ग्वालियर। साल 2020 में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण कई परिवारों ने अपनों को खो दिया तो कई लोगों के घर उजड़ गए. लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से डगमगा गई.जिससे कई कंपनियां बंद हो गई हैं, वहीं सैकड़ों लोग नौकरी से निकाले गए. यह लोग आज दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. ऐसे ही एक हाईप्रोफाइल बुजुर्ग व्यक्ति की कहानी बताएंगे जो पहले अपनी ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे थे. उसके बाद जिंदगी ने ऐसी करवट ली कि आज वह अर्श से फर्श पर आ गए. बुजुर्ग अब फुटपाथ पर रहने को मजबूर है.
यह मजबूरी उनके जीवन में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण हुई. कभी यह बुजुर्ग आलीशान ऑफिस में बैठकर नौकरी करते थे. लेकिन आज कई महीनों से फुटपाथ पर अपना दो वक्त का पेट भर रहा है.
ग्वालियर शहर के फुटपाथ पर रहने वाले 55 वर्षीय विनायक मिश्रा ने सपनों में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी जिंदगी इस तरह करवट लेगी. एक आलीशान ऑफिस से घर और घर से वह फुटपाथ पर रहने को मजबूर हो जाएंगे. लेकिन किस्मत का कोई भरोसा नहीं है, जो व्यक्ति को कहां से कहां तक ले जाए. यही 55 वर्षीय विनायक मिश्रा के साथ जिंदगी ने खेल खेला. वैसे तो कोरोना महामारी में कई परिवारों ने अपनों को खो दिया है. कई परिवारों का सबकुछ उजड़ गया है. यही विनायक मिश्रा के साथ हुआ.
कोराना महामारी से पहले सिंगापुर सहित मल्टीनेशनल कंपनी में कर रहे थे जॉब
55 वर्षीय विनायक मिश्रा जाने-माने अकाउंटेंट हैं. वह बेंगलुरु की एक कंपनी में अकाउंट सेक्शन संभालते थे. उसके बाद वह मुंबई में एक कंपनी में अकाउंटेंट के पद पर रहे और उसके बाद वह सिंगापुर में भी कंपनी के सिलसिले में जॉब करने के लिए गए. इसके बाद फिर वापस मुंबई में जॉब करने लगे. विनायक मिश्रा की अच्छी जिंदगी चल रही थी, अचानक साल 2020 में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी और उसके बाद देश भर में लॉकडाउन लागू हो गया. लॉकडाउन में कंपनी घाटे में पहुंच गई और उसके बाद प्रबंधक ने बंद करने का निर्णय लिया. सभी कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दिया गया. जिसमें एक कर्मचारी के रूप में विनायक मिश्रा भी थे.
कंपनी से निकलने के बाद विनायक मिश्रा ने अपने पास रखें पैसों से एक महीने तक काम चलाया और उसके बाद वह दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज होने लगे.विनायक मिश्रा मुंबई रेलवे स्टेशन पर भिखारियों के साथ रहने लगे. लॉकडाउन में प्रशासन की तरफ से मजदूरों को अपने-अपने घर भेजा जा रहा था. उसी दौरान में विनायक मिश्रा ने ग्वालियर आने का निर्णय लिया, क्योंकि ग्वालियर में पहले से उनका परिवार रहता था. मई के महीने में विनायक मिश्रा ग्वालियर आ गए ,लेकिन उन्हें रहने और खाने-पीने का कोई आश्रय नहीं मिला, तो उन्होंने फुटपाथ पर ही रहने का निर्णय लिया. तब से लेकर अब तक यानी 10 महीने से विनायक शहर के फुटपाथ पर अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
कुछ साल पहले बेटे और पत्नी की हो चुकी है मौत
विनायक मिश्रा अकेले अपना जीवन यापन कर रहे है. कुछ साल पहले उनका भरा पूरा परिवार था, एक बेटा था जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर था. कंपनी में काम कर रहा था, उसी वक्त एक हादसे में उसकी मौत हो गई. बेटे के गम में उनकी पत्नी ने भी दम तोड़ दिया. उसके बाद विनायक मिश्रा अकेले रह गये और वह जगह जगह कंपनियों में जॉब कर रहे थे.
ग्वालियर के रहने वाले विनायक 40 साल से बाहर कर रहे हैं नौकरी
विनायक मिश्रा ग्वालियर के ही रहने वाले हैं लेकिन वह 40 साल से बाहर हैं. बाहर नौकरी होने के कारण वह वहीं पर रहने लगे. शादी भी बाहर ही की. ग्वालियर में उनका परिवार रहता था, लेकिन उसका भी अब अता पता नहीं है.
लॉकडाउन में विनायक मिश्रा की बदल गई पूरी किस्मत
पिछले 10 महीने से वह सड़क के किनारे रहकर जीवन यापन कर रहे हैं. विनायक को राहगीर मदद करने के लिए पहुंच जाते हैं. कोई उन्हें खाना देता है तो कोई उन्हें चाय बिस्किट दे जाता है. इसी से अपना काम चला रहे हैं. प्रशासन से भी कई बार मदद मांगी लेकिन आज तक विनायक मिश्रा की मदद के लिए कोई भी नहीं पहुंचा है. वहीं उन्हें सरकारी सिस्टम पर बिल्कुल भरोसा नहीं रहा है.