ग्वालियर। ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्धता (मान्यता) लेने वाले नए और रिन्यू कराने वाले कॉलेजों की संख्या लगभग 488 है. लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा आधा सत्र बीत जाने के बावजूद भी इन कॉलेजों का निरीक्षण नहीं कराया गया है (488 colleges not inspected in Gwalior). निरीक्षण को लेकर कार्यपरिषद की 4 मार्च को हुई बैठक में कार्यपरिषद के सदस्यों ने निर्णय लिया था कि निरीक्षण के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए. लेकिन अब तक कमेटी का गठन नहीं किया गया है.
NSUI ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप: कॉलेजों के निरीक्षण को लेकर छात्र संगठन NSUI, विश्वविद्यालय प्रबंधन से कई बार आग्रह कर चुका है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी. इस मामले में NSUI ने विश्वविद्यालय प्रबंधन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाते हुए कहा कि ''कॉलेजों के निरीक्षण इसलिए नहीं किए जा रहे क्योंकि परीक्षा के अंतिम समय में उन्हें मोटी रकम मिलेगी.'' वहीं उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ''आगामी दिनों में विश्वविद्यालय की टीम कॉलेजों का निरीक्षण करने पहुंचेगी. यदि, जिस कॉलेज में छात्रों में एडमिशन लिया है और उस कॉलेज ने मान्यता के नियमों को पूरा नहीं किया तो उस कॉलेज को मान्यता नहीं मिलेगी और आखिर में छात्रों का भविष्य और पैसा दोनों बर्बाद हो जाएगा.''
विश्वविद्यालय प्रबंधन ने दी सफाई: वहीं इस मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि ''यह बात सही है कि कोविड-19 के चलते बीते 3 साल में कॉलेजों का निरीक्षण नहीं हो सका है. कॉलेजों के निरीक्षण के लिए हमारी तैयारी पूरी थी, लेकिन नैक के निरीक्षण तारीख घोषित होने से विश्वविद्यालय नैक के निरीक्षण की तैयारियों में जुट गया था. अब अप्रैल माह में कॉलेजों का निरीक्षण कराया जाएगा, छात्रों को किसी भी प्रकार से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है.''
निर्णय के बाद भी गठित नहीं हुई टीम: बहरहाल जीवाजी विश्वविद्यालय की टीम बीते माह 488 कॉलेजों में से 21 कॉलेजों का निरीक्षण करने पहुंची थी. 2 कॉलेजों ने निरीक्षण कराने से मना कर दिया था. वहीं 19 कॉलेजों में खामियां पाई जाने पर 1 कॉलेज पर 1 लाख और 18 कॉलेजों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. जबकि 4 मार्च को ही कार्यपरिषद की बैठक में दोबारा से निरीक्षण करने को लेकर टीम गठित करने का निर्णय लिया गया था, फिर आखिर क्यों टीम गठित नहीं की गई, यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है.