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तिघरा डैम से लीकेज हो रहा लाखों लीटर पानी, शहर में गहरा रहा जल संकट

शहर में पेयजल की आपूर्ति करने वाला तिघरा बांध आज नगर निगम की लापरवाही के बेहाल है इस बांध में लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी लीकेज नहीं सुधर पाया है, जबकि ग्वालियर शहर में लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.

water wasted due to leakage of Tighra Dam
तिघरा डैम से पानी की बर्बादी
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Published : Aug 4, 2020, 2:56 PM IST

ग्वालियर। शहर में पेयजल की आपूर्ति करने वाला तिघरा बांध आज नगर निगम की लापरवाही का शिकार हो रहा है. तिघरा बांध में करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी लीकेज की समस्या खत्म नहीं हुई है, जिस वजह से लाखों लीटर पानी वैसे ही बह जाता है, अगर इस लाखों लीटर लीकेज के पानी को रोका जाए तो ग्वालियर शहर हजारों लोगों की प्यास बुझ सकती है. जबकि गर्मी में पानी की जो समस्या है वो सालों से चल रही है बावजूद इसके पानी की बर्बादी हो रही है. लिहाजा निगम की इस लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ सकता है.

तिघरा डैम से पानी की बर्बादी

चार बाल्टी पानी के लिए होना पड़ता है दो चार

ग्वालियर शहर से 25 किलोमीटर ब्राह्मण शहर की प्यास बुझाने के लिए पाइप लाइन के जरिए पानी लाया जाता है, लेकिन रास्ते में ही अवैध कनेक्शन और किसान पाइप लाइन में लिखित करके पानी को अपने खेतों तक पहुंचा देते हैं. वहीं तिघरा बांध में कई लीकेज ऐसे हैं, जिसमें से करोड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. जबकि लोग चार बाल्टी पानी के लिए सारे दिन टैंकरों का इंतजार करते हैं.

775 एमसीएफटी पानी बेकार

साल 2008 से लेकर 2019 तक 35 बार तिघरा के गेट खोले गए हैं. जिससे लगभग 775 एमसीएफटी पानी बेकार बह गया है. अगर इस पानी का सदुपयोग होता तो शहर में पानी की किल्लत खत्म हो जाए. ग्वालियर की लाइफ लाइन मानें जाने वाले तिघरा बांध की क्षमता 740 फीट तक भरने की है. लेकिन इसे सुरक्षा कारणों के चलते 738 फीट ही भरा जाता है.

लीकेज के चलते करोड़ों लीटर पानी बर्बाद

ग्वालियर शहर में पानी लाने के लिए तिघरा बांध से पाइपलाइन के जरिए सीधे मोतीझील आता है. जहां से फिल्टर होकर शहर के लोगों तक पहुंचता है, लेकिन तिघरा बांध से मोतीझील तक पानी लाने में लीकेज के चलते करोड़ों लीटर पानी खेतों में ही रह जाता है. इस वजह से लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है. वहीं जब मोती झील से शहर के लोगों तक पाइप लाइन के जरिए पानी भेजा जाता है, तो उसमें भी लीकेज की सबसे बड़ी समस्या आती है. पाइप लाइन में लीकेज की समस्या के चलते कई बस्तियों में पानी भर जाता है, लेकिन नगर निगम और जल संसाधन विभाग ने लीकेज को रोकने का कोई कदम नहीं उठाया है.

नगर निगम की दलीलें

नगर निगम जल संसाधन उपयंत्री जागेश श्रीवास्तव का कहना है कि तिघरा बांध से मोतीझील तक पाइप लाइनों के जरिए पानी लाया जाता है, इसमें अधिकांश जो किसान हैं वह अपने खेतों में पानी लाने के लिए पाइप लाइनों को लीकेज कर देते हैं, साथ ही भारी वाहन के गुजरने के कारण भी लीकेज की समस्या आती है, लेकिन हमारे कर्मचारी लगातार 24 घंटे इसकी निगरानी करते हैं जब भी ऐसी समस्या लीकेज की समस्या आती है तो तत्काल उसका निराकरण किया जाता है.

बहरहाल, शहर में पानी सप्लाई का मुख्य स्रोत तिघरा बांध के सुधार और पुनर्वास के लिए जल संसाधन विभाग ने करोड़ों रूपये खर्च कर चुका है लेकिन समस्या जस का तस ही है. लिहाजा गर्मी आते-आते ही जनता के लिए पानी का संकट खड़ा हो जाता है और लोग पानी के डब्बे लेकर दर बदर भटकने को मजबूर हो जाते हैं.

ग्वालियर। शहर में पेयजल की आपूर्ति करने वाला तिघरा बांध आज नगर निगम की लापरवाही का शिकार हो रहा है. तिघरा बांध में करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी लीकेज की समस्या खत्म नहीं हुई है, जिस वजह से लाखों लीटर पानी वैसे ही बह जाता है, अगर इस लाखों लीटर लीकेज के पानी को रोका जाए तो ग्वालियर शहर हजारों लोगों की प्यास बुझ सकती है. जबकि गर्मी में पानी की जो समस्या है वो सालों से चल रही है बावजूद इसके पानी की बर्बादी हो रही है. लिहाजा निगम की इस लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ सकता है.

तिघरा डैम से पानी की बर्बादी

चार बाल्टी पानी के लिए होना पड़ता है दो चार

ग्वालियर शहर से 25 किलोमीटर ब्राह्मण शहर की प्यास बुझाने के लिए पाइप लाइन के जरिए पानी लाया जाता है, लेकिन रास्ते में ही अवैध कनेक्शन और किसान पाइप लाइन में लिखित करके पानी को अपने खेतों तक पहुंचा देते हैं. वहीं तिघरा बांध में कई लीकेज ऐसे हैं, जिसमें से करोड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. जबकि लोग चार बाल्टी पानी के लिए सारे दिन टैंकरों का इंतजार करते हैं.

775 एमसीएफटी पानी बेकार

साल 2008 से लेकर 2019 तक 35 बार तिघरा के गेट खोले गए हैं. जिससे लगभग 775 एमसीएफटी पानी बेकार बह गया है. अगर इस पानी का सदुपयोग होता तो शहर में पानी की किल्लत खत्म हो जाए. ग्वालियर की लाइफ लाइन मानें जाने वाले तिघरा बांध की क्षमता 740 फीट तक भरने की है. लेकिन इसे सुरक्षा कारणों के चलते 738 फीट ही भरा जाता है.

लीकेज के चलते करोड़ों लीटर पानी बर्बाद

ग्वालियर शहर में पानी लाने के लिए तिघरा बांध से पाइपलाइन के जरिए सीधे मोतीझील आता है. जहां से फिल्टर होकर शहर के लोगों तक पहुंचता है, लेकिन तिघरा बांध से मोतीझील तक पानी लाने में लीकेज के चलते करोड़ों लीटर पानी खेतों में ही रह जाता है. इस वजह से लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है. वहीं जब मोती झील से शहर के लोगों तक पाइप लाइन के जरिए पानी भेजा जाता है, तो उसमें भी लीकेज की सबसे बड़ी समस्या आती है. पाइप लाइन में लीकेज की समस्या के चलते कई बस्तियों में पानी भर जाता है, लेकिन नगर निगम और जल संसाधन विभाग ने लीकेज को रोकने का कोई कदम नहीं उठाया है.

नगर निगम की दलीलें

नगर निगम जल संसाधन उपयंत्री जागेश श्रीवास्तव का कहना है कि तिघरा बांध से मोतीझील तक पाइप लाइनों के जरिए पानी लाया जाता है, इसमें अधिकांश जो किसान हैं वह अपने खेतों में पानी लाने के लिए पाइप लाइनों को लीकेज कर देते हैं, साथ ही भारी वाहन के गुजरने के कारण भी लीकेज की समस्या आती है, लेकिन हमारे कर्मचारी लगातार 24 घंटे इसकी निगरानी करते हैं जब भी ऐसी समस्या लीकेज की समस्या आती है तो तत्काल उसका निराकरण किया जाता है.

बहरहाल, शहर में पानी सप्लाई का मुख्य स्रोत तिघरा बांध के सुधार और पुनर्वास के लिए जल संसाधन विभाग ने करोड़ों रूपये खर्च कर चुका है लेकिन समस्या जस का तस ही है. लिहाजा गर्मी आते-आते ही जनता के लिए पानी का संकट खड़ा हो जाता है और लोग पानी के डब्बे लेकर दर बदर भटकने को मजबूर हो जाते हैं.

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