल लागत 200 वर्ग मीटर पर 12 हजार रुपए आती है. कुल लागत का 50% अनुदान लगभग 6 हजार रुपए का प्रस्ताव शासन को भेज रहे हैं. यदि प्रस्ताव मंजूर होता है, तो जो लोग टेरेस गार्डन लगाना चाहते हैं लेकिन आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है,तो मदद करेंगे.