ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय में एक ऐसे कोर्स में छात्रों को एडमिशन दे दिया गया है, जिसकी उसे मान्यता ही नहीं थी. फिजिकल एजुकेशन के तहत बीपीएड (फिजिकल एज्यूकेशन) की मान्यता पिछले साल ही खत्म कर दी गई है. डब्ल्यूआरसी यानी वेस्टर्न रीजनल कमेटी ने कुछ कमियों के चलते विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया था.
डब्ल्यूआरसी द्वारा दिए गए नोटिस का जीवाजी विश्वविद्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया है. हालांकि उसे दो माह का समय दिया गया था. इसे लेकर एनसीईआरटी ने विश्वविद्यालय की एमपीएड की मान्यता को बहाल नहीं रखा. लेकिन विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर छात्रों को इस कोर्स में प्रवेश दे दिया. दो साल के इस कोर्स में हर छात्र से 40,000 रुपए सालाना की फीस वसूली गई है.
जीवाजी विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य मनेंद्र सोलंकी और अनूप अग्रवाल ने इसे लेकर कुलपति को पत्र लिखा है और उनसे मान्यता को लेकर जवाब तलब किया है. उनका कहना है कि विश्वविद्यालय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. लेकिन जीवाजी विश्वविद्यालय का कहना है कि उन्होंने छात्रों से आयुक्त उच्च शिक्षा के अकाउंट में फीस जमा कराई है और सरकारी तौर पर छात्रों को एडमिशन दिए गए हैं. क्योंकि एनसीईआरटी और उच्च शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर विश्वविद्यालय का नाम परिलक्षित है. इसलिए उन्हें मान्यता आखिर तक हासिल हो जाएगी. कुछ कमियां हैं जिन्हें पूरा करने की कोशिश की जा रही है.