ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मूकबधिर रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति नहीं दी है. क्योंकि 30 सप्ताह के गर्भ का अब टर्मिनेशन जानलेवा साबित हो सकता है. कोर्ट ने मुरैना कलेक्टर बाल कल्याण समिति और महिला बाल विकास विभाग को निर्देशित किया है कि वे बच्चे को अपनाने वाले अभिभावकों की तलाश करें और उसकी पूरी प्रक्रिया से कोर्ट को अवगत कराएं.
मुरैना जिले के पोरसा विकासखंड के एक गांव में रहने वाली एक मूक-बधिर नाबालिग लड़की के साथ करीब 5 महीने पहले सामूहिक दुष्कर्म हुआ था. लेकिन लड़की अपने परिवार में पिता से यह बात नहीं कर सकी थी, क्योंकि उसकी मां जीवित नहीं थी. पिछले दिनों जब लड़की की तबीयत अचानक खराब हो गई और उसका मेडिकल कराया गया तब पता लगा कि लड़की गर्भवती है.
लड़की की बहन जब अपने मायके आई तब दुष्कर्म पीड़िता ने उसे यह पूरा वाकया लिखकर बताया. इस मामले में तीन आरोपियों बृजेश राजू और बबलू के खिलाफ गैंगरेप का मामला दर्ज किया गया है. 16 साल की नाबालिग लड़की के पिता ने अनचाहे गर्भ को गिराने के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे जोखिम मानते हुए खारिज कर दिया.
कोर्ट ने मुरैना कलेक्टर, महिला बाल विकास विभाग और बाल कल्याण समिति को निर्देशित किया कि वे बच्ची की होने वाली संतान के अभिभावक को ढूंढने की कोशिश करें, जिससे उसे गोद दिया जा सके. अब इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी. दुष्कर्म का मामला 23 अप्रैल 2020 को दर्ज किया गया था.